Saturday 31 March 2018

आ मेरे पास कि दिल का आंगन सूना सूना आज भी है....उसी अदा से तेरा आंखे झपकाना,कसम

तेरी सब याद आज भी है....चलते चलते पलट कर फिर मुझी को देखना,वो तेरी खता मेरी नज़रो मे

समाई आज भी है....मै उदास हू यह जान कर मेरे गले से लिपट जाना,वो मासूम सा एहसास रूह के

आस पास आज भी है.....खुशकिस्मत तब भी थे,खुशकिस्मती आज भी है....मेरे आंगन मे तेरा

चमकना,वो सारा वक़्त याद तो आज भी है....

Friday 30 March 2018

एहसास जो आहट देते रहे बार बार.जज्बात जो दिल के किसी कोने मे जगह बनाते रहे साथ साथ ....

टुकड़ों मे जीते जीते जिंदगी को देते रहे सही मुकाम....तक़दीर के हर फैसले को ना मानने का हौसला

जुटाते रहे हर सुबह,हर शाम....दस्तक जो कभी दी किसी ने,बाहर ही बाहर से लौटते  रहे हर बार....

किसी ने कहा कि खुद्दार है हम,कोई कहता रहा दगाबाज़ है हम...पर कहना हमारा रहा यही...अपनी

मर्ज़ी के है मालिक,दुसरो के नक़्शे-कदम पे नहीं चले गे अब बार बार....

Thursday 29 March 2018

प्यार को कोई नाम ना दे....इस की चमक को कोई पैगाम ना दे....लहरों की चंचल धारा की तरह जो

बहती जाए,इस मुहब्बत को कोई गलत इलज़ाम ना दे.....पाक रहे इतना रिश्ता,कि खुदा के पास जा

कर कोई शर्मिंदगी का एहसास ना हो....कदमो पे फूल बिछाने के लिए,मेरे आने को इंतज़ार का कोई

रंग ना दे....दूर रह कर प्यार की सिर्फ इबादत कर...मगर इस प्यार को कोई नाम ना दे....
तेरे ख्वाबो की तस्वीर तो है,तेरे जीवन की कोई खूबसूरत सी नज़्म भी है.....तेरी सांसो को जो खुशबु

दे,उसी बहती नदिया की कोई पहचान भी है....सुबह की पहली किरण से जो याद आउ,रात ढले तो

सपनो मे जगह ले जाऊ....मंदिर की कोई मूरत भी नहीं,परियो के देश से उतरी कोई परी भी नहीं...

ना कोई रिश्ता है,ना समाज के दायरों मे बंधा कोई नाम भी है....लेकिन....मेरे बिना तेरा कोई वज़ूद

नही....बस यूं कहे तेरे जीवन की कोई खूबसूरत नज़म ही है....

Wednesday 28 March 2018

दिए की लौ मे जो देखा चेहरा उस का मैंने....होश थे गायब,धडकनों को कैसे संभाला मैंने....बिजली

सी गिरी दामन मे मेरे,आँखों की चमक को कैसे छुपाया मैंने....इतने करीब से उसे देखना होगा भी

कभी,अपनी किस्मत पे यकीं नहीं हुआ जैसे....बात करने के लिए जो लब खुले उस के,यूं लगा कमल

के फूलो ने जो अंगड़ाई ली हो जैसे....उस के नाज़ उठाए या कुछ सवाल करे उस से,इसी कशमकश मे

क्यों सारी रात यूं ही गुजार दी मैंने.....

Tuesday 27 March 2018

 हरदिल अज़ीज़ रहे तुम मेरे,मेरी आँखों के ऐसे सितारे .....परवरदिगार से कहने के लिए अपने लिए

कुछ भी ना था...मांगी सारी दुआए बस तेरे ही लिए.....दुआए होगी क़बूल एक दिन,इतना यकीं था

उस की रहमत पर.....कभी रहे ज़लज़ले,कभी बही तेज़ अँधिया....टुकड़े हुए दिल के कभी,कभी बह

गया सारा आशिया....काम था बस दुआ बांटना,दुआओ मे तेरी सारी शख्सियत को बस निखारना ....

ना कोई ढोंग था,ना कोई आराधना..सीधा सादा यह मन,परवरदिगार के आगे सचमुच बह गया....

