Tuesday 30 April 2019

शिकस्त दे रहे है हर रोज़ इन गमो को धीरे धीरे--लोग कहते है हमारी मुस्कराहट और गहरी हो रही

है धीरे धीरे--चेहरे का नूर रोज़ बढ़ रहा है धीरे धीरे--कुछ सुना तो कुछ अनसुना कर दिया--ज़मीर

अपने की सुनी और दिल को प्यार से समझा दिया--यह बात और है कि रोज़ मुलाकात करते है इन

गमो से,आईना गवाह है कि संभलते भी है तो धीरे धीरे---शिकस्त दे कर पूरी तरह,चमके गे सूरज

की तरह--------मगर धीरे धीरे--

Saturday 27 April 2019

आज का सपना कैसा था..लगता है हकीकत का कोई जीता जागता भुलैखा है---बरसो पहले जो सबक

सिखाया,उस की कीमत दिल ज़मीर के आस पास ही है--माँ  के घर की चौखट पे पांव धरने आज भी

 जाती हू--हर दीवार पे,तेरे होने के अहसास को समझ पाती हू--,तेरी हर सीख को माँ आज भी रूह से

निभाती हू---खून का रिश्ता भले ना था,पर मैंने तो तुझी को माँ माना था--तेरी धरोधर तुझी को सौंपू

मेरी हकीकत का यही भुलैखा है---


Friday 26 April 2019

चल आज दुआओ से भर दे हर आँचल,कि माँ ने मुझे अपने प्यार से उठाया है--गोद भले ना मिली,मगर

सपने मे लाड लड़ाया है--यूं आना तेरा माँ कभी कभी,मेरे दिल को सकूँ दे जाता है--नहीं बता सकते इस

अहसास को,जो इस दिल को तुम ने आज दिलाया है--जी रहे है ज़िंदगी को आज भी तेरे ही असूलों के

तले,तभी तो तूने माँ हर बार प्यार से मुझे संवारा है--

Wednesday 24 April 2019

पलट कर देख जरा,सदियों से तेरे दीवाने है--सांसे इतनी भी नहीं ली होगी तूने,जितनी बार नज़र तेरी

उतारी है मैंने--माना कि आईना भी तेरी सूरत को देख जला करता है,एक है यह मेरी कशिश जो ठंडी

आहे भरा करती है--लुट चुके है तेरे प्यार मे इस कदर,कि भीगे बारिश मे तो भी तड़प का अहसास होता

है---सदियों से तेरे आशिक है,मगर पलट कर तूने एक बार भी मुझे देखा ही नहीं---

Saturday 20 April 2019

दबे पाँव फिर आज.. तेरी मुहब्बत ने इस दिल पे दस्तक दी है--हम सोचते रहे तुझे भूलने मे

कामयाब हो गए है,दर्दे-दिल से निकलने मे बहुत आगे आ गए है--हर याद तेरी को किसी कोने

मे दफ़न कर चुके है--बहा सैलाब जो इन आँखों से आज,दामन मेरे को भिगो भिगो गया--भूल

जाना तुझे आसान नहीं,उन यादो से भागना भी मुमकिन ही नहीं--यक़ीनन तेरी मुहब्बत ने

दस्तक फिर दी है आज---

Thursday 11 April 2019

लिखते लिखते इन अल्फाज़ो ने कहा..कभी तो इन पन्नो पे बात अपने दिल की सुना..ज़माना भी

तो सुने जो तेरे मन मे है,उस की खबर इन को भी बता...मुस्कुरा दिए इन अल्फाज़ो पे..क्या कहे

इस ज़माने से कि ज़िंदगी से मुहब्बत है इतनी..जहा धरते है पाँव खुशियाँ लुटा देते है वही..कोई

कुछ भी क्यों ना कहे,बस मुस्कुरा कर आदाब बजाते है वही..

Monday 8 April 2019

हँसते हँसते बस छलक आई आंखे,यक़ीनन  माँ की दुआ का असर है...खुद-ब-खुद चल कर आना चाहती

है मंज़िल,ऊपर वाले के प्यार का असर है...इबादत मे जुड़े यह हाथ,खुद ही खुदा से क्या मांग बैठे ....

अब लगता है जितना दर्द सहा अब तक,उस के ख़तम होने का वक़्त आया है...अहसान कितना लेते

परवरदिगार को आखिर हम पे रहम आया है...

Saturday 6 April 2019

झर झर बहते पानी की तरह,ज़िंदगी अपनी को बहाते ही रहे...रुकने का कही नाम ना था,हवाओ की

तरह उड़ते ही रहे...कब भीगे यह नैना,कब हंसे किसी रैना मे यह नैना...मुस्कराहट रही इतनी गहरी

कि खुद के गमो को कभी जान कर भी ना जाना...उदासी मे भी खिलखिला कर इतना हंसे,ज़माना

रश्क करता रहा और हम ज़िंदगी अपनी को हवाओ की तरह उड़ाते ही रहे..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...