Monday 31 December 2018

आधे अधूरे चाँद की तरह..तो कभी सूरज की तेज़ रौशनी की तरह...कभी कभी हवाओ के बदलते

रूख की तरह..धीमे धीमे मगर दिए की जलती लो की तरह...खामोशियो मे रहे तो कभी आवाज़ की

बुलंदियों की तरह...दिन तो हर साल यही रहा मगर, कभी रहे फूलो की खुश्बू की तरह तो कभी

खिल उठे पूरे चाँद की तरह..
सुर्खियों मे रहे या बिंदास जिए..जिए तो ऐसे जिए जैसे महबूब की हर खवाहिश को मद्देनज़र रख

के जिए..सहज मन से जिए..ना उस के लिए ना इस के लिए,जिए तो अपनी खुद्दारी के लिए ही जिए ..

कोई कहता रहा बुरे है हम,कोई बोला अहंकार से भरे है हम...किसी ने बिठाया सर आँखों पे हमे,तो

कही किसे के शिकवे चलते ही रहे..सच कहे हम ने दो काम किये..साजन की यादो मे जिए और कलम

का साथ लिए सहज मगर बिंदास जिए...

Sunday 30 December 2018

दुल्हन की तरह दिखने के लिए,जरुरी तो नहीं लिबास दुल्हन जैसा ही पहना जाये..सजने के लिए यह

अहम नहीं कि जेवरात से ही सजा जाये..चमक चेहरे पे नज़र आये,क्या जरुरी है आईने के आगे ही

बैठा जाये..जब नज़र पारखी है मेहबूब की, सादगी मे मेरी  तुझे  अपनी दुल्हन नज़र आये..जब तेरी

याद भर से हम मुस्कुरा दे और तेरे लफ्ज़ो को अंदाज़ प्यार का मान ले.........कि तेरे जैसी दुल्हन

सदियों मे ही पैदा होती है...

Saturday 29 December 2018

किवाड़ बंद कर दिए है तेरे ही घर के..बस माँ की दुआओ को छोड़ आये है उसी के घर मे..इंतिहा जनून

की है इतनी कि तेरे लिए आज भी अपनी तक़दीर से लड़ते आये है...क्या ख़ुशी क्या गम,हर दिन हर

पल तेरा ही इंतज़ार करते आये है...दिन तेरा होगा मगर आज भी उसी ख्याल मे जीते आये है..लौट

के जाना है आखिर तेरे ही आशियाने मे,माँ की दुआओ के साथ तेरे उसी साथ को आखिरी पलों मे

समेट लेने की कसम रोज़ खाते आये है...

Friday 28 December 2018

जो मुनासिब ही नहीं तो मुखातिब क्यों हो..मुहब्बत ज़ेहन मे ही नहीं तो रंजिश का नाम क्यों ले..

पर्दा किया नहीं कभी तो पर्दानशी भला क्यों रहे..अजीब से सवालात है जब तो किसी सवाल का

जवाब क्यों कर दे..तुम शाहजहाँ नहीं तो मुमताज़ बन कर तुम्हारी खिदमत भला क्यों करे..नज़र

का धोखा बन कर नज़र मे बसने की बात अब भला क्यों करे....
आहटे कभी झूट बोला नहीं करती,वो तो अक्सर रूह को आवाज़ दिया करती है...मन्नतो की गली से

निकल कर,हकीकत को इक नया नाम दिया करती है...बरकत देती है तो साथ मे ख्वाहिशो को भी

एक नया आयाम दिया करती है.. बहुत कम लोग इस बात को समझ पाते है,और जब तक समझ

पाते है यही खवाहिशे दम तोड़ दिया करती है..सब कुछ किताबो से गर हासिल होता,तो आहटों के

संसार को कौन समझ पाता..रूह की आवाज़ का दर्द लफ्ज़ो मे ना जाया होता..
मजबूरियां जो कभी सर चढ़ कर मज़ाक बनाया करती थी, तेरे आने की ख़ुशी मे दिल से मुस्कुराया

 करती है...तू कही भी नहीं यह जता कर,तेरे मेरे रिश्ते को झूठलाया करती है...अजनबी बन कर

अपनों के साथ भी परायों की तरह रहते है..जिस बात को सच कोई ना समझे,उसी राज़ को सब से

छुपाया करते है.. इस नासमझी की दाद देते है सभी को,हमारी ही हंसी को हम से छीन लेने का

किरदार निभाया करते है...
दिल और दिमाग की जंग मे,ताउम्र दिल की ही सुनते आए..यह दिल जब जब रोया,तब तब खुद

को भी रुलाते आए...नासमझी मे इसी नादान दिल का कहना मान,ज़मीर की धरोधर को बस भूलते

चले गए..जज्बातो को अहमियत देते देते खुद की ज़िंदगी को बर्बाद करते रहे..आज बात कुछ और है

कहा दिल से.आंसुओ की जगह कही नहीं ...और दिमाग की सोच को कहा...तेरा काम है फैसलों को

ज़माने के आगे रखना...

Tuesday 25 December 2018

नैनो मे चमक लिए बिजली सी..दिल की धड़कनो को संभाले हुए हौले से,सर से पाँव तक रँगे हुए

रंग मे तेरे..तेरे ही दिन के इंतज़ार मे तमाम यादो को साथ लिए,फिर से तेरे ही साथ कही खो जाये

गे ...तेरे ही मुताबिक तेरे ही लिए,हमेशा की तरह इस दिन को यादगार बना जाये गे...आंसुओ को

कह चुके कब से अलविदा,तेरे ही नाम के साथ इस ज़िंदगी को सकून से बिताए गे...

Saturday 22 December 2018

स्याही जो फैली पन्नो पे,घबरा गए...दो बून्द आंसू आँखों से गिरे,और माज़रा सारा समझा गए...ओह

अब काम हीं नहीं इन आंसुओ का,जो गुजर गया वो तो भुला चुके..ज़माना बुरा है बहुत,उन रास्तो को

कब का छोड़ चुके....मान सम्मान देने के लिए,आज भी बहुत है फ़रिश्ते जो हमारी क़द्र करते है..कलम

हमारी की आज भी परवाह करते है...तभी तो यह कलम दर्द के साथ मुहब्बत को भी पन्नो पे बिखेरा

करती है..ना अपनी आँखों को रोने से मना करती है,अपने तमाम फ़रिश्तो को भी ऐसी कलम की ताकत

से रूबरू करती है......
शिरकत जो की महफ़िल मे धीमे कदमो से,मंज़र सारा बदल गया...मुस्कुरा कर जो आदाब किया सब

से,महफ़िल मे जैसे धमाका सा ही हो गया...अपनों को देखा तो आंखे चमक उठी,लोगो को बिजली का

चमकना ऐसा ही अंदेशा हुआ...गुफ्तगू करने जो लगे,सब को सितारों का टिमटिमाना क्यों लगा...अदा

से घूमे जहा तहा,महफ़िल को तो जैसे हमारा आना एक खूबसूरत बहाना ही लगा...क्या कहे मामूली से

किरदार है,कुदरत के हाथो से बने..अब यह जहाँ तारीफ पे तारीफ दे तो भला हम क्या करे...
सब कुछ जान कर भी अनजान बने रहना..देख कर सब कुछ,मगर सब कुछ अनदेखा कर देना...जो

सुनाई दिया वो कानो को भी खबर ना होने देना...लोग कहते है कि बहुत बदल गए है हम..सच तो

यह है कि सभी से बेखबर हो गए है अब...टुकड़े टुकड़े जीना छोड़ चुके है मगर खुद के लिए जीना है

कैसे...यह सब सीख गए है हम...

Friday 21 December 2018

यह कलम जब जब चलती है इन पन्नो पे,हज़ारो सवाल उठा जाती है....फिर यही कलम हर जवाब

को समेटे इन्ही पन्नो मे लिपट जाती है...कितने ही सवाल और उन के ढेरो जवाब,पन्ने जो अब ढल

चुके है नायाब सी किताब मे....वक़्त तो चल रहा है अपनी चाल से,कहू भी तो रुकता नहीं मेरे कहने

के हिसाब से...हर हर्फ़ को समेटे इस किताब मे,कितने आदेश दे चुका हर हर्फ़ आने वाले वक़्त के

हिज़ाब से...स्याही अभी लिख रही है कुछ हर्फ़ अपने विचार से,सोचने की बात है क्या लिखा जाये गा

पन्ने के अंतिम भाग पे...

Thursday 20 December 2018

अर्ध विराम,फिर से अर्ध विराम...अब है पूर्ण विराम....बचा है अब जीवन मे देखने,असली चेहरे असली

नाम....कहाँ किसी ने किस को फांसा,चक्रव्यहू मे किस ने कितना जाल बिछाया...मिठास भरी जिन

बातो मे,कितनी मीठी कितनी तीखी...अंत तक हाथ कौन थामे गा,परख अभी बाक़ी है...ना कुछ लेना

ना अब  कुछ देना,मिटते मिटते जंग सारी खुद ही लड़ना..क्यों कि परख अभी भी बाक़ी है...
तेरे पहलू मे हू...यह एहसास अब भी है मुझे...चूड़ियाँ पहनी नहीं कभी,मगर उन की खनक की आवाज़

आज भी आती है मुझे...पायल को संभाल कर रख छोड़ा है तेरे दिए उसी बक्से मे,छम छम की आवाज़

फिर भी सुनाई देती है मुझे...सज़े नहीं सवरे भी नहीं बरसो से,पर आईना जब भी देखती हू तेरा ही अक्स

मेरे चेहरे पे दिखता है मुझे...यह जनून है उस प्यार का या रिश्ता रहा है रूहों का,दुनिया से अलग,सब

से बेखबर जी रहे है तेरी उसी धुन मे मगर...

Wednesday 19 December 2018

जिक्र जब जब हुआ तेरी बातो का,क्यों यह दिल उदास हो गया...भॅवर मे जो देखा किसी को,यह मन

क्यों परेशां हो गया...हिम्मत जो किसी की टूटी देखी,खुद अपना ज़माना याद आ गया...ना जाने कैसे

कैसे मोड़ थे,जब ज़माना दर्द पे दर्द देता रहा...पलकों को ना कभी तब नम होने दिया,जब सैलाब का

सामना होता रहा...भरा तो सैलाब आज भी अंदर है,मगर हिम्मत अपनी को दाद देते देते ज़माने को

छोड़ा और ज़मीर अपने का कहना मान लिया...