Sunday 25 March 2018

किस्मत की लकीरो से बार बार  सवाल पूछा हम ने....शिद्दत से जिसे चाहा हम ने,उसी को दूर क्यों 

किया हम से....मुहब्बत किसी की बेइंतिहा दे कर,रिश्ते को क्यों तोड़ डाला हम से....ज़ी भर भर जब

हसी मिली खुद से,तो क्यों खुद अपनों को किनारे कर दिया हम से....आंखे जब दर्द को भुला सहज

होने को लगी,क्यों अचानक पलकों को सैलाब मे भिगोया ऐसे....ग़लतिया होती है मगर,कोई गुनाह

ऐसा भी नहीं किया हम ने...जो यूं रुला रुला कर जीते जी मार डाला हम को......

Friday 23 March 2018

आज भी रातो मे तेरे एहसास की खुशबू आती है....सुबह सवेरे हवाओ मे तेरी रूमानी बातो की कसक

दिल को छू जाती है....परिंदे जब जब चहक चहक जाते है,फूलो पे जब भी भवरें राग सुनाते है....कोयल

की कू कू से जैसे तेरे आने का अंदेशा होता है.....वहम इसे माने कैसे,इस दिल की सदा को झूठा कैसे कह

दे....तेरे हर अंदाज़ से वाकिफ है,तेरी सांसो की महक आज भी मेरे जिस्म से आती है....मेरी रूह के तार

झनक झनक जाते है,जब भी तेरी रूह मेरी रूह से मिलने आती है....
हज़ारो जन्मो का वादा ले कर,हज़ारो जन्मो का वादा दे कर.... सकून से रह पाए गे....रिश्तो मे नहीं

नातो मे नहीं...बरस दर बरस इंतज़ार मे गुजरते जाए गे....इल्ज़ाम बहुत मिले है,कभी अपनों से तो

कभी बेगानो से....ज़ख्मो की आंधी मे गिरे दरख़्त मेरे अपने आंगन मे....इतनी नियामते साथ रही मेरे

कि जड़ कभी टूटी नहीं...शाखाएं कभी बिखरी कभी हिलती रही,ज़मीन से जुड़ाव टूटा ही नहीं...हा...तुझ

से जन्मो का वादा है,जो कभी टूटे गा ही नहीं....

Thursday 22 March 2018

बहुत ख़ामोशी से सुपुर्द किया इसी धरा के नाम...और इतिहास समझ सब धीरे धीरे भूल गए....गाहे

बगाहे मौको पे दो आंसू से बस याद किया... लेकिन हम ने चुपके से,उन सभी कमियों को याद किया

और जन्मो का साथ मांग लिया...दिल के दरवाज़े को फिर आहट दी और एक  पन्ने पे तेरा नाम लिखा

 जज्बात भरे उस पर इतने कि हर जर्रा जैसे सहम गया....कभी लिखा दर्द इतना तो कभी मुहब्बत को

अंजाम दिया....ना भूले धरा की धरोहर को,अपनी पलकों मे बस थाम लिया....

Wednesday 21 March 2018

बचपन मे जो खिलौना टूटा,हम ज़ार ज़ार रोए थे.....उन टुकड़ों को समेटने के लिए,माँ की गोद मे फिर

से रोए थे....कुछ नया  पाने के लिए,मशक्कत बहुत की हम ने...नायाब पाने की चाहत मे,आंसुओ को

पोछ डाला हम ने....लबो पे फिर हसी उभरी,खिलौना नया अब हमारे हाथ मे था.....उम्र का यह कैसा

दौर है,जो रहा बहुत अपना...उसे खो कर क्यों ज़ार ज़ार आज भी रोते है....नायाब कुछ भी क्यों ना मिले

जो खोया,उसी को पाने की मशक्कत मे क्यों आज भी परेशां होते है....

