Tuesday 31 March 2015

साॅसो मे घुल रही है तेरे सपनो की महक--वो सपने जो बस तेरे है और मेरे है--हजारो

उममीदो के साथ चल रहे है साथ तेरे-इक नई दुनियाॅ की तलाश मे---वजूद तेरा भी है

वजूद तो मेरा भी है--मनिजल तो तेरी भी वही,मेरी भी वही--रासतो के दरमय़ा कयू है

इतनी उलझने-कयू नही हो पाता तेरा मेरा मिलन-कयू खामोशियो मे घुलती जा रही है

तेेरे मेरे सपनो की सहऱ----------

Sunday 29 March 2015

लुटा दी पयार की दौलत हर उस शखस पर-जो जुडा रहा किसमत से मेरी--ऱाहे-मुसववऱ

मे तनहाॅॅ जो कभी हुए-ना बताा पाए खुद की उलझनो का सिला--जो बताया कभी रॅजो-

गम अपना-खुद अपनी कशती ही डुबो बैठे--अशको से भिगोया जो दामन अपना-उनही

अशको से फिर बचाया दामन अपना-पाके-मुहबबत ना हासिल कर पाए कभी----बस

लुटाते रह गए पयार की दौलत हर शखस पर-जो जुडा रहा जिनदगी से मेरी---

Friday 27 March 2015

मेरे मासूम चेहरे को ना देखो-फिदा हो जाओ गे---मेरी मुहबबत को ना परखो-फना हो

जाओ गे---मेरे गुसताख इरादो पे ना हो कुरबान-जिनदगी से ही बेजाऱ हो जाओ गे-----

कभी फुऱसत से जो देखो गे मेरी निगाहो की चमक---अललाह कसम-----मेरा ही बनने

पे मजबूर हो जाओ गे----------

Wednesday 25 March 2015

हर तरफ फैली हैै तेरी चाहत की खुशबू की लहर--महक रही है मेरे मन की बगिया शामो

सहर---अनजाम नही सोचा इस पाक मुहबबत का--हवाओ के हर झोके से जुडा है तेरी

चाहत का सिला---कदम दर कदम चले है उन चाहत की आवाजो पे-कि---कही लौट ना

जाए तेरी चाहत की नजऱो की वो बेशुमार लहरे------------
खामोशियाॅ सफर करती है-बनद दरवाजो की आहट पे---गुजऱ जाते है कई लमहे इन

बेआवाज अफसानो पे--छू लेती है बहाऱे इशक का फऱऱमान बन के--कभी रो देती है

मजबूर-ए-इशक बन के---आ लौट चले कुदऱत की पनाहो मे--यहा सकून-ए-दिल कभी

हासिल ना कर पाए गे----------

Monday 23 March 2015

टुकडे दिल केे नही किए तुम ने-पर अरमान जरूर तोडे है---जब हजारो रॅग बिखेर रही

है जिनदगी-तब कयो तेरे जजबातो के लिए रोए है---समभलने के लिए तो वो बुरा वकत

ही काफी है-फिर तेरी ही आगोश मे रोने के लिए कयो तडपे है---बुला रही है जिनदगी

दामन मे मेरे फूल सजाने के लिए-फिर भी ना जाने कयू तेरी बेवफाई के बावजूद-तुझे

ही पाने को कयू मरते है-----

Sunday 22 March 2015

हम ने तो अपनी हॅसी से उडा दी हर बात तेरी--बेखबर रहे कि हमारी हॅसी ने ही चुुरा ली

रातो की नीॅद तेरी---तेरे मासूम चेहरे पे जो नजऱ पडी मेरी-खोया दिल का चैन-बदल दी

दुनिया ही मेरी---इतनी शिददत से जो चाहो गे मुझ को--तो छोड दे गे यह जहाॅ-बस आ

कर सजा दे गे दुनियाॅ तेरी------------

Friday 20 March 2015

जिनदगी खतम हो कर भी खतम नही होती-यादे बन कर साॅसो से लिपट जाती है-हर वो वादा पूरा किया है हम ने-जो दिया था तुम को-यकीकन तेरे रूखसत होते ही सब ने --बहुत रूलाया है--यह जान कर कि तुम अब कभी लौौट कर नही आओ गे-दिल बहुत दुखाया है----रूखसती के बाद भी तुम मिलते हो मुझ से-----यह जान जाए गे ----तो कया यकीन कर पाए गे----पर कसम खुदा की---तेरे मेरे मिलन को रोक नही पाए गे--------
वही रॅगत-वही चेहरा-वही मुसकान होठो पे------भूल नही पा रहे है तेरा वो पैगाम-------