Monday 17 December 2018

तेरा अंदाज़ जो दिल को ना छुआ होता,तेरी राहो मे तेरे हमक़दम ना बनते...तेरे लफ्ज़ो मे इतनी नरमी

ना होती,तो कभी तेरे इतने नज़दीक ना आते...ग़लतियों पे मुझे यू हक़ से ना डांटा होता,कसम खुदा की

ज़िंदगी  तेरे साथ गुजारने का वादा ना किया होता...टुकड़े टुकड़े कभी यू ना टूटे होते,मरते मरते यू ही

मर गए होते...गर तेरी पाक मुहब्बत ने उस वक़्त सहारा ना दिया होता...

Sunday 16 December 2018

महजबीं ना कहो.. मेहरबां ना कहो...मेरी दी मुहब्बत को अहसान का नाम ना दो..मेरी राहो मे यू

फूल बिछा कर,मुझे मसीहा का ख़िताब ना दो..तुम तारीफ के हकदार हो,मगर खुद को नाचीज़ कह

कर अपना अपमान हरगिज़ ना करो...प्यार कोई खेल नहीं,प्यार बंधन मे बंधा कोई नाम नहीं...

इबादत की चादर के तले,कोई धरम मेरा नहीं,कोई धरम तेरा भी नहीं..फिर इस मुहब्बत को यू

ना मसीहा बना,ना नाचीज़ बन कर मेरा दिल यू  दुखा....

Wednesday 12 December 2018

काजल इतना ना भरो इन आँखों मे,रात अचानक गहरा जाए गी...लबो को रंग ना दो,खिलने दो इन्हे

कुदरत के इशारो पे....क्यों खोलते हो गेसुओं को,घटा देखो ना..कैसे बरस बरस जाने को है...गुजारिश

है आप के इन कदमो से,पहनो ना पायल..कि धरती पे किसी की मुहब्बत को जुबां मिलने वाली है....

बस अब रोक लीजिये अपनी कातिल मुस्कान को,कि किसी की जान आप के लिए कुर्बान होने वाली है 
हवाओ से बाते करते करते किस अनजान जगह आ गए है हम...कौन सी नगरी है,जहाँ कदम बस

अचानक से रुक गए है क्यों ...बसेरा है यहाँ बेशक इंसानो का,मगर दगा यहाँ कोई देता नहीं दिलो को

चीर जाने का...यकीं तोडते नहीं यहाँ मासूम रूहों का,पीठ पे वार करते नहीं प्यार करने वालो का....

चेहरे पे मुखोटे लगा कर,इंसा यहाँ घूमा नहीं करते...जो दिलो को छू ले,ऐसी अनजान जगह आ गए

है हम...

Monday 10 December 2018

हद से गुजरने के लिए,हद से परे जाना भी जरुरी था...प्यार मे पिघलने के लिए,साथ चलना भी

जरुरी था...लबो पे मुस्कान कायम रहे,इस के लिए अंदर से खुश रहना लाज़मी ही था..जब कह ना

सके दिल की बात,नज़रो का सहारा लेना ही इक सहारा था...जब लगा जी ना पाए गे अब तेरे बिना,

मुहब्बत का इज़हार बेहद जरुरी ही तो था...

Sunday 9 December 2018

नज़र हटानी चाही, क्यों नज़र भर सी गई...नज़र मिलानी चाही,नज़र भटक सी गई...सिलसिला उन

बातो का,ख़त्म जब होने को हुआ..क्यों अचानक यही नज़र बरसने बरसने को हुई...लगा ऐसे कि फिर

कभी मिल ना पाए गे...रास्ते जो जुदा हुए अभी,वो पलट कर दुबारा ना आए गे...यह असर था उस

इबादत का या पाक रही मेरी मुहब्बत का...इसी नज़र को ख़ुशी के वो लम्हे देना कि आज जब नज़र

हटानी चाही तो क्यों यही नज़र मुस्कुरा सी गई...

Friday 7 December 2018

लफ्ज़ो की यह अदायगी क्या अजीब उलझन सी है...मिठास जो भर ले,दिल को छू जाती है...नफरत

को जो इशारा दे,ज़िंदगी ही खफा हो जाती है...लड़खड़ा कर जो दगा दे जाए,जीवन ही वीरान कर जाए..

फिर कभी बहुत दूर से खनकता सा इशारा कर जाए,कसम खुदा की......आँखों को ही नम कर जाती है..

अब कहे क्यों ना..लफ्ज़ो का यह खेल अजीब दास्ताँ है...जो कहते ना बने,जो जो लिखते ना बने..



ना निभाना तुम को आया,ना निभाना हम को आया...रिश्तो का दर्द समझना ना कभी उन को आया,

ना हम को समझ मे आया...टूटन तो यहाँ भी थी,टूटन का अहसास वहाँ भी था..कमी रही हर जगह

बस साथ छूट कर भी छूट ना पाया..आज ज़िंदगी मे आगे बहुत आ चुके है,टूटन के उस अहसास को

भुलाने के लिए खुद से भी दूर जा चुके है..कौन जाने ज़िंदगी की यह शाम कब ढल जाए,इसी ज़िंदगी

को मुकम्मल बनाने के लिए अनजान बनना तो अब समझ आया...

Monday 3 December 2018

दरकार नहीं..मुहब्बत का कोई वादा भी नहीं...दूर दूर तक जहा जाती है नज़र,सिलसिला मुलाकातों का

अब भी नहीं...रूसवा भी नहीं..घटा बिखर कर कभी बरस जाए,ऐसा मुमकिन कभी भी नहीं...आसमां

को छू लेने का गम होता है कभी,मगर मंज़िल तक पहुंचे गे यह जनून कायम है अभी....कोई शिकवा

तुझ से नहीं,कि इश्क़ को पास आने दिया ही नहीं...मुहब्बत मे दगा कैसे होती कि मुहब्बत का वादा

दूर दूर तक कही भी नहीं...

Wednesday 28 November 2018

बूंदे यह बारिश की..बे रोक टोक दरारों से अंदर आ जाया करती है...क्यों दे जाती है ऐसा गीलापन,जो

बरसो बाद भी सीलन का अहसास देती है...उजाला सूरज का हो या गर्मी मौसम की,निशान अक्सर

फिर भी छोड़ जाया करती है...दरारे भरते भरते फिर अचानक यह बूंदे क्यों बे रोक टोक दुबारा आ

जाया करती है...क्यों डर नहीं इन्हे सूरज की उस गर्मी का,जो आहे-बगाहे इन्ही को मिटा दिया करती

है...

Monday 26 November 2018

ना जमीं सरकी ना ही आसमाँ खिसका..ना कही शिकवे हुए ना इल्ज़ामो का दौर रहा...ना कहा कुछ

आप ने,ना हम से कुछ बोला गया...रास्ते कब साथ थे,जुदा होने का सवाल कहाँ रह गया...उम्मीदे

टूटी कहाँ, जब उम्मीदों को पास आने का मौका हम ने दिया कहाँ...दुनियाँ बहुत छोटी सी है,आज है

यहाँ,कल ना जाने हम आप होंगे कहाँ .... 

Friday 23 November 2018

पर्दानशीं कह कर ना पुकारा कीजिये हमे ..इन्ही परदे के झरोखो से ही हम आप को निहारा करते है...

जज्बात कही रूबरू ना हो,इसी डर से खुद को इसी परदे मे छुपाया करते है...दुनिया कोई इलज़ाम ना

हम को दे दे,दुनिया कोई फरमान ना आप को सुना दे...अपनी लाज निभाने के लिए इसी परदे को

हमराज़ बनाया करते है...अब ना कहिए हम को आप पर्दानशीं...परदे को अपना हमदर्द समझ इस को

आदाब बजाया कीजिये...

Thursday 22 November 2018

ख्वाहिशो का कभी दम ना निकले,इसलिए रोज़ फूलो से मिलने चले आते है..मुस्कुराना कभी भूल ना

जाए,कलियों को गले लगाने शिद्दत से चले आते है..किसी की बातो से हमारा दिल ना दुखे,इन मासूम

कोपलों को सहलाने अक्सर आ जाते है..इन खुली वादियों मे खुद को सलीके से,इस तरह झुका देते है

कि नज़र ज़माने की बुरी कितनी भी क्यों ना हो..इन से अपनी नज़र उतरवाने प्यार से चले आते है..

Tuesday 20 November 2018

यु तो रोज़ दुआओ मे सब की खुशिया माँगा करते है..दर्द ना मिले बस सकून की वजह ही माँगा करते

है...परवरदिगार दे सब को इतना कि झोली कभी ख़ाली ना हो...रोशन रहे सब का जहाँ,अंधेरो की कोई

जगह ही ना हो..रुके ना कदम कभी,छूटे ना किसी का साथ कभी..दुःख आने से पहले,दुआएँ मेरी तुझे

आगोश मे ले ले यू ही....बस दुआएँ देते देते,अपने दिन की शुरुआत ऐसे ही किया करते है...

Sunday 18 November 2018

निहायत खूबसूरत है आप के वो लफ्ज़,जो जीने के लिए आप को ही पुकारा करते है--पाक रिश्ते

के लिए आप के वो पाकीज़ा अंदाज़,दिल को नहीं बस रूह हमारी को छू लिया करते है---रहनुमा

ना सही,हमकदम ही सही--अपनी मुस्कान को कायम रखने के लिए,आप को खुदा कह कर बस

बुलाया करते है--कही खोट नहीं आप की गुफ्तगू मे, इसलिए आप को खुदा का मसीहा जान कर

इबादत मे शामिल कर लिया करते है---

Saturday 17 November 2018

लाज शर्म के बंधनो से दूर,तेरी ही दुनिया मे कदम रखने चले आए है..पाँव की जंजीरो को तोड़,लोग

क्या कहे गे-इस सोच से भी बहुत दूर,तुझ से मिलने चले आए है...रिश्तो की दुनिया बहुत खौफदार

होती है,सवाल पे सवाल करने वाले और खुद को मेरा अपना कहने वाले..अकेले मे इन सब पर बेतहाशा

हंस देते है,क्यों आखिर झूठे प्यार का दावा करते रहते है...सकून तेरी ही बांहो मे पाने के लिए,दर्द से

निजात पाने के लिए..अपने आप को भुलाने के लिए बस तेरे पास चले आए है...