Tuesday 20 March 2018

गहन ख़ामोशी से,खुद के लिए छोटी से जगह मे समा जाना.....कोई ढूंढे भी तो कहाँ तक ढूंढे,नीर मे

खुद को इस दुनिया से जुदा करना....मेरी उम्मीदों को पूरा करने के लिए,हर वक़्त सज़े रहने का वादा

ले कर जाना....नूर चेहरे का कभी कम ना हो,मुस्कुराने की वो अदा कभी खतम ना हो...जब जब आऊ

नूर की रोशन अदा से सकून को पाऊ....जन्मो के साथ का वादा है दुल्हन,तेरे लिए तो हर जहाँ को भी

छोड़ कर आ जाऊ....
वही दिन,वही शाम,वही वक़्त.....जुदाई की राते बहुत ही लम्बी है.....भरी आँखों से मुझे जाते जाते

निहारना,बहुत ही जोर से मेरा नाम ले कर मुझे पुकारना....मेरे पास आते ही,अपनी दुनिया मे चले

जाना.....मेरा बुत बन कर बस खड़े रहना....यकीं करना था बहुत मुश्किल कि साथ तो अब छूट गया

पर बरस दर बरस तेरा मुझे हमेशा यह एहसास दिलाना कि साथ छूटा कहा,मै हू ना पास तेरे...लबो को

फिर से हसी देना,आगोश का एहसास दिला कर यह कहना......सदियों मे पैदा होती है ऐसी दुल्हन

और भरी नज़रो से कही फिर गुम हो जाना.....
विराम नहीं....अर्ध विराम है अभी.....तुझ तक पहुंचने के लिए कुछ सोचना जरुरी है अभी....कुछ

फ़र्ज़ अदा करने बाकी है अभी ....तेरे नाम से जुड़े कुछ काम अधूरे है अभी...रूह को इन सब से अलग

करना जरुरी है अभी...इन कदमो को समझदारी से चलाना मुश्किल है अभी....तेरे बिना सब कर पाउ

यह अहम् सवाल खुद से निभाना जरुरी है अभी...लौट के आना है बस तेरे ही पास,यह सांसो का बोझ

उठाना दर्दभरा है अभी..... 

Sunday 18 March 2018

बिखरते बिखरते..इतना बिखरे ... याद तेरी मे सारे जज़्बात बस बिखर गए.............

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तू कहाँ और अब हम कहाँ...कहानी के तमाम किरदार ही बिखर गए...............................

Saturday 17 March 2018

कही कुछ आहट सी हुई...कही दिल को कुछ एहसास हुआ...चूड़ियाँ खुद ब खुद बजने लगी...पायल

बेसाख़्ता मदहोश होने लगी... परिंदे अपनी उड़ान से फिर ऊँचे जाने लगे...आंखे जो मूंदी तो सपने

भी बस तेरे आने लगे...दोहराने लगी यादे कहानियाँ फिर तेरी...लब खुद ब खुद  मुस्कुराने लगे...नशा

मुहब्बत का कुछ ऐसा चढ़ा,कि पाँव रहे ज़मीं पे और हम तेरे साथ तेरी ही यादो मे बस खोने लगे....

Friday 16 March 2018

आजा ना अब...कि घर अपने लौट चले...तेरे ही साथ,तेरे ही लिए..फिर से इस ज़िंदगी को एक साथ

जिए....तेरी ही बाहों मे बहके,तेरी आगोश मे सकून से सो जाए...तेरे साथ नई सुबह देखे और फिर

अपने ही घर की चारदीवारी मे कैद हो जाए...एक बार से फिर दुल्हन के लिबास मे,तेरे होश उड़ा डाले

ना तू कुछ मुझ से कहे,ना मै तुझ से कुछ बोलू...नैनो की भाषा मे,एक साथ फिर इन्ही लम्हो को जी

भर कर जिए...आ भी जा...कि घर अपने अब लौट चले...

बहुत ही शिद्दत से मुस्कुराते है हम,जब भी हद से जय्दा उदास होते है....रात की ख़ामोशी मे जितना

तड़प कर रोते है हम,सुबह रौशन होते ही जी भर खिलखिलाते नज़र आते है हम...दुनिया कहती है

कितने खुशनसीब है हम,बस लोगो की इसी दीवानगी के नखरे उठा उठा जाते है हम....बेबसी अपनी

को नज़रअंदाज़ कर इन्ही पन्नो पे फिर से बिखर जाते है हम....लोगो की वाही वाही से अपनी उदास

दुनिया को फिर से समेटने लगते है हम....
तेरे चले जाने से बहुत खामोश हो चुकी यह ज़िंदगी मेरी .....हर ज़र्रा खामोश है,सब कुछ  खामोश है....

