रूप इबादत के कितने देखे..तुझे कभी देखा नहीं,फिर भी प्रेम की डोर तुम से बाँधी..इबादत है ऐसी..
मिले गे शायद कभी नहीं,पर खवाब तेरे देखे..यह भी इबादत है ऐसी...कुछ माँगा नहीं तुम से,फिर
भी सब पाया मैंने..इबादत है ऐसी..बेरुखी को सहते गए,मगर प्यार फिर भी तुम्ही से हुआ..इबादत की
हद है ऐसी..गुफ्तगू तू भले कभी ना करे,मगर बात तो खुद से करते है तेरी..देख ना,मेरी इबादत तेरे
लिए,है कैसी...
मिले गे शायद कभी नहीं,पर खवाब तेरे देखे..यह भी इबादत है ऐसी...कुछ माँगा नहीं तुम से,फिर
भी सब पाया मैंने..इबादत है ऐसी..बेरुखी को सहते गए,मगर प्यार फिर भी तुम्ही से हुआ..इबादत की
हद है ऐसी..गुफ्तगू तू भले कभी ना करे,मगर बात तो खुद से करते है तेरी..देख ना,मेरी इबादत तेरे
लिए,है कैसी...