Thursday 15 November 2018

बहारों ने कभी इंतज़ार नहीं किया,हमारी मौजूदगी का...सुनहरे वक़्त को भी कभी याद नहीं रहा

हमारे होने या ना होने का...घड़ी की टिक टिक अहसास दिलाती रही,सुबह और शाम के आने जाने

का...खुशिया दस्तक देती रही यहाँ वहाँ,बस भूल गई रास्ता हमारे पास आ जाने का..दाद दी अपनी

हिम्मत को खुद ब खुद हम ने..बंद दरवाजो को चीरा ऐसे,वक़्त को याद दिलाया ऐसे कि किस्मत

अपनी पे खुद ही रश्क किया ऐसे...अब बहारों को इंतज़ार बस हमारा है..वक़्त को पलटने का वादा

भी अब हमारा है..

Saturday 10 November 2018

क्यों आज फिर मन उदास हुआ मेरा...आँखों से बह रहे यह झर झर आंसू किसलिए...कौन सा दर्द

कौन सी तड़प,क्या बेबसी उदास कर रही है मुझे...दिल के तारो के टूटने की आवाज़ आ रही क्यों

मुझे..क्यों लग रहा है ,कोई दूर बुला रहा है मुझे..मेरे इंतजार मे बहुत मजबूर है कोई मेरे लिए...

शायद आज इन आंसुओ का समंदर,खामोशियो मे..किसी के पास जाने के लिए बेक़रार है ...क्यों

क्यों और क्यों...

Friday 9 November 2018

हसरतो का मेला जो लगा,दिल बेचैन होने लगा...कभी कही उड़ान भरने के लिए,यह मन कुलांचे भरने

क्यों लगा..काश..दौलत के ढेर होते,ऐशो से भरी ज़िंदगानी होती...ना तरसते किसी शै के लिए,रंग-बिरंगी

हमारी दुनिया होती...ढ़ोकर ना देता यह ज़माना,निगाहो मे सब के हमारा बसेरा होता..पर आज दिल का

नरम कोना बोला,जब सकून है तुझे रातो मे..नींद आ जाती है इन आँखों मे...जीने के लिए वो सब कुछ

है,परवरदिगार का साया हर पल है तो नरम कोने की ही सुन..आराम से सो जा और हसररतो को बस

अलविदा ही कर....

Tuesday 9 October 2018

अक्सर गुलाबों से जैसे,तेरी ही महक आती है...पाँव धरते है जहा,तेरे एहसास भर से मेरी दुनिया ही

संवर जाती है...मुस्कुराने की वजह जानने के लिए,क्यों लोग बैचैन रहते है....क्यों बताएं उन्हें कि

सिर्फ तेरे छूने भर से,मेरी इन आँखों मे चमक आ जाती है....रुखसार से जुल्फे उठाने की तेरी यह

अदा,हम तो जैसे पिघले तो बस पिघल ही जाते है....


Monday 8 October 2018

कोई रस्म नहीं,कोई रिवाज़ भी नहीं..बस माँ--बाबा की हिदायतों को मानते मानते परवरदिगार के 

सज़दे मे झुकते चले गए...उम्मीदे ही नहीं,शिकायते भी नहीं...जो दिया,जो मिला..उस के मुताबिक

कुदरत का शुक्रिया अदा करते चले गए...चाहते भी कुछ नहीं,ख्वाईशो का कोई मायने ही नहीं..कुछ

गिला उस मालिक से भी नहीं,कोई उम्मीद उन के बन्दों से भी नहीं...यह सुबह खुशगवार है,हर दिन

को उसी का दिन मान कर....बस सज़दे मे झुकते चले गए...

Wednesday 3 October 2018

तुम्हे गुज़रे ज़माना बीत गया माँ..यह दुनिया कहती है....कही किसी की यादो मे हो,कही किसी के

खवाबो मे हो...बेशक साथ नहीं पाया तेरा माँ,एक लम्बे अरसे तक..पर जितना भी पाया,तेरी बातो से

तुझ को इतना जाना कि तेरे गुस्से मे भी तेरी ममता को मैंने पाया...तेरी हर कही नसीहत आज भी

अपने पल्लू से बांधे हू...लोग कहते है कि मै दकियानूसी हू...पर माँ,तेरी सारी नसीहते अगर आज

भी दकियानूसी है,तो मै आज भी खुशकिस्मत हू,कि तुम मेरी माँ हो...तुम साथ आज भी हो,हर जनम

साथ ही रहना...

दर्द को छेड़ो गे तो वो ज़ख़्मी और हो जाए गा...रोने की वजह पूछो गे बरबस यह दिल और बरस जाए

गा...रातो के अंधेरो मे यह सिसकियां,तेज़ गहराया जाती है...तुझे याद कर के यह सारे ज़हान को ही

भूल जाया करती है....क्या कमी रह गई जो बादलों की गड़गड़ाहट से,आज भी डर जाया करते है....

बारिश की हल्की हल्की बूंदे..जब जब ठहरती है चेहरे पे...हम क्यों उदास हो जाया करते है...
दुनिया की भीड़ मे रहे तो भी दूर रहे....महफ़िलो मे जो गए कभी तो अफसानों से भी दूर रहे...जवाब

तलब करता रहा यह ज़माना, मगर ख़ामोशी का लबादा ओढे  हुए हर सवाल से दूर रहे...बेकार का वोह

तमाशा और झूठी हंसी मे लिपटा हर इंसान एक अजीब सवाल लगा...घुटन के उस माहौल मे हर कोई

बेगाना ही लगा...यह दुनिया रास नहीं आई हम को,इस भीड़ से परे बहुत दूर,बहुत दूर चले गए...

Friday 28 September 2018

नरम गर्म सर्द मौसम आने को है..चल आ घर की दीवारों मे सिमट जाए...हल्का हल्का नशा गुनगुनी

धूप का बस आने को है,आ खुले आंगन मे बिखर जाए...कोई प्यारी सी नज़्म हम आप पे लिख बैठे,

कभी शायराना अंदाज़ से आप हमे देख बैठे...यू तो हज़ारो नगमे सुनाए है इन्ही हवाओ ने...कभी कभी

ख़ामोशी ने भी सुना है तेरे मेरे चर्चो को इत्मीनान से...इंतज़ार फिर से है इस सर्द मौसम का,चल आ

घर की ख़ामोशी पे एक बार फिर तेरा मेरा नाम लिख दे... 

Saturday 22 September 2018

वो तो कांच के टुकड़े थे,जिन्हे हम हीरा समझते रहे...सारी उम्र तराशा मगर, चमक ना दे  कर वो बस

दिल मे ही चुभते रहे...जोड़ने की कोशिश मे,हाथो मे हमेशा दर्द देते रहे....सोचा बहुत बार,चाहा भी

बहुत बार कि कण कण इस का समेटे और एक सार कर जाए..मगर कांच तो कांच रहा,हलकी से

ठसक से टूट गया...धार तीखी फिर ना चुभ जाए,इस खौफ से कांच को कांच समझ छोड़ दिया ....

Monday 10 September 2018

मुलाकात ना कर मगर इकरार तो कर...मिलने का वादा ना सही मगर हसरतो को आबाद तो कर...

बेशक हंसी अपने लबों पे ना ला,मगर इक मीठी मुस्कान का आगाज़ तो कर...झरनो की तरह वो

आवाज़ ना कर,कभी बारिश की बूंदो की तरह बरसात तो कर...बेशक दिल के पन्ने पे मेरा नाम ना

लिख,कभी भूले से मुझे मेरे नाम का कोई इंतज़ार तो कर...
टूटन भरी इस जिस्म मे इतनी...ख़ामोशी लिपटी इस जुबाँ मे इतनी...हर जर्रा जैसे कह रहा मेरे

दिल की दास्ताँ...जिन फूलो से ली थी कभी खुशबू उधार,जिन हवाओ मे थिरके ना जाने कितनी

बार....उस आसमाँ से हाथ उठा कर मिन्नतें की थी ना जाने कितनी ही बार...अपने दामन मे उन

खुशियों के लिए,रोये भी थे कभी जार जार...आज टूटन भरी है जिस्म मे इतनी,कि हर जर्रा कह रहा

जैसे दास्ताँ मेरे ही दिल की....
बहकते बहकते इतना बहके कि धरा के किनारो को भी पार कर आए...ज़माना देता रहा दुहाई पर

हम तो इस ज़माने को ही दगा दे आए...कब तल्क़ परवाह करते ज़माने के बेवजह इल्ज़ामो की...

कहाँ उठाए हमारे नाज़ इसी  ज़माने के  इंसानो ने....बहकना तो अब लाज़मी ही था कि मौत के

खौफ से परे हम इसी ज़िंदगी से ही दूर,बहुत दूर निकल आए ......

Friday 7 September 2018

मुहब्बत को जुबाँ देने के लिए,ख़त का सहारा लिया हम ने...इश्क को बयां करने के लिए,आँखों का

सहारा चुना हम ने...बात समझे वो दिल की मेरी,चूडियो को खनखना जरुरी जाना हम ने...चूक ना

हो जाए कभी भूले से,उन की हर बात को सर आँखों पे बिठाना अपना हक़ माना हम ने...''तुम हो जान

मेरी,मेरी मुहब्बत पाने के लिए कोई जरुरत ही नहीं किसी सहारे की''....उन की इस बात को सुनने के

लिए,अब खामोश ही रहना जरुरी समझा हम ने...

Thursday 30 August 2018

क्या तुम ने कभी खव्हिशो को दम तोड़ते हुए देखा है...क्या तुम ने सपनो को बिखरते हुए देखा है...

टूट टूट कर जीना क्या होता है,दिल रोता है मगर क्या लबो को मुस्कुराते तुम ने कभी देखा है...

नज़र भर जाती है बात बात पे,मगर  आँखों मे कुछ गिरा है यह कहते कभी तुम ने सुना है...

गर जानते हो यह सब..इस दौर को  कभी भुगता है...यक़ीनन ज़िंदगी को जीने का फलसफा तुम

ने हमी से ही सीखा है....

