चलते चलते इस ज़मी पे तेरी...ए ख़ुदा मेरे...मेरा यह जिस्म तो थक आया....इस दुनिया मे देखे
जो नज़ारे ऐसे कि तेरी खुदाई से ही दिल भर आया....शिकवा नहीं,शिकायत भी तो नहीं...लेकिन
दुबारा फिर यहाँ न आने के लिए,तुझ से गुजारिश करने का मन हो आया....खूबसूरत होता जो यह
जहाँ तेरा,तो यक़ीनन रूह से साँसों को आज़ाद करने के लिए...हर रोज दुआ का दिल न किया होता...
जो नज़ारे ऐसे कि तेरी खुदाई से ही दिल भर आया....शिकवा नहीं,शिकायत भी तो नहीं...लेकिन
दुबारा फिर यहाँ न आने के लिए,तुझ से गुजारिश करने का मन हो आया....खूबसूरत होता जो यह
जहाँ तेरा,तो यक़ीनन रूह से साँसों को आज़ाद करने के लिए...हर रोज दुआ का दिल न किया होता...