Friday 17 February 2017

दोस्तों...ज़िन्दगी सुख-दुःख का संगम है..दुनिया का कोई भी इंसान ऐसा नहीं होगा जिस को कोई दुःख दर्द न हो...हर इंसान दुसरो को देख कर अक्सर यह सोचता है यह कितना खुश है,सुखी है--काश मेरा जीवन भी ऐसा होता--कदापि नहीं---जो इंसान आप को हमेशा खुशहाल नज़र आता है,उस ने सही मायने मे अपने दुखो के साथ जीना सीख़ लिया होता है--दोस्तों,अपनी परेशानियों,तकलीफो और तमाम दुखो के साथ जीने की एक आदत बना लीजिये--आप के हिस्से मे जितने सुख,ख़ुशी है,उसी मे सन्तुष्ट रहना सीख़ लीजिये---सुबह उठ कर ईश्वर को धन्यवाद जरूर दे,आप के पास बहुत कुछ ऐसा है जो दुसरो के पास नहीं है---यह ज़िन्दगी सब को सब कुछ नहीं देती,पर जो भी देती है उसी मे शांति से जीना ही ज़िन्दगी है---खुद को पूर्णतया ईश्वर को समर्पित कर दे,उन की मर्ज़ी के बिना कुछ भी नहीं हो सकता----बस खुश रहना सीखे---नई सुबह आप सब के लिए मंगलमय हो...शुभ प्रभात दोस्तों---

Sunday 5 February 2017

मुड़ के जो पीछे देखा राहे बंद थी..आगे बढे तो बहुत अँधेरा था--गहन सा अँधेरा और बेख़ौफ से हम

तुम साथ नहीं थे,कोई साथ नहीं था..नज़रे जो कभी उठी थी हम को प्यार देने के लिए..तेरे जाने के बाद

बदल गई वो तमाम नज़रे खफा होने के लिए--कसूर सिर्फ था इतना कि तेरा साथ छूटा था,ग़ुरबत क़ी

राहों मे दुनिया का साथ भी छूटा था---समझ आया क़ि खता ना हो तो भी सजा मिलती है--देख तेरे जाने

के बाद ज़िन्दगी कितनी ही बदली है--- 
वो चिंगारी तेरी मुहब्बत की,सुलग रही है आज भी सीने मे मेरे---हल्का हल्का सा नशा,वो खोई सी

नज़र, कही आज भी है उस का असर---खुद को देखते है जब जब आईने मे,तेरी ही सूरत का अक्स

दिखता है---हाथ उठते है जब भी तुझे दुआ देने के लिए,खुदा से अपनी सांसो का सौदा भी कर लेते

है---सुबह की इस अंगड़ाई मे,तेरे मासूम सूरत पे ग़ज़ल लिखते है---कोई कुछ भी कहे,लिखते लिखते

आंसू बहते है आज भी मेरे---

बहुत कुछ है ऐसा तेरी यादो के ख़ज़ाने मे,कि बरसो बाद भी हर याद तेरी इस दिल मे समाई है...हर

रात जब भी आई है,वो तेरी बाहों की कसक दिलो-दिमाग पे छाई है...खामोश रहे या ज़िन्दगी को जिए

पर हर लम्हा तेरी रूह को खुद की रूह से बेपनाह सलामी देते आए है...कौन जाने गा मेरी बेज़ुबाँ मुहब्बत

की दासताँ को,आज भी मेरे चेहरे का नूर तेरी उसी मुहब्बत से झलकता है...वक़्त अभी बाकी है,तेरे पास

आने के लिए..पर कैसे बताये इस ज़माने को कि सफर का आखिरी पडाव बसने को अभी बाकी है...
राज़ तेरे जान कर तुझ से प्यार करना फिर भी नहीं छोड़ा...दुनिया कहती है बेवफा तुझ को,इस बात से

खफा हो कर तुझ से मिलना भी नहीं छोड़ा...तेरी रातो पे पहरा है किसी और की चाहत का,यह जान कर

तेरी इबादत करना कभी नहीं छोड़ा...मुकम्मल नहीं तेरी राहे-वफ़ा,क्या फर्क पड़ता है जो तूने हमे एक

नज़र ही नहीं देखा...लोग हो जाते है फ़ना मुहब्बत मे,हम ने तो तेरी बेरुखी के बाद भी तुझ से प्यार

करना आज भी नहीं छोड़ा....

Friday 3 February 2017

आंखे नम ना कर कि ज़िन्दगी फिर न मिल पाए गी..टूट के इतना भी ना चाह मुझ को कि सांसे बिखर

ना पाए गी..चूड़ियो की खनक ताग़ीद करती है कि आ अब बहक ले ज़रा,मौसम यह प्यार का फिर लौट

के ना आए गा....हर वह छोटी सी ख़ुशी ज़ी ले संग मेरे, जो मेरी तेरी राहो को दूर तक साथ ले जाये गी

यह तक़दीर भी अजब शै है जानम,कभी देती है ख़ुशी तो किसी रोज़ झटके से फ़ना भी हो जाये गी .....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...