Sunday 31 March 2019

भोर का उजाला अभी फैला भी ना था कि खुदा की सौगात बन घर कोई महकाने आया था...ना कोई

रिश्ता था ना कोई नाता था,पर फिर भी जोड़ने सब को आया था..लफ्ज़ एक ना कहा कभी,माँगा कभी

कुछ भी नहीं..बिन मांगे प्यार दुलार लेता रहा,बदले मे सकूँ दिल का सब को देता रहा..मासूम आँखों ने

सब को लुभाया,जान बन के वो सब के दिल मे...बसा इतना कि राज़ उस के आने का आज तक समझ

किसी के आया ही नहीं...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...