Saturday 28 February 2015

एक बॅधन ऐसा भी--जिनदगी मे कभी मिले नही तुम से,फिर भी गहरी पहचान है---

कभी गुफतगु नही हुई तुम से,फिर भी बाते हजाऱो हुई है तुम से---कोई रिशता नही तुम

से,फिर भी जनमो का साथ है--मर नही पाए गे तेरे बिना,कयो कि यह सदियो का साथ

है-------एक बॅधन ऐसा भी--------------

Friday 27 February 2015

तेरे छू लेने से मेरी नस नस मे--बिजली कौधी है----कयो----यह तेरा इशक है या मेरे

हुसन का जादू-----पलके झुकी है तुझे देखने के बाद----आॅखे बरसी है तुझ से मिलने

के बाद---ना सो पाए है ना जाग पाए है--मुहबबत का पाठ जो पडाया है तूने--उस से

तू बेखबर हैै----कयो-----------

Thursday 26 February 2015

रफता रफता पाॅव बढा रहे है हम--गीली मिटटी पे निशान बना रहे है हम-----जिनदगी

के नाकाम रासतो से भी मनिजल ठूॅठ ले गे हम---कया हुआ जो साथ कोई मेरे नही--

कया हुआ जो किसी को मुझ से वासता नही----यहाॅ तो लोग पयार का मतलब भी नही

जाान पाते है---हम तो इनसाॅ है,लोग तो खुदा को ही भूल जाते है---इसलिए तो जिनदगी
को कामयाब बनाने जा रहे है हम--------

Tuesday 24 February 2015

खुल रहे है मन के बॅधन धीरे धीरे--यकीॅ कर रहे है तुम पे धीरे धीरे-----इस दुनियाॅ मे

कोई अपना ही ना मिला--सो दूर हो गए सब से धीरे धीरे-----तेरी शराफत के हम कायल

हुए--तेरी मुहबबत पे हम फिदा हुए---पर अब तुमहे जान गए है धीरेे धीरे----जिनदगी

भर के लिए खुदा से माॅॅग ले गे तुमहे--वो भी धीरे ----धीरे------------

Monday 23 February 2015

ताललुक नही रहा बेशक आज तेरी जिनदगी से-फिर भी जेहन मे तेरी यादे कहती है

कहानी मेेरी तनहाई की--कदम दर कदम चलते रहे,पर बहुत दूर रही मनिजल मेरी--

कभी टूटे कभी हारे,कभी खुद को यू ही बहलाते रहे कि चलना तो अकेलेे है-साथ मेरे

कोई भी नही--मन मे जो बाते है वो किसी को ना बता पाए गे--बस हमनवाॅ मेरे पहुॅचे

गे जब तुझ तक-तभी साऱी खवाहिशे बता पाए गे--------------- 

Sunday 22 February 2015

कहर बन केे आई है यादे तेरी--अशको से भिगो गई दामन यादे तेरी----बहुत चाहा कि

दूर रहे इन से--फिर भी अकसर टीस जाती है यादे तेरी-----इन अशको से लिख दी है

हम ने--तेरी और अपनी कहानी-----फिर भी तनहाॅ कर जाती है यादे तेेरी------------
धीरे धीरे--ऱफता ऱफता--जिनदगी मे सब कुछ खोते चले गए---कभी अपनो के तो कभी

बेगानो के इलजामो से खुद को घिरा पाते रहे--बेबसी मे बस--तुमहे को याद करते चले

गए--यह दुनियाॅ तेरे बिना मेरे किसी काम की नही--इनतजाऱ है तेरी उस आहट का----

कि कब कहो गे मुझे जरूरत है तुमहारी--मेरी दुनियाॅ मे बस चले आओ------------------

Saturday 21 February 2015

हर आहट पे ऐसा कयो लगता है कि तुम आए हो...हर दरवाजे,हर खिडकी को खोला कि

तुम आए हो....बाहर नजाऱो मेे देखा,वादियो मे पुुकारा...लगा कि शायद तुम वहाॅ आए

हो...मायूस हो कर घर लौट आए,आॅखे जो मूॅदी तो पाया..खयालो मे मेरे पास आए हो...

यकीॅ हो चला है अब इतना,कि आज आए हो खयालो मे..........तो कल हमे मिलने भी

चले आओ गे................