कि सदियो मे खिलते है ऐसे फूूल-जो सदाबहार रहते हैै---आओ कभी भी लेने हमे-मगर

हमनवाॅ मेरे-तेरे लफजो का मान रखे गे मरते दम तक------रहे गे सदाबहार यू ही------

कयो कि तेरी किसी चाहत को नकारना रहा है हमारे लिए बहुत ही मुशकिल-------------

Thursday 19 March 2015

इखतियाऱ ही नही है आज भी अपने जजबातो पे-इनकार नही है फिर भी तेरी उन

बेमिसाल बातो से---रूह तेरी मे समा चुके है खामोश मुहबबत बन कर-यह बात और है

कि तेरे पयार मे शिददत ही नही आज तक---तेरी बातो की नरमाई,मगर निगाहो की

बेरूखाई--समझ नही पाए आज भी कि तुम मुकममल हो या अधूरी सी बेवफाई------

Wednesday 18 March 2015

मै वो कहानी हूू-जिसे तुम कभी लिख नही पाओ गे--मै वो नगमा हू-जिसे तुम कभी

गुनगुना ना पाओ गे--खामोशी से भरा वो दरद हू-जिस को चाह कर भी कभी महसूस

नही कर पाओ गे--मेरे कदमो की वो आहट-सुन कर भी सुन नही पाओ गे---मगर मेरी

बेइनतहाॅ मुहबबत की चाहत सदियो तक करते जाओ गे----------

Monday 16 March 2015

कभी तोडा-कभी मोडा-कभी खवाबो को यू रौदा----सिसकते रह गए तनहाॅ मगर- तुम ने

आजमाना नही छोडा--वही आॅसू,वही आहे मगर-तुमहे पयार करना नही छोडा---तुम

करो कितने सितम मगर-तेरी आशिकी करना नही छोडा---तुम लौटो या ना लौटो मगर-

तेरा इनतजार करना नही छोडा--------

Sunday 15 March 2015

मगरूर नही है तेरे पयार मे,बस मशहूर हुए है तेरी चाहत मे---जमाना दे रहा है दुहाई,पर

वकत नही है पास मेरे जमाने को बताने का--- मुहबबत के परिनदे है,सितम जमाने के

ना सह पाए गे---हजाऱो पाबनदियो के बाद भी अपना मुकाम बनाए गे--इबादत मे फना

की है मुहबबत अपनी,फिर डर जाए जमाने से-यह गुसताखी नही कर पाए गे----

Friday 13 March 2015

नजऱ भर जो देखा तुझे,कयू नजऱ भर आई मेरी--एक कदम जो साथ चले तेरे,कयू पूरा

सफऱ तय करने की खववाहिश मन मे आई मेरी-दिल के बनद दरवाजे पे दसतक दे रही

है निगाहे तेरी,कयू महसूस कर रही हू तेरी सरगोशियाॅ पनाहो मे मेरी--यह इशक है तेरा

या कशिश मेरी चाहत की,कयू बार बार बुला लेती हैै तुझे निगाहे मेरी------------

Thursday 12 March 2015

लबो पे मुसकुराहट लिए-हम जमाने मे मशहूर है---अनदर की बेबसी को-अपनी तनहाई

मे समेटे हम मशगूल हैै----जो कभी रो दे गे-तो जमाना उठाए गा हजारो सवाल हम पे--

कयू बिखरे है बेवजह-पूछे गे सब हम से----हमारी मुसकुराहट-हमारी हॅसी-कया कीमत

है इस की--नही जानते---बस खबर है इतनी-कि हमारी हॅसी से जिनदगीयाॅ गुलजाऱ है

कितनी------------

Wednesday 11 March 2015

रिशता सात कदमो का नही-सात जनमो का है---फिर कभी पास रहो या दूर-इतमीनान

सिरफ फरजो का है---बेवफाई की उममीद ना तुम से है-ना हम ही ऐसा कर पाए गे----

कयो कि मुहबबत का फरमान दोनो का है---खुदा को पुकारे गे तुम से मिलने के बाद--

कि जिनदगी मे इनतजाऱ अब नजारो का है------

Sunday 8 March 2015

मै जो कहू गी-वो कया तुम दे पाओ गे---मेरी हसरतो का वो सॅसार लौटा पाओ गे,जहाॅ

भारी कदमो से मै चली थी तेरे पीछे--वो रासते लौटा पाओ गे-----ताउमर बाॅटी सभी को

खुशियाॅ-पर अब- कया मेरा दामन सितारो से भर पाओ गे---जुसतजू तेरी ही की थी मैने

पर पाया नही तुझे मैने-कया मेरा अधिकार मुझे दे पाओ गे--मै जो कहू गी वो कया तुम

दे पाओ गे----------------

Saturday 7 March 2015

तेरा शहर गर हसरतो का शहर होता-तो हम चले आते----अपनी जिनदगी का सकून

तलाशने ही चले आते----रफता रफता जो साॅसो को चलाया है हम ने---तेरे शहर के

मौसम से साॅसो की ऱफतार बढा लेते-----य़की होता गर कि तेरे सीने मे भी इक दिल है--

तो अललाह-कसम अपना वजूद मिटाने ही तेरे पास चले आते-----पर आलम है यह कि

तेरे पतथर दिल की तरह,वीरान है तेरा शहर--वरना् हम तो बेमौत मरने चले आते------

Thursday 5 March 2015

पलके बिछाए बैठे है तेरी राहो मे--यह इनतजाऱ कोई कम तो नही----तुम ने लगाए

कितने इलजाम मुझ पे--फिर भी तलबगार है तेरे,यह कोई कम तो नही---हवाओ के

रूख मोड कर तुमहे बुलाया है हम नेे--यह बुलावा भी कोई कम तो नही---तेरी बेवफाई

से दिल रोया है जाऱ जाऱ,फिर भी इबादत के लिए-बस-तुमही को पुकारा है-यह भी कुछ

कम तो नही------------

Tuesday 3 March 2015

कही से लौट के आजा-मेरे हमदम-कि बहुत उदास हू मै---दुनियाॅ बेशक साथ चले मेरे,

पर तेरे बिना बेकार हू मै--कई उलझने,कई बाते-कभी दिल को रूला देने वाली यादे-आज

भी चल रही है साथ मेरे-----कहे किस से दिल के यह ऱाज----बस------कही से लौट के

आजा मेरे हमदम--मेरे हमनवाज----------------

Sunday 1 March 2015

आप की खामोशी मे छिपा वो ऱाज-जानते है हम----बरसो बाद मिले हो फिर भी-आप

का अनदाज पहचानते है हम---वो आप का यू मुसकुराना-फिर एक अदा से घूम जाना--

जानते है हम--दुनियाॅ की नजऱो मे-आप तनहाॅ है बेशक--पर आप की खुशी का मतलब

----सिरफ------जानते है हम----------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...