कभी कभी तेरी यादे बोलती कुछ बात है....इतनी गहन ख़ामोशी मे मुझ से कहती हर बात है ....

आंख भीगी जब जब मेरी,कुछ अल्फ़ाज़ हवा मे बिखर गए....यूँ लगा मुझे जैसे,कि तुझ तक मेरे

जज़्बात पहुंच गए...कभी दूरिया तो कभी नज़दीकिया,चलती जा रही यह ज़िंदगी....हर बार तुझे मेरा

यही पैगाम...तेरे जाने से बहुत खामोश हो चुकी यह ज़िंदगी मेरी....

Sunday 11 March 2018

पलक झपकने का मन ही नहीं,तो नींद को इन आँखों मे कहाँ से लाए....बाते तुझ से हज़ार करे,पर

तुझे ढूंढ कर अब कहाँ से लाए...एक एहसास तेरा जो मुझे रोने भी नहीं देता,पर वो प्यार तेरा मुझे

बरसो से चैन से सोने भी नहीं देता....आईना है सामने मेरे,रूप की चांदनी खिली है आज भी चेहरे

पे मेरे....तुझे जो वादा दिया,उस के तहत उसी नूर के मालिक आज भी है...रात गहरा रही है धीमे

धीमे,सो जाए या सपनो मे तेरे आने का इंतज़ार करे....
तुझे याद करे या तुझे भूल जाए....तेरी यादो के साथ जिए या फिर इस ज़िंदगी से दूर बहुत दूर कही

निकल जाए....दस्तक दे रही है आज भी तेरी वोही सुनहरी यादे,सीने को सुलगा रही है तेरी रूमानी

बातें....इन सब को समझने के लिए दुनिया की समझ कोरी है,बेकार की गुफ्तगू के लिए यह दुनिया

मुझ पे यक़ीनन भारी है....इन सभी से अलग तेरी ही नज़रो मे हम तेरे है...अब तू ही बता,इन को

खुद मे शामिल करे या सिरे से नकार जाए...

Wednesday 7 March 2018

सूरत तेरी कभी देखी तो नहीं,मगर लाजवाब सीरत से तेरी वाकिफ है....बूंद बूंद पानी से भरता है

समंदर,तेरी बातो की गहराइयों से यह दिल घायल है....ज़ज़्बात दिखते नहीं मगर तेरी गुफ्तगू से

छलक छलक जाते है....देखे नहीं,मिले भी नहीं लेकिन तेरी बेबाकियो को अंदर तक पहचान जाते

है....कुछ कहते है कि दुनिया बहुत लम्बी है,हम कहते है कि यह बहुत ही छोटी है...मिले गे किसी ना

किसी मोड़ पर,कि तेरी पाक मुहब्बत से हम खूब  वाकिफ है.... 

Thursday 1 March 2018

टूट के इतना चाह मुझ को,कि कोई हसरत फिर बाकी ना रहे....ज़माने की नज़रो से परे कोई हिसाब

फिर बाकी ना रहे...दौलत के ढेर पे ना मुझ को बिठाना,ख्वाईशो के जहान मे ना खुद को डुबोना...

दुनिया क्या सवाल उठाती है,कोई जवाब इन को ना देना....शिद्दत तेरे मेरे प्यार की इन को ना समझ

आए गी... वक़्त की रवानगी के साथ इन की आवाज़ भी खामोश हो जाए गी...आ मेरी आगोश मे,कि

फिर कोई हसरत बाकी ना रहे...
सुन साजन मेरे...कानो मे ज़रा इक आवाज़ तो दे....प्यार का वो पहला पैगाम तो दे...बरसो पहले

उसी इकरार का फिर से इज़हार तो दे...बिखरी हुई इन जुल्फों मे अपनी अँगुलियों का वही एहसास

तो दे....तेरी ज़िंदगी के हमराज़  है,नायाब लम्हो के राजदार भी है...शुक्रिया है तेरे इस प्यार का ..सजन

मेरे,उन्ही खूबसूरत लम्हो का आज फिर से पुराना अंदाज़ तो दे....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...