Friday 24 August 2018

किरदार मेरी ज़िंदगी के वो ऐसे रहे,ना था कोई रिश्ता ना किसी बंधन मे बंधे...मुलाकातों का दौर ना

ज्यादा रहा ना जुदाई का कभी मौका ही मिला...इबादत मे उसे शामिल तो किया मगर अपने लिए

उसे खुदा से कभी माँगा भी नहीं...तूफान बहुत आए ज़िंदगी मे मगर तूफानों को खुद पे कभी हावी

होने दिया ही नहीं...जब भी मिलते है कभी तो कहते है..''कुछ रिश्तो के नाम कभी कुछ होते ही नहीं''...

Thursday 23 August 2018

दिल तो दिल है...संभाले से कैसे संभल पाए गे...छुई मुई की तरह सिमट जाते है,तेरी हसीन सूरत

का जिक्र जब भी सुन लेते है...हमनवां हम को बनाने के लिए,हवाओ के मीठे झोकों की तरह बहारे

दस्तक देती रहती है...किसी की ज़िंदगी का उजाला बनने के लिए,कितनी आवाज़े हर रोज सुनाई

देती है...मगर एक हम है कि तेरी ही सूरत के कायल है..तेरी इस सूरत से कही जय्दा तेरी सीरत पे

हद से जय्दा क़ुरबा है...
यह मौसम है या हर तरह से तुझ पे फ़िदा होने का नशा...बरसती बूंदो का कमाल है या फिर भीग कर

तेरे नज़दीक आने का गहरा नशा...बहुत गुमान ना कर अपने मगरूर होने का...दौलत के नशे से कही

जय्दा गहरा है मेरी मुहब्बत का यह नशा...बारिश की बूंदो मे जब जब तन और मन भीग जाया करते

है...मुहब्बत की इस आग से दिल तो क्या,जज्बात ही पिघल जाया करते है....
जी चाहता है कि खूब सजे..खुद को इतना सँवारे और फिर खुद ही खुद की नज़र उतारे...सोलह

श्रृंगार की हर रस्म निभाए और फिर तेरे ही सीने से लिपट जाए...पायल की उस झंकार से तुझ को

मदहोश कर दे या पहन के बेहिसाब चूड़ियाँ,उस की खनक से तुझ को पागल कर दे...इरादा नेक नहीं

मेरा,इक इशारे से तुझे बस घायल कर दे...चाहते हुए भी कर नहीं सब पाए गे...जानते है मेरी सादगी

भरा रूप ही तुझ को प्यारा है..

Wednesday 22 August 2018

दबी जुबाँ से लोग तेरे मेरे नाम के चर्चे करते है...तेरी मेरी गुफ्तगू को मुहब्बत का नाम देते है...

अफवाह ही सही लेकिन चर्चो की वजह से,नाम मेरा तेरा सुर्खियों मे तो है...बेवजह कोई हम पे हँसे

सकून मिलता है कि कोई हमारी वजह से मुस्कुराता तो है...बात की हकीकत को समझे बगैर,लोग

चिंगारी को भी आग दे देते है...यह तो दुनिया है यारा,यहाँ तो लोग मरने वाले की चर्चा उस की

रुखसती के बाद भी करते है...
एक साज़िश के तहत,सब कुछ उलझ गया...जब तल्क़ समझ पाते,तब तक पासा ही पलट गया...

बेजुबान बेशक हो सकते है मगर बेसमझ तो नहीं...हसरतो को कम कर सकते है मगर हसरतो से

भाग सकते तो नहीं...गेसुओं को उलझने दे सकते है मगर गेसुओं को निकल सकते तो नहीं...साज़िशों

का जाल फैला तो इतना फैला कि जब तल्क़ सब सुलझा पाते,पासा ही पलट गया....

Tuesday 21 August 2018

खनकती हंसी मे खनकता सा सवाल ले कर,नई सुबह की तुझे मुबारकबाद देने आए है...यह ज़िंदगी

बहुत ही हसीन है,इस बात का एहसास तुम को कराने आए है...चेहरे पे शिकायतों का रोना ना रख,कि

तुझ पे  इसी ज़िंदगी की नियामतों का खज़ाना लुटाने आए है...साल ना गिन इस ज़िंदगी के इतने,जो

मिला उसी मे सकून से जी ले,नई महकती सुबह का यही सन्देश तुझे देने आए है...
मुहब्बत का नाम अगर सिर्फ देह से जुड़ा होता,तो दुनिया मे यक़ीनन आज मुहब्बत कायम है...

दौलत रसूख जहा जहा भरे होंगे,तो कहे गे मुहब्बत वहां किश्तों मे कायम होगी...शोहरत कामयाबी

जब जब किस्मत की लकीरो मे जिया करती है...मुहब्बत भी वही साथ पकड़ लिया करती है....किस

ने साथ निभाया ग़ुरबत की चादर मे..जहा साथ सच मे निभाया,यक़ीनन मुहब्बत की सच्चाई सदियों

तक  वहां कायम है...
मुकम्मल ना सही ज़िंदगी पर तेरे नाम के साथ ज़िंदा तो है....बहारे अब कभी लौटे या ना लौटे,उन

बहारों के निशाँ आस पास तो है....सितारों के झुरमुट मे एक सितारा ऐसा भी है,जिसे निहारने के लिए

हम रातो को जगा करते है...निहारते निहारते ना जाने कितनी ग़ज़ल तेरे नाम लिखा करते है...हर 

ग़ज़ल तेरे प्यार की मिठास मे डूबी है...तन्हाई भी इसी मिठास मे मचल कर हज़ारो अफ़साने बयां कर

जाती है..बहुत कुछ है अभी लिखने के लिए,तभी तो अब तल्क़ ज़िंदा है...

Saturday 18 August 2018

पलकों के यह मोती क्यों आज इन्ही पलकों मे भर आए है...ख़ुशी है आज दिल मे, लेकिन क्यों साथ

साथ याद तेरी भी तो आई है...मुबारकबाद दे कर तुझे,तेरी धरोधर को आज भी अपने आँचल मे

समाए है...दुनिया की बुरी नज़रो से बचा कर,प्यार उसी के कदमो मे बिछाते आए है...समझने

समझाने के लिए बेशक कुछ भी नहीं,लेकिन वो क्या है जिस के लिए हर रोज़ तड़पते आए है...
दुआ से बड़ा तोहफा और क्या होगा...कदम कदम तू जो चले,इन्ही दुआओ के घेरे मे चले..इस से

जय्दा प्यार और क्या होगा...शोहरत की बुलन्दियो पे सब तो नहीं जाते...किसी मोड़ पे खुदा कभी

तुझ को मिल जाए और तुझ से तेरी रज़ा पूछे...मांगना सिर्फ इतना  कि दुनिया मे कोई एक

शख्स ऐसा तो मिले जो रहे दूर मगर मेरी राहो मे फूल बिछाता जाए...
मेहरबाँ मेरे--दे दे जुबान अब तो मुहब्बत को अपनी कि ज़िंदगी के दिन बहुत कम रह गए है--ताउम्र

इंतज़ार करते रहे,अब तो कह दे कि बस तेरे लिए ही जी रहे है हम--मौसम बहारों के बेशुमार निकल

गए इसी आस मे कि यह इंतज़ार अब ख़तम हो जाए गा--बीते साल दर साल,पर तेरी कशिश मे कमी

आज भी ना आई है---सिलवटे चेहरे पे पड़ी तो क्या हुआ,तेरी पाक मुहब्बत का ख्याल अब तक दिल से

गया ही नहीं--मुहब्बत की पाकीज़गी जिस्मो से नहीं हुआ करती,यह वो शै है जो सीधे रूह मे उतर जाया

करती है---

Friday 17 August 2018

महक इतनी मेरी ज़िंदगी मे ना भर, कि खुद से खुद ही ना मर जाए....दर्द की चादर मे लिपटे है आज

भी इतना,कि तुझे सब बताने के लिए हिम्मत कहाँ से लाए...लबों पे हंसी बहुत जरुरी है,डर है यह

ज़माना एक बार फिर हमे दगा ना दे जाए...महक देने की कोशिश भी ना कर,ऐसा ना हो कि अपने

सहारे चलने की यह आदत दम तोड़ जाए...चलना है अभी उस हद तक जहां कुदरत संभाले हम को 

और हम उस की दुनिया मे ख़ुशी ख़ुशी लौट जाए.....
सुनने के लिए यह जरुरी तो नहीं कि कुछ कहा ही जाए...दूर तल्क़ यह नज़र भले ना जाए,मगर इन

आँखों से कुछ कभी छिपा ही नहीं...आने की दस्तक को नज़दीक आने के लिए.बेशक वक़्त लग जाए...

मगर यह दिल ही तो है जिस से राज़ कोई छिप पाया ही नहीं..कदम रुक रुक के चले या तेज़ी से,बस

मंज़िल तक पहुंचे इस बात को कोई अभी जान पाया भी तो नहीं.....

Thursday 16 August 2018

खामोशियो मे बजते यह कंगना कह गए प्यार की अधूरी दास्ताँ...झुक के ना उठी जो यह आंखे,बस

बन गई प्यार की खूबसूरत सी सरगोशियाँ....हथेलियों की यह मेहंदी जो लिखवा के लाई है साथ,तेरे

नाम की पहेलियाँ...बजते बजते बज़ उठी हमारे प्यार की,आस पास यह शहनाईयाँ....अधूरी दास्ताँ

अब अधूरी रही कहा..बजे जो कंगना,उठी जो आंखे और मेहँदी भरी यह हथेलियाँ....तेरे नाम का साथ

जो पाया,महक उठी हमारे प्यार की महकती सी यह दास्ताँ....

Tuesday 14 August 2018

बेवफाई के नाम पे,मेरे दामन पे हज़ारो दाग़ लगाने वाले...नफरत इतनी दे कर,फिर भी मुहब्बत का

नाम निभाने वाले...आँखों को बेइंतिहा आंसू दे कर,इन्ही आँखों पे ग़ज़ल लिखने वाले...गिनती ही

नहीं तेरे दिए ज़ख्मो की,फिर भी ज़माने को दिखाने के लिए मेरे नाज़ उठाने वाले...दिल को लहूलुहान

कर के मेरे,आशिकी का नज़ाकत भरा गीत सुनाने वाले...दिल की कहाँ सुन पाओ गे,रूह कहती है

मगर...मगरूर इतने ना बनो कि तेरे बिना जीना अब सीख लिया मैंने...

