झर झर बहते पानी की तरह,ज़िंदगी अपनी को बहाते ही रहे...रुकने का कही नाम ना था,हवाओ की
तरह उड़ते ही रहे...कब भीगे यह नैना,कब हंसे किसी रैना मे यह नैना...मुस्कराहट रही इतनी गहरी
कि खुद के गमो को कभी जान कर भी ना जाना...उदासी मे भी खिलखिला कर इतना हंसे,ज़माना
रश्क करता रहा और हम ज़िंदगी अपनी को हवाओ की तरह उड़ाते ही रहे..
तरह उड़ते ही रहे...कब भीगे यह नैना,कब हंसे किसी रैना मे यह नैना...मुस्कराहट रही इतनी गहरी
कि खुद के गमो को कभी जान कर भी ना जाना...उदासी मे भी खिलखिला कर इतना हंसे,ज़माना
रश्क करता रहा और हम ज़िंदगी अपनी को हवाओ की तरह उड़ाते ही रहे..