Friday 20 February 2015

आप के अरमानो की हिफाजत तो नही कर पाए हम,पर आप की इबादत मे उमर गुजाऱ

दे गे हम....वो लमहे,वो यादे,वो मन को छू लेने वाली बाते...वो तो आप को लौटा नही

पाए गे हम......पर जिनदगी कभी तनहाॅ ना हो आप की,बहारो को कही से भी ला कर,

आप की दुनियाॅ सजा दे गे हम...........

Wednesday 18 February 2015

एक इशारा जिनदगी ने ऐसा दिया,कि हम मुसकुरा दिए...जिन रासतो से गुजरे थे कभी

तनहाॅ हो कर,उनही रासतो ने आज फूल बिछा दिए... खामोशी की जुबाॅ जो ना समझे

 कभी वो खुद ही सलामे-इशक बन के आ गए....आॅखो ने अशक बहाए जितने,महबूब

की आगोश मे आ कर बहार बन के खिल गए..........

Tuesday 17 February 2015

तेरे सपनो की दुनियाॅ मे,कोई किरदार नही बन पाए है हम...पर तेरी मासूम हॅसी के

साझेदार तो है हम...जमीॅ पे पाॅव रख कर चले है हम,बस तेरी तरह बिना पॅख आसमाॅ

मे नही उडे है हम..दुआओ से उठेे है जिनदगी मे हम,तेरी तरह दौलत की चाह मे बिखरे

नही है हम....फिर भी हमनवाॅ मेरे तेरे पयार मे मिट गए है हम.......

Sunday 15 February 2015

दौलत दी शोहरत भी दी..ऐशो-आराम की महकती बगिया भी दी...हम जहाॅ जहाॅ कदम

रखते रहे,फूलो की बरसात भी तुम करते रहे....यकीकन-- दुनियाॅ की नजऱ मे यह

तुमहारा पयार रहा....पर-मेरे वजूद से जुदा रही राहे तेरी...हमे ना वो पयार मिला,जो

खरे सोने सा मुकममल होता...............

Saturday 14 February 2015

तेरी पाक मुहबबत के मायने समझ आ रहे है आज..तुमहे कयूू ठुकरा दिया हम ने,नही

जान पा रहे है आज..मुहबबत नाम नही सफाई देने का,मुहबबत तो नाम है साॅसो मे

साॅसे जजब करने का...हम पुकार रहे है आज......चले आओ......कि मुहबबत के मायने

समझ आ रहे है आज...............

Friday 13 February 2015

तेरी खामोशी मे छिपा वो ऱाज,मेरे दिल मे उतर आया है..तेरी धडकनो सेे जो पैगाम

आया,वो मेरे वजूद मे चला आया है...तुम ने तो कुछ भी ना कहने की कसम खाई है....

पर मेरी रूह ने तुमहे अपने वजूद मे मिलाने की कसम खाई है..तुम समझो या ना

समझो,पर तुमहे पाने का खय़ाल इबादत मे सिमट आया है........

Thursday 12 February 2015

दबे पाॅव जो मिलने आए तुम से,यह पायल बज उठी...खुली आॅखो से जो देखा चेहरा

तेरा,मेरे चेहरे की ऱॅगत गुलाबी हो गई.....तेरी नजरो ने जो छुआ दामन मेरा,हजारो फूल

फिजाओ मे बिखर गए...यह पयार है या मेरा कोई खवाब,चूडियो की खनक मे तुम

बसते रहे कभी सुबह तो कभी रात.......

Wednesday 11 February 2015

अपने दुखो के मौसम से,कुछ सुख के पल खोज रहे है हम...अपने बहते आॅसूओ मे,ओस

की भीगी शबनम ठूठ रहे है हम...जखम जो नासूऱ बन चुके है अब,उन से ही अपने दरद

की दवा ठूठ रहे है हम...कभी तडपे कभी रोए कभी यादो मे खोए हम,और आज उनही

जजबातो मे अपनी खुशिय़ाॅ खोज रहे है हम........

Tuesday 10 February 2015

तेरे इनकार से तनहाॅ तो नही,बस उदास है हम...बेवजह जो यह आॅसू छलके है,उन से

परेशान है हम...उममीद का दामन छूटा है ,यही याद कर के खुद से बेजार है हम...तुम

ने नही चाहा हमे,कोई बात नही...पर अपनी चाहत को याद कर के खुद के तलबगाऱ है

हम...........