Monday 13 August 2018

कभी दिल्लगी तो कभी दिल की लगी...कभी आगबबूला तो कभी आग से भरी...हसरतो का उभारना या

हसरतो का मर जाना...कभी सवाल का जवाब तो कभी खुद एक सवाल बन जाना....कभी रो देना तो

कभी रोते रोते हंस देना...भरी नज़र से देखते रहना फिर अचनाक नज़र फेर लेना...खुदगर्ज़ हो या एक

पहेली..तुझे समझे तो कैसे समझे...कभी प्यार करना कभी तकरार कर के जुदा हो जाना...

Thursday 9 August 2018

आप तो आप है...खास नहीं बहुत खास है....तहजीब से बात करने की यह अदा,बात बात पे शुक्राना

करने की अदा...हम ठीक है फिर भी हमारा हाल जानने की वजह...पलके कभी नम जो हो गई,अपनी

ही पलकों पे बिठाने की अलग-अंदाज़े वजह....लोग कहते है,धरती पे भगवान् नहीं आते...आप को

देखा और लगा ऐसे फ़रिश्ते हुआ करते है ऐसे...बिना वजह जो ख़ुशी दे जाए..छोटी छोटी बातो पे जो

हंसा जाए...तभी तो हम ने कहा कि आप तो बस आप है...खास नहीं बहुत खास है...
राज़दार है तेरे..तेरे ही दिल मे धड़कते हुए तार है तेरे....दिल की धड़कनो से अक्सर,तेरे जज्बातो को

समझ जाया करते है....तेज़ जो चलती है तो इस की नजाकत को पहचान जाया करते है...झाँकते हो

जो इन आँखों मे मेरी धड़कनो की रफ़्तार मेरे होश उड़ाया करती है...पूछो गे नहीं कि क्यों हम इन

धड़कनो को बारीकी से जान जाते है..राज़ बताए आप को......आप के दिल ने बसेरा डाला है मेरे

दिलो-दरवाजो पे...यह जब जब धड़कता है,मेरे तारो को झकझोर जाया करता है...

Tuesday 7 August 2018

कहाँ कहाँ ढूंढा तुझ को,पर तेरी कोई खबर ही नहीं...थक रहे है चलते चलते,खुद की कोई होश ही नहीं..

शहर शहर और गली गली,हर दरवाजे पे दस्तक दी...कहाँ होगा तेरा ठिकाना,अब तो खुद पे जोर नहीं..

पावों के छालों ने लिख दी सड़क सड़क तेरी मेरी कहानी...हर दीवार पे लिखते जा रहे है तेरे नाम की

छोटी छोटी निशानी...शायद...शायद कभी इन्ही राहों से भूले से कभी तू गुजरे,हर सड़क पे लिखी तू

देखे तेरी मेरी वही कहानी....

Sunday 5 August 2018

जश्ने-मुहब्बत की रात है,इसे आबाद आज होने दे...कल सुबह किस ने देखी,मुहब्बत को आज ही

परवान चढ़ने दे...ना करना गिला ना करना कोई शिकवा आज मुझ से...धड़क रही है मुहब्बत इस

को पूरी तरह बस धड़कने दे...ना सुन कोई आवाज़, इन सुरमई नैनो को अपने मदहोश नैनो मे

ख़ामोशी से बस जाने दे....जश्ने-मुहब्बत की यह राते बार बार आया नहीं करती...क़बूल कर ले तू

मुझ को,इस रात को आबाद आज होने दे...
अपने ही दिल मे,अपनी तस्वीर बसाई और खुद से प्यार कर बैठे...चाहा तो फिर खुद को इतना चाहा कि

सारा जहाँ पीछे छोड़ बैठे...कभी सजाया खुद को इतना,कभी संवारा बार बार इतना...आईना आया जो

सामने,छवि अपनी को ही सलाम कर बैठे...खुशामद अपने रूप की,की  हम ने,कभी सलामी अपने हुनर 

को दी हम ने...अब ज़माना लाख पुकारे लौट के ना आए गे,इतनी शिद्दत से खुद को चाहा है,पूछते है

क्या हमारे लिए,खुद के दस्तूर छोड़ पाओ गे ...
बरसो से गुमशुदा है मगर, आज तक कोई हमे ढूंढ नहीं पाया...अपने तमाम सवालो के जवाब पाने

चाहे मगर,कोई उन के जवाब आज तक दे नहीं पाया....बर्फीली हवाओ मे बरसो भटकते रहे मगर,

उन से बचाने कोई भी तो नहीं आया..तड़पते तड़पते गुज़ार दी ना जाने कितनी राते,उम्मीद की एक

किरण दिखाने तब भी कोई नहीं आया.. हौसलों को खुद ही बुलंद किया,तलाश मे अपनी खुद ही निकले

..खुद को खुद से ढूंढा और गुमशुदा की इस तलाश को मुकम्मल पाया ...

Friday 3 August 2018

कुछ कहने के लिए जब यह होंठ खुले,मन की उलझन को बताने के लिए जुबाँ ने जब भी शब्द चुने ..

वक़्त निकल गया तो कुछ भी मुनासिब ना हो पाए गा...यह सोच कर शर्म के दरवाजे तोड़ दिए...

ज़िंदगी बहुत लम्बी है,पर राज़ की चादर बहुत गहरी है...बता कर उन से खुद ही दूर चले जाए गे..

फिर लौट कर उन के दरवाजे पे दस्तक भी ना देने आए गे...प्यार को ना बांध ऊंच-नीच के धागो मे..

दिल जब एक है तो छोड़ दे बेकार के रिवाजो को...झरने की तरह बही सारी उलझन,प्यार ने चुनी

प्यार की दौलत...

Thursday 2 August 2018

धड़कनो की सुनी तो तेरा फ़साना याद आया...कुछ भूली-बिसरी बातो का वो जमाना याद आया...गली

के मोड़ पर इंतज़ार मेरा करना,मुझे देखते ही अनजान बनने की कोशिश करना...नजदीक से गुजरने

पर कागज़ का टुकड़ा फेक देना और माफ़ी मांग कर बेवजह मुस्कुरा देना...कुछ कहने के लिए कभी

आँखों का तो कभी पलकों का यू ही झुका देना...उम्र भर का साथ मांग कर,उम्र भर मेरे साथ मेरी ही

दुनिया मे बस जाना...

Tuesday 31 July 2018

इतने लफ्ज़ो की मालिक हो कर कितने दिलो पे राज़ करती हो....कभी आंसू ,कभी आहे..फिर कभी

मुहब्बत का जाल बुनती हो....बेवजह दिलो को धड़का कर,क्यों नींद उन की उड़ाया करती हो...खींच

कर झटके से,ना जाने कितनो को रोने पे भी मज़बूर करती हो...बेसाख्ता हंसी के खास लम्हे दे कर

बहुतो को जश्ने-मुहब्बत बांटा करती हो...तुम कलम हो मेरी या कोई जादू की छड़ी,लफ्ज़ो को सीने

मे अंदर तक उतार जाती हो.... 
फिर से क्यों अजनबी हो गए,बहुत पास आते आते....दिलो के फैसले क्यों बढ़ गए,नज़दीकियों के

चलते चलते....सकून इन्ही दिलो का चुरा लिया करती है,बुझती ख़ामोशीया...हम चुप रहे वोह भी

चुप रहे,फासले अपनी जगह बनाते गए....इमारते टूटती रही,मलबे के ढेर मे नायाब रिश्ते दफ़न

होते चले गए...गुजारिश ना वो कर सके और हम यक़ीनन अपने कामो मे उलझे तो फिर उलझते

चले गए...

Monday 30 July 2018

धीमे धीमे पास आ कर मेरे कानो मे,कुछ उस ने कहा...फिर हवाओ की,फिजाओ की,बहारों की चंचल

शोख अदा से ऐसा खास पैगाम दिया...छन छन पायल के शोर को कहा सुन पाए,कगना जो बजे उस

की खनक भी कहा सुन पाए...धड़कने बताती रही रफ़्तार सीने के बदलते पैमाने का...पर कहा समझ 

आया शोर पायल का और खनक कंगना की...गूंजते रहे बस लफ्ज़ वही जो कानो मे मेरे उस ने कहा...
यह राते क्यों दस्तक देती है आज भी तेरी उन नरम गुफ्तगू की आगाज़ का...क्या सुन लिया मैंने

जो नज़ारा बन गया किसी शाही आफताब के रुख्सार का....दर्द की चादर मे अक्सर इक हंसी होती

है तेरे रूहानी लिबास की ....कहते है चाँद से तेरे चेहरे को याद कर आज भी नज़र हटती नहीं उस

सुर्ख जोड़े के मखमली अंदाज़ से...बिखर कर टूट कर,समा जाऊ तुझ मे,किसी शबनबी ओस की

पहली मुबारक सुबह की रौनकी अंदाज़ सी ....

बदलते बदलते इतना बदल गए कि खुद की ज़िंदगी मे खुद की पहचान ही भूल गए...जरा सी ठेस पे

दिल को दुखा लिया,छोटी छोटी बातो पे खुद को रुला लिया...आँखों की नींद उड़ने पे,खुद को दोष दे

दिया...ज़माना इलज़ाम देता रहा,कभी बेवफा तो कभी खुदगर्ज़ कहता रहा...सब सुना और पलकों को

जार जार बहा दिया...भीगे नैना तो इतने भीगे कि सारा समंदर ही सूख गया...खुद को फिर जो ऐसा

बदला कि खुद की पहचान ही भूल गए...

Tuesday 24 July 2018

ना छेड़ तार मेरे दिल के कि मेरा रब बसता है यहाँ....बार बार तागीद ना कर कि उस रब के सिवा कोई

और जचता ही नहीं यहाँ...नरम दिल से की तेरी गुजारिश को ना मान पाए गे कि इसी दिल की धड़कन

मे रब मेरा धड़कता है...दुनिया की चालबाज़ियों को ना झेल पाए कभी,इसीलिए रब को माना सब कुछ 

और लहू की हर बूंद मे अपने ही रब को बहने दिया हम ने....अब तू तार छेड़े या साथ देने का वादा भी

कर ले,मगर अब तो कोने कोने मे ,मेरा रब बसता है यहाँ.....
वक़्त के धागो मे बहुत बार मोम की तरह पिघलते  रहे....कभी जल गया सीना तो कभी रास्तें भी

पिछड़ गए...उसी तपती लो मे कुछ बह गया तो कभी कुछ रह गया...फिर मिला धागा ऐसा जो जलने

से इंकार कर गया...अब जली मोम की खूबसूरत रौशनी...जिस को देखा जब भी,रौशन सवेरा हो गया 

अब ना तो खौफ जलने का है ना रास्तो की बदहाली का...जीते जीते जी उठे,किया सलाम इस कदर

ज़िंदगी को,कि धागा तो धागा अब तो मोम भी सरे आम रौशनी देने पे आमादा हो गया....

