Wednesday 13 March 2019

परिभाषा प्यार की कितनी तुम समझे...कुर्बान होना है कितना,क्या पता कितना समझे...कदम

कदम पे साथ चलना या कदमो को पीछे लौटा लेना...ग़ुरबत की कहानी मे शान से जीना...चमक

चेहरे की कभी ना फीकी होने देना..ऐशो-आराम नहीं मगर ऐश से जी लेना..दिल उदास है मगर

हंसी लबो की कभी कम ना करना...परिभाषा प्यार की यही है..फ़ना होना और बस फ़ना होना..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...