Sunday 8 February 2015

आज एक कहानी तेरी है, कल मेरी भी होगी...यही लफज कहेे थे तुम ने,जब बरबाद

हुई थी मेरी जिनदगानी..टुकडो मे बॅटी थी साॅसे मेरी,तो तुमहारी साॅसो ने समभाली थी

राहे मेरी..आज जब समभल चुके है,उन जखमो से...तुम कहतेे हो......बस--मेरी अपनी

भी है एक जिनदगानी................
उसूलो से जिओ तो हॅसते है लोग..खामोशी से रहो तो मुसकुराते है लोग..अदब और

मिठास की भाषा कहाॅ जानते है लोग..यह दुनियाॅ जानती है सिरफ दौलत की भाषा......

यहाॅ कागज के टुकडो मे बिक जाते है लोग........

Friday 6 February 2015

कहते कहते कयू रूक गए-जुबाॅ पे वो अलफाज..यकीकन वो हम ही थे जिन से मिले तुम

पहली बार...कोई कहता है तुम मुहबबत हो-तो कोई कहता है तुम दगा-बाज हो...इसी

कशमकश मे यू ही उलझे रहे-कभी दिन तो कभी ऱात..ना खतम हो जाए कभी यह साॅसे

वकत से पहले मेरे हमनवाज..यकीॅ कर लो हम ही है तुमहारे सरताज.........
जिनदगी मुसकुराई हम पे..खुशियो केे दिन आ गए...बहाऱो ने बाहे फैलाई तो लगा जीने

के दिन आ गए...वो जिललते जो मिली थी हम को..उन से निकलने के दिन आ गए...

पयार ने हॅस कर कहा...चलो अब दीवानगी के परिनदे आ गए....

Wednesday 4 February 2015

अपनी रूह मे बसाया है नाम तेरा..तू मुझे चाहे ना चाहे,यह काम बस है तेरा.....दौलत

नही माॅगी तुझ से..ना चाहे ऐशो-आराम...मेरी इबादत मे बस तुम रहे सुबह शाम...कया

कहती है दुनियाॅ,यह समझना अब नही मेरा काम.इसीलिए तो रूह पे लिखा है तेरा नाम

.. यह तन तो मिट जाए गा,पर इसी रूह के साथ ले जाए गे तेरा नाम.......

Tuesday 3 February 2015

तेरी राहो से जब जब गुजरते है हम..तेरे ही कदमो के निशाॅ पे पाॅव रखते है हम....

जानते है कि जिस दिन जानो गे,तेरी राहो से अकसर गुजरते है हम..तुम इन राहो से

दूर निकल जाओ गे..याद रखना जुदाई मे तेरी हम बरबाद हो जाए गे.रह जाए गे सिरफ

लफज और हम कही दूर-बहुत दूर चले जाए गे........

Monday 2 February 2015

रात कितनी भी लमबी कयूू ना हो...सवेरा जरूर लाती है....कोई साथ हो ना हो,मॅजिल

फिर भी मिल जाती है...अॅधेरो से डर कर जो भागे,यह दुनियाॅ यह लोग यह अपने......

और भी डराते है...कया करना है खुद को,अपनी खामोशियो से खुद को ही बता देते है....
आप जो मिले लगा जैसे, मौसम बहारो का आ गया...हम सजे सॅवरे ऐसे, जैसे खवाबो

के पूरा होने का दिन आ गया....पायल जो पहनी पैरो मे..थिरकने का मन जैसे हो गया..

आप ने जो छू लिया हम को......लगा सकून से..आप की बाहो मे सिमटने का जीवन

आ गया...........

Sunday 1 February 2015

टूट रहा था दिल तेरी याद मे...धडकने रूक रही थी तेरे नाम मे....तेरे साथ बिताया हर

लमहाॅ तोड रहा था जिनदगी का वो ऱाज...लौट के आजा मेरे हमदम..मेरे हमनवाज....

बिछा दे गे तेरे कदमो मेे सारे जहाॅ की खुशियाॅ...आॅखो से जो गिरे गे आॅसू,उन से धो

डाले गे तेरे जखमो की वो दुनियाॅ..जिस ने जुदा किया तुझ से मुझ को...टूट रहा है दिल

तेरी याद मे..................

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...