Friday 20 July 2018

कदम से कदम चलने की बात करे तो यह कदम अक्सर खो जाया करते है...कभी कभी बहकावे मे

आ कर साथ छोड़ जाया करते है...तीतर-बीतर हो जाती है दुनिया जब  कदम रेत मे धस जाया करते

है...सवालो के घेरे मे खामोशिया भी खामोश हो जाया करती है...गरजते बरसते बादलो मे तेज़ आहट

से कभी कभी डर से कदम मिल भी जाया करते है....

Sunday 15 July 2018

क्या लिखू तुझ पे,कि शब्द कम पड़ जाते है....कितना याद करू तुझ को कि यादो का सागर कहा

कम होता है....घर के हर कोने मे तेरा साया आज भी है....उन्ही सीढ़ियों पे तेरे नन्हे पैरो की छाप

आज तक भी है...भूला कहा जाए गा मुझ से,कि हर लम्हा तेरा ख्याल आज भी है...तूने जो जोड़

रखा था पूरे घर को एक धागे से,तुझे देखे बिना चैन कहा किस को था...नम आँखों से याद क्यों

करू तुझ को कि तू तो सदियों तलक मेरे दिल मे ज़िंदा है....
जो मिल गया वो नसीब था...जो ना मिला वो हसरतो का कोई दौर था ...मिलने पे ख़ुशी वाज़िब थी

हसरते पूरी ना होने का गम क्यों रहा...वक़्त तो देता ही रहा गवाही,पर समझ से परे ज़िंदगी मे तब

कुछ भी ना था...कुछ छोड़ दिया तो कुछ छूट गया...कुछ संभल गया तो कही सब बिखर गया....रेले

खुशियों के गर नहीं मिलते तो दर्द का मौसम भी जय्दा नहीं चलता...नसीब तो नसीब है,कभी चमक

गया तो कभी रात के अंधेरे के तले बिखर सा गया ...

Saturday 14 July 2018

आप को सिर्फ सोचा,और हमे इस ज़िंदगी से प्यार हो गया...दिल की धड़कनो की आवाज़ सुनी और

यह दिल ना जाने कब आप के करीब हो गया...पलकों के शामियाने मे कब कैसे आप को बसा लिया..

रातो पे आप का कब और क्यों पहरा हो गया...खुद को आईने मे निहारा,खुद ही को खुद ने पहचानने

से इंकार कर दिया....सोचा सिर्फ आप को,और अपनी ज़िंदगी से बरबस प्यार हो गया...

Thursday 12 July 2018

वो हमारे कदमो मे फूल बिछाते रहे...हमारी पसंद नापसंद की बेइंतिहा फ़िक्र करते रहे...हमारी ख़ुशी

का हिसाब पाने के लिए दौलत के लिए मेहनतकश होते रहे...आंसू एक भी छलका,तो वो बस घबरा

गए... खुशियाँ गर मोहताज़ पैसो से होती,तो प्यार का मोल भला कहा होता...खुशियाँ गर सोने के

सिक्को से मिली होती तो हर अमीर ख़ुशनसीब ही होता...तेरी बाहों के घेरे मे,तुझे खुद के हाथो से

ख़िलाने मे..जो प्यार का दरिया मैंने पाया,वो कहा मिल पाए गा इन फूलो और दौलत के ख़ज़ानों मे ..

Wednesday 11 July 2018

प्यार मे डूबने के लिए यह जन्म ही काफी है...हसरते सारी पूरी कर ले कि उम्र का दौर पता नहीं

कितना बाकी है...कहते है सात जन्मो का साथ लिखा बाकी है...किस ने देखे वो सात जन्म,किस ने

देखे रिश्तो के वो भरम....जो आज है वो कल भी होगा,जिस बात का वादा किया क्या वो भी पूरा होगा

छोड़ दे अब इन बेहिसाब की बातो को...मुहब्बत को फ़ना होने दे इस जन्म के बंधन मे..तभी तो कहते

है,प्यार मे डूब जाने के लिए यह जन्म ही काफी है...
दरख़्त की छाँव मे बैठे कि हवा का इक झोका करीब से मेरे निकल गया...क्या कह गया,क्या बता

गया...इसी उलझन मे जो उलझे  तो दुबारा इक इशारा फिर से दे गया....इस बार का यह झोका दिल

के तारो को क्यों झकझोड़ गया....किस्मत की लकीरो मे जो उस ने लिखा,मै और तुम क्या बदले गे..

खुली हवाओ ने जो सन्देश दिया,अब तो हर सांस को बस ख़ुशी ख़ुशी ही जी ले गे ...

Tuesday 10 July 2018

जरूरतों की नगरी .... यह जरुरतो के शहर....कुछ भी नहीं मिला ऐसा जो दे सके सकूने -दिल का

वो महका सा सफर...कही था दौलत का नशा तो कही था जिस्मो की जरूरतों का वो बदला बदला

एक ज़हरीला सा नशा....मासूम हसी की तलाश मे कितनी दूर निकल आए... लोगो की नज़रो मे

ईमान ढूंढ़ने को तरस तरस गए....पूरे जहाँ को देखने की ताकत ही नहीं,डर लगता है कही ज़िंदगी का

और बुरा रूप नज़र ना आ जाए....

Monday 9 July 2018

रास्तो मे धूल जमती रही और हम साफ़ करते रहे....लफ्ज़ो के चलते चलते,ज़िंदगी का रुख बदलते

रहे....इंतज़ार था उस सावन का,जो बरसे इतना कि यह रास्ते फिर से निखर जाए....हाथ जोड़ कर

उस मालिक से दुआ पे दुआ करते रहे...कितने ही सावन आए और चले गए,शायद धूल थी इतनी

गहरी कि सावन भी उन को सवार नहीं पाए...थक कर छोड़ा तमाम रास्तो को और खुली हवा मे सांस

लेने चले आए....

Sunday 8 July 2018

मुहब्बत कितना करते है आप से,जान लुटाते है कितनी आप पे...आप की एक उदासी से परेशाँ हो जाते

है किसी खौफ से...नज़र ना लगे ज़माने की,बार बार नज़र उतारते है किसी अनजानी वजह के धयान

से...मुहब्बत जताने से जय्दा तो नहीं होती...बस परदे मे रहे इस ख्याल से,सज़दा भी करते है आप का

बिना बताए भगवान् से...इस से जय्दा आप को क्या कहे कि कितनी जान लुटाते है हम आप पे...
बारिश की हलकी हलकी बूंदे रेत मे समा जाती है...ना जाने कितनी तपिश है उस रेत मे,जो हज़ारो

बूंदो को खुद मे जज्ब कर जाती है...धूप की किरणों से यह रेत,फिर उजली हो जाती है...लगता है

जैसे वो खुद को खुद मे निखार लाती है...इसी रेत को हाथो मे लिए,खुद की ज़िंदगी पे नज़र करते

है....हज़ारो दुखो को खुद मे जज्ब कर के, हर जगह खुल के हसते है....ज़माना रश्क करता है हमारी

किस्मत पे,और एक हम है कि अकेले मे हर सैलाब इन्ही आँखों से बहा जाते है.....

Monday 2 July 2018

बरसा तो बरसा आज सावन इतना कि दिल का दर्द हवा हो गया...तूफानी बौछारों से किन्ही यादो से

मन गुदगुदा गया...जी चाहा आज भी उतना ही भीग जाए इस मौसम मे,बरसो पहले भीगते थे जैसे

लड़कपन मे...सिर्फ एहसास था छोटी छोटी बातो का,झगड़ा था कागज़ की बनी उस नौका का...लौट

कर वो वक़्त कब आता है,मगर यह सावन हमेशा याद वही सब दिला जाता है....
क्यों नहीं लगा उस को कि किस्मत की लकीरो के आगे सर झुका चुके है हम...कुदरत के फैसलों को

पूरी तरह स्वीकार कर चुके है हम...राह तेरी ना अब देखे गे किसी और के साथ अब बंध चुके है हम...

जिस्मो-जान की कीमत क्या होती है,यह तो पता नहीं...मगर रूह की बात सुने तो यक़ीनन रूह को

तो रूह तेरी के साथ कब से जोड़ चुके है हम...यह जिस्म तो आखिर मिट ही जाया करते है,रूह को

रूह से करीब  करने के लिए अगले जनम की बात सोच चुके है हम....

Sunday 1 July 2018

बहुत प्यारी सी महक है आज इन हवाओ मे...लगता है किसी ने हम को दुआओ मे अपनी आज 

निखारा है....दिल की धडकनो मे कोई जादू सा है,शायद किसी ने रूह से अपनी हम को पुकारा है 

आँखों की पलकों मे कुछ भारीपन सा है..क्या किसी ने अपने सपनो की नगरी मे आने को पुकारा

है....नज़र उठती है तो कभी गिरती है,मुस्कान लबो पे अनायास क्यों रुक जाती है....कुदरत के

इशारे को समझने के लिए,इन हवाओ ने क्यों अपने  को यू महकाया है....

Thursday 28 June 2018

ज़िंदगी की दहलीज़ पे रोज मौत का खेल खेलते है....साँसों से प्यार है लेकिन मौत को हमराज़ मान

कर एक नई बाज़ी फिर भी रोज खेलते है....ज़िंदादिली से इसी जीवन को ऐसे ही निभाते है,प्यार तो

करते है मगर साँसों के टूट जाने का हर पल ख्याल रखते है....हर दिन को जीते है इस ख्याल से कि

कल हो या ना हो,पर मलाल ना रहे किसी बात का इसी वजह से हर छोटी बात पे खिलखिला कर,

हर दिन का मान रखते है....

Wednesday 27 June 2018

कभी तो नज़र उतार मेरी कि दुनिया को तेरे मेरे रिश्ते से जलन होती है...कभी तो कह दे कि परदे मे

रहो,खूबसूरती से तेरी संसार को महक आती है...पायल की रुनझुन बजती है तो लोगो की निगाहे

रूकती है...सर से आँचल जो सरके तो हवाओ को दिक्कत होती है...हस के जो बात करते है तो फूलो

को जैसे सारी खबर होती है...इक बस तू ही अनजान बैठा है जिसे मेरे तेरे रिश्ते की ना कोई खबर

होती है....
हर बार तेरी वही कहानी,हर बार रोने रोने को बरसती तेरी ज़िंदगानी....हज़ारो शिकवे करना,हज़ारो

शिकायतों का पुलिंदा लिए दिनों को भारी करना....दिल कभी उदास है तो कभी आँखों मे आंसू भी

बेहिसाब है....जो मिल गया उस की कीमत नहीं...जो खो दिया उस के लिए बस दर्द से दिल भर

लिया....क्यों शुक्रिया कभी किया नहीं,क्यों मन्नतो का हिसाब लगाया नहीं....खुद से खुद को ढूंढ

ले,यह ज़िंदगी है किसी मौत का रैला नहीं.....

Tuesday 26 June 2018

लगता क्यों था कि तेरे बगैर ज़िंदगी कट जाए गी....यादो को संभाले गे और वक़्त की मार को तोड़

जाए गे...कोशिश करते रहे,करते रहे...मगर मोड़ ऐसे आते गए तेरी यादो के साथ सब झेल क्यों नहीं

पाए....अक्सर खामोश रातो मे तुझ से बाते हज़ार करते है...आंसुओ से भिगो कर दामन खुद को खुद

से प्यार कर लेते है...तू कही दूर बहुत दूर बेशक रहे,तेरी हर बात का मान रखने के लिए...कहे गे खुद

से हर बार कि तेरी यादो के सहारे यह ज़िंदगी कट ही जाए गी ....

Sunday 24 June 2018

रंजिश ना पाल यू दिल मे कि वहां मेरा भी डेरा है...ख़लल नींदो मे ना डाल कि आँखों मे मेरा भी बसेरा

है...साँसों को खुले आम चलने दे कि मेरी खुशबू के बिना इन का कहाँ गुजारा है...हसी को लबो मे यू

ना दबा,जानते हो इन लबो ने हसना हमी से तो सीखा है....चाँद को निहारते हो मेरे बिना,चांदनी ने

सवारना यक़ीनन हमी से सीखा है...रंजिश को निकाल दिल से अपने,मत भूल कि वहां डेरा अब भी

मेरा ही है....
सब कुछ छोड़ कर,बहुत दूर निकल आए है...इतनी दूर कि खामोशिया भी सुन नहीं पाती मेरे लफ्ज़ो

के बयान...हवाएं अक्सर थम सी जाती है मुझे सुनने के लिए...फिजाएं अपना रास्ता भूल जाती है

मुझ से कुछ अल्फाज़ो का साथ पाने के लिए ...दिल के जज्बातो को कितनी बार तोडा और मरोड़ा

गया...साँसों को हवा देने से भी रोका गया...फिर तुम सब   पे यकीं कैसे करे...अब तो इतनी दूर निकल

आए है कि खुद की आवाज़ को भी भूले से सुन लेते है....

Saturday 23 June 2018

बेहद सादगी से आप ने अपनी ज़िंदगी मे इस कदर शामिल किया....भूल ही गए इसी ज़माने ने कितना

बेइज़्ज़त हम को किया....ग़ुरबत से भरी ज़िंदगानी,टुकड़े टुकड़े जीने के लिए तरसती हर दिन की कोई

अजब कहानी...किस को कहते अपना,धुंधली धुंधली यादो के तहत भीगी आँखों से सब याद किया...

किस मोड़ पे आप मिले,बंद किस्मत के किवाड़ खुलने को हुए...इतनी सादगी कि हम आप पे वारी

वारी हुए...

Friday 22 June 2018

मुहब्बत ने रंग बदला और हम सातवें आसमां पे आ गए...उन का रवैया बदला और हम जैसे परियो

की नगरी मे आ गए....कुछ हिसाब नसीबो का था और कुछ हमारी वफाओ का,उन की आगोश मिली

और हम उन के और और करीब आ गए...दुनिया की जलन उन की नज़रो की चुभन,इस मुहब्बत को

मिटा ना सकी...वो हर पल हमारे साथ है इसी एहसास के साथ हम खुद की ज़िंदगी के और पास और

पास आ गए.....

Wednesday 20 June 2018

बहुत ही ख़ामोशी से उस ने अपनी ख्वाईशो का जिक्र किया हम से....कही कोई और ना सुन ले,परदे मे

ही रहने का इकरार किया  हम से ....एक एक  ख्वाईश जैसे बरसो पुरानी थी,जुबाँ मे जैसे लरजती हुई 

कोई कहानी थी...यू लगा जैसे रिश्ता सदियों का था,जिक्र ख्वाईशो का भी जाना जाना सा था....अश्क

थे कि बहते रहे सैलाब की तरह,वो रोते रहे किसी तड़पती रूह की तरह...गले लगे तो अलग हो नहीं पाए

लब थरथराए और जवाबो का हिसाब ले गए हम से....

Tuesday 19 June 2018

मेरी सलामती चाहने के लिए,उस के पास कोई वजह ना थी...इकरार के धागो को बांधने के लिए,कोई

मजबूत डोरी साथ ना थी....शब्दों को जानने के लिए,दिल मे दूर दूर तक कोई जगह ही ना थी....कही

दूर आसमां तक परिंदो के उड़ जाने की कोई खबर ना थी....वो पत्थर दिल रहा या बेजान कोई पुतला

कि मेरी भावनाओ की कोई उस को कद्र ना थी...अक्सर पूछ लेते है मेरे मालिक,इस को दुनिया मे

भेजने की क्या कोई और वजह भी थी....

Monday 18 June 2018

समंदर की लहरों मे वो तेरे पांवो का भिगोना...खिलखिला कर तेरा वो हस देना,क़यामत बन कर

मेरे दिलो-दिमाग पर छा जाना...पानी की बौछारों मे मुझ को भी भिगो देना...अल्हड़पन तेरा,ऐसी

 मासूम अदा..जो भी देखे हो जाए फ़िदा...नज़ाकत से भरी,फूलो सी खिली...कौन हो तुम...ज़न्नत की

परी या खुदा की तराशी कोई संगेमरमर की कला....ख्वाईशो की जरुरत होगी कहाँ,तुझ को देखा और

दिल ने कहा सज़दा करना तेरा,है तेरी जगह....
वफ़ा के नाम पे हज़ारो बाते करने वाले,क्यों अचानक बेवफा हो गए....पाक मुहब्बत की दुहाई देते

देते खुद ही मुहब्बत के नाम से दूर हो गए....आज़मा लेना कभी भी फुर्सत मे,हमारे नेक जज्बातो

को....धुआँ धुआँ ना होगा रिश्ता कभी ,कि दुनिया बहुत देख चुके बेवफा इंसानो की....बेबाक लफ्ज़ो

के मालिक होते होते क्यों इतने खामोश हो गए....यही खामोशिया कभी कभी डस भी लेती है,डर डर

के बात करने वाले,अचानक से क्यों ग़ुम हो गए.... 

Sunday 17 June 2018

मुकम्मल तो नहीं ज़िंदगी लेकिन अधूरापन कही भी नहीं....हर दुआ कबूल रही हो,ऐसा नहीं हुआ पर

कोई बददुआ साथ हो ऐसा भी नहीं रहा....दौलत के ख़ज़ाने भरे हो हर वक़्त,हर जगह...यह तो हुआ

नहीं,पर कोई कमी ज़िंदगी मे रही ऐसा भी कभी हुआ नहीं....कोई दर से मेरे ख़ाली गया,किसी की दुआ

से यह मन रचा बसा रहा...यह कमाल सिर्फ उस कुदरत का है,जिस के हाथ यह मेरा जीवन रहा...

Thursday 14 June 2018

 ऐसा चेहरा जो मासूम था किसी फूल की तरह....नहीं था काजल आँखों मे,फिर भी सुरमई जादू था

किसी को खुद की तरफ खींच लेने के लिए....पलके झुकी ऐसा लगा दिन कैसे रात मे यू ढल गया ...

जुल्फे खुली तो शामियाना बादलों का जैसे बन गया....कैसे छुए हिम्मत नहीं सादगी का रूप है...

सर झुका बस सज़दा किया,नज़र उतार दी दूर से और अदब से उस मालिक को शुक्रिया कहा....



Wednesday 13 June 2018

कहानी राजा रानी की सुनाते तो सुन लेते....कहानी परियो की बताते तो सुन लेते....अपने ज़ख्मो

का गहरा दर्द बयां करते तो दिल थाम के सब सुन जाते....किसी ने बेवजह सताया होता तो कसम

तेरी,आसमां सर पे उठा लेते....किसी दौराहे पे किसी एक को चुनना होता तो साफ़ नीयत से राह

बता देते...मगर अपनी किस्मत के लिए इलज़ाम खुदा को दे कर,उस पे तोहमत ना लगाते...जा

छोड़ दिया तुझे तेरे ही हाल पे,खुदा के अपमान के लिए हम अब तुझे माफ़ नहीं करते....
कलम से कहा जरा रुक जा कि तेरे लफ्ज़ो के बहुत चर्चे है....बेबाक बात ना कह कि चारो तरफ तीखी

निगाहो के बहुत पहरे है....चुन चुन के हर लफ्ज़ क्यों परखा जाता है....स्याही कम है या फिर जयदा

इतना तक ख्याल रखा जाता है...कही टूटे ना कलम,काला टीका लगा कर इन कागज़ो पे उतारते है...

ज़माना बहुत शातिर है,इस का कमाल कहाँ यह जानते है....बहुत अदब से  पेश आते है इस शाही कलम से,

की दुनिया के खूबसूरत रंगो से यह हम  को मिलवाती है...
एक छोटी सी ग़लतफ़हमी और रिश्ता धुआँ धुआँ हो गया....आखिरी बार सलामी दे कर,खुद से जुदा

कर दिया...उसूलो की ईमारत भरभरा कर ऐसे गिरी कि लफ्ज़ो पे जैसे खामोशियो का ताला लग गया...

