ना भी नहीं...हां भी नहीं---जहा तक जाती है नज़र,वहा तक तेरी बेवफाई के निशाँ कही भी नहीं----
पलट कर तेरा मुझे देखना,पर लब पे मुस्कराहट कही भी नहीं---तेज़ कदमो से मेरी तरफ लौटना
पर बिना देखे मुझे रफ़्तार से चले जाना...मुहब्बत का एहसास अभी भी नहीं----रुखसती के वक़्त
पलकों का नम होना,पर आंखे मिलाने की हिम्मत कही भी नहीं..कही भी नहीं-----
पलट कर तेरा मुझे देखना,पर लब पे मुस्कराहट कही भी नहीं---तेज़ कदमो से मेरी तरफ लौटना
पर बिना देखे मुझे रफ़्तार से चले जाना...मुहब्बत का एहसास अभी भी नहीं----रुखसती के वक़्त
पलकों का नम होना,पर आंखे मिलाने की हिम्मत कही भी नहीं..कही भी नहीं-----