बेशक घिरे हो बादल घनेरे या फिर गरजे कोई अँधेरा..डरना क्यों है जब साथ है नया सवेरा..जब
तल्क़ सवेरा आने को है,चांदनी ने पुकारा अपने चाँद को बेहद प्यार से..भूल जा ना सारे शिकवे गिले
कल सवेरा आए गा और तुझे मुझे दूर दूर कर जाए गा..गरूर तुझे किस बात का है,रहना तो मुझे
तुझे अब साथ है..यह तो पुरानी रीत है,डर के कौन जी पाया है..साथ हू अपने चाँद के तो डर है किस
बात का..इस सवेरे के रंग मे तेरा मेरा वज़ूद,कमतर है मगर चांदनी फिर भी तेरे साथ है..
तल्क़ सवेरा आने को है,चांदनी ने पुकारा अपने चाँद को बेहद प्यार से..भूल जा ना सारे शिकवे गिले
कल सवेरा आए गा और तुझे मुझे दूर दूर कर जाए गा..गरूर तुझे किस बात का है,रहना तो मुझे
तुझे अब साथ है..यह तो पुरानी रीत है,डर के कौन जी पाया है..साथ हू अपने चाँद के तो डर है किस
बात का..इस सवेरे के रंग मे तेरा मेरा वज़ूद,कमतर है मगर चांदनी फिर भी तेरे साथ है..