आज से हम भी इस ज़िंदगी से दग़ा करने वाले है..इस को हराने के लिए इसी पे भारी पड़ने वाले है..हर
लम्हा रहे गे खुश,बेशक यह हम को हर लम्हा दर्द देती जाए..बेवकूफ बनाती आई है यह हम को बरसों
से..दे के ख़ुशी ढेर सारी हम को हंसाती है इतना कि आँखों से ख़ुशी तक टपका देती है..मर्ज़ी हो इस की
तो झट से बेइंतिहा रुला देती है..इतना दर्द देती है कि याद माँ की आ जाती है..तू भी याद रखना ऐ ज़िंदगी
आज से,कोई तुझ पे भी भारी पड़ सकता है..तू दे ख़ुशी या दे गम बहुत..हम मुस्कुराते जाए गे..तब तक
जब तक तेरे खुद के आंसू ना निकल जाए गे..
लम्हा रहे गे खुश,बेशक यह हम को हर लम्हा दर्द देती जाए..बेवकूफ बनाती आई है यह हम को बरसों
से..दे के ख़ुशी ढेर सारी हम को हंसाती है इतना कि आँखों से ख़ुशी तक टपका देती है..मर्ज़ी हो इस की
तो झट से बेइंतिहा रुला देती है..इतना दर्द देती है कि याद माँ की आ जाती है..तू भी याद रखना ऐ ज़िंदगी
आज से,कोई तुझ पे भी भारी पड़ सकता है..तू दे ख़ुशी या दे गम बहुत..हम मुस्कुराते जाए गे..तब तक
जब तक तेरे खुद के आंसू ना निकल जाए गे..