राहे तो कभी मिल सकती ही नहीं,मगर राहों का रुख आखिर खतम सा हो गया...आहे-बगाहे दूर ही

रहते है इन बेगानी राहों से,खुद की छोटी सी दुनिया मे मशगूल रहते है सब से बच के.....फिर भी कही

दगा दे जाती है खुद के उसूलो  की बनाई यह ईमारत,धुआँ धुआँ होते होते बह गई सारी दौलत...

Tuesday 12 June 2018

दोस्तों....मेरी शायरी ज़िंदगी,प्यार दुलार,मुहब्बत,मिलन,दूरी....और भी ना जाने क्या क्या....एक शायर की कल्पना उस की लेखनी,उस के पन्नो पे नज़र आती है....मेरी शायरी कभी किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं होती..अगर किसी को मेरे लेखन से,मेरी शायरी से ठेस या तकलीफ पहुंची हो,तो तहे-दिल से माफ़ी चाहती हु...अपने सभी प्रशसको को मेरा नमस्कार,आदाब और शुक्रिया...
हस पड़े तेरी इस आशिकी पे,गश खा कर गिर पड़े तेरी रूमानी बातो पे....तौबा हज़ूर आप तो ऐसे ना थे

वो काम मे मशगूल रहना,किताबो मे खुद को डुबो कर रखना....मुहब्बत लफ्ज़ से ही कतराना,जो छू

लू तो शिकन चहेरे पे ले आना...अंगारे बरसाती तेरी वो आंखे,खौफ से सहमी मेरी नाजुक साँसे....क्या

बात है मेरे आका,इस बदलने की असल वजह क्या है...जाने दीजिये,बस मुझे आज अपनी इन्ही बाहों

मे सिमटने दीजिये .....

आदाब बजाते है खिदमत  मे तेरी...कितने ही नाज़ उठा लेते है हसरत मे तेरी....दिनों का हेर-फेर हो

या बाज़ी हो दिल को जीत लेने की...फ़िक्रमंद रहे सदा,धूप खिली या शाम ढली....मौसम भले ही बदल 

जाया करते है,मगर कशिश की यह चाह अधूरी रहती है मेरी...मिलन की राह देखे या उदासी का जामा

पहने...फर्क इतना है कि हर दिन हर पल, रहते है इंतज़ार मे तेरी...

Monday 11 June 2018

मीलो दूर से चल कर आए वो मेरे घर का पता ढूंढने के लिए....मै कौन हूँ,कैसी हूँ..इस बात की खबर

जांचने के लिए ...दूर रह कर जान नहीं पाया,कैसी दिखती हो इस अहसास को महसूस शायद कर ही

नहीं पाया...प्यार की गहराई कितनी तुम मे है,एहसासों का ख्याल कितना मेरी तरह तुम को भी है ....

बोझ अपने दिलो-दिमाग से निकालने मेरे शहर तक आए है...बदनसीबी आप की,खामो-ख्याली अजी

आप की,दिल मे बसी है सिर्फ मेरे मेहबूब की मूरत...खुद की ज़िंदगी को सवारने कोई और घर ढूंढिए ...

Saturday 9 June 2018

बारिश थमी,आंसू थमे...शिकवे थमे,गिले सब दूर हो गए...रौशनी की आस मे दूर होते होते,वो इतने

करीब कैसे हो गए....झलक देखी दूर से,ढका था चेहरा किसी गजब के नूर से....शहनाई की गूंज से

दुनिया सारी हसीन लगने लगी...यूँ लगा आसमान से जैसे हज़ारो परियां उतरने लगी....यह कोई

खवाब है या भीगे मौसम की कोई जादूगरी,खुशनुमा हवाओ से मेरे आँचल मे कही सरसराहट सी हुई

आ करीब मेरे ज़रा,कि यह रात आज है बेहद भीगी हुई...
कितने सवाल करती है तू अरे ज़िंदगी....कभी तो रुक अपने रुतबे के तहत...तुझे लगा नहीं कभी कि

बेहिसाब दर्द बिखेरा है तूने इंसानी फितरत के लिए....तुझे पता भी नहीं कि तूने की है दग़ा हज़ारो बार

किस किस के लिए....रुलाया तो इतना रुलाया कि यह साँसे रुक ही जाने को हुई...फिर अचानक से

ऐसा हसाया कि आंखे ख़ुशी से बरसने ही लगी...पर तुझी से यह मेरी इल्तिज़ा.....कि कितने सवाल

तू कर जाती है अरे ज़िंदगी....

Friday 8 June 2018

अपनी नासमझी से उस ने अपने नसीब से मेरे प्यार को खो दिया....इस से पहले नज़दीकिया बढ़

पाती,उस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया....मीठी मीठी गुफ्तगू मे कितना झलका उस का फरेब,

वक़्त के चलते चलते उस ने खुद ही साबित कर दिया....वफाए दिखाई नहीं जाती,एहसास भी कह कर

जताए नहीं जाते...मासूमियत बातो की कभी छिपती नहीं,मगर तबियत मे खोट हो तो वो रूकती नहीं

मुहब्बत कभी बाँधी जाती नहीं,खुली फिज़ाओ मे जो सांस ले पाए ऐसा प्यार बदनसीबी से उस ने खो दिया 

Thursday 7 June 2018

बहुत कुछ था जो ऐसा,इन्ही पन्नो पे छूट गया...कुछ रहा फिर ऐसा,जो दिल के अंदर ही बंद हो गया....

जज्बातो की खिड़की खोली,रहा तूफान कुछ ऐसा....बिखरा बिखरा सब कुछ टूटा....नम आँखों को

मैंने पोंछा,लबो को मुस्कान से सींचा....मुबारकबाद देते देते खुद की हिम्मत को इस काबिल बांधा

पन्ने आखिर पन्ने है,जज्बात दिल के टूटे ही तो है...जान अभी तो बाकी है,अरमान भी ज़िंदा काफी

है...चलना आखिर चलना है,क्या टूटा और क्या फूटा...जज्बात निकले दिल से बाहर,अब जीवन को

जीना सीखा...
मुझे फिर कभी ना मिलने का वादा कर के,वो यू अचानक मेरी ज़िंदगी के मुकाम पे दस्तक देने चले

आए है....अपनी खताओं के लिए शर्मिंदगी महसूस करने आए है...थक गया हू,बहुत टूटा हू...यक़ीनन

तेरे उस प्यार को बहुत तरसा हू....भूल तो सभी से होती है,सैलाब बहा कर अपनी आँखों से माफ़ी की

दरख्वास्त ले कर आए है...प्यार कोई खेल नहीं,बाजार मे बिकने वाली कोई शै भी नहीं...लौट जाइए

कि अब मेरी ज़िंदगी को तेरी जरुरत ही नहीं....

Wednesday 6 June 2018

शिकस्त क्या दो गे कि खुद ही तुझ पे मर बैठे है...होश मे लाओ गे कैसे कि तुझे देख खुद ही होश उड़ा

बैठे है...माज़रा क्या है इस को समझने के लिए,क्या रातो की नींद गवाना चाहो गे...चाँद तो चाँद है

निहारो गे उसे तो यक़ीनन चांदनी को रुसवा कर बैठो गे...मेरे सवालो की उलझनों मे खुद को ही भूल

जाओ गे....जानना चाहो गे मुझे या ज़िंदगी भर बेबसी और आहों मे डूब जाओ गे....

Tuesday 5 June 2018

क्या कहे आप से..क्यों कहे आप से...दीदार की रस्म बहुत दूर है अभी....परदे की आड़ मे तुझ को

निहारे,इस बात से बेखबर दुनिया है अभी....तेरी आगोश मे पनाह लेने के लिए,यह ज़िंदगी बाक़ी

है अभी...खुद को और सँवार ले,यह ख्वाहिश अधूरी है अभी...समंदर के गहरे तले जितना प्यार

देखा है कभी...कहते कहते हर बार रुक जाते है कि उम्र का कच्चापन बीच आ जाता है अभी..आप

को सोचे,कितना सोचे..वल्लाह कि दीदार कि रस्म बहुत दूर है अभी...
हमेशा की तरह आज भी तेरे चेहरे से वही नूर टपकते देखा...तेरी आवाज़ मे पायल की उसी झंकार

को सुनते देखा...कदम दर कदम तेरी चलने की अदा मे,बहकने का वैसा ही सिलसिला देखा...दुनिया

की नज़र से खुद को आज भी बचा कर रखना कि इसी दुनिया का वो रंग ढंग आज भी पुराना देखा ..

तू महफूज़ रहे मेरी मुहब्बत के तहत कि मुहब्बत मे जान लुटाना,तेरी आशिकी ने मुझ मे आज भी

देखा...

Sunday 3 June 2018

भूल करने के लिए तुझे फिर भूले से याद कर लिया....जज्बात बहे,यादे बही ज़िंदगी का वो मुकाम

फिर से याद कर लिया...सपनो को बिखेरा,किस ने बिखेरा,क्यों बिखेरा...इस का फैसला करने के

लिए भूले से तुझे याद किया..यादो का सफर लम्बा था,वादों  का असर कुछ कम ना था...धूल उड़ाई

अँधियो ने ऐसी कि शाख कहाँ और पत्ते भी कहाँ...मौसम आए सावन का,बस यही सोच कर भूले से

तुझे फिर याद किया....
 अपने रुखसार से हवाओ को यू ही जाने दिया बहकने के लिए....जा बिखर जा फिजाओ मे मेरे

अंदाज़े-बयां के लिए....फिर यह शिकायत ना करना कि बहुत मगरूर है हम...गिला यह भी करना

तुझे देख कर क्यों पर्दा-नशी हो जाते है हम...खुद के वज़ूद से बहुत मुहब्बत है हम को...कोई कही

छू ना ले,इस ख्याल से खुद को खुद मे समेट लेते है हम... खुशकिस्मती अपनी समझ कि अपने

रुखसार से तुझे यू ही जाने दिया बहकने के लिए .....

Tuesday 29 May 2018

आज यादो के ख़ज़ाने को टटोला तो इक नायाब सा तोहफा पाया..वो लम्हे जो साथ गुजारे थे कभी,

उन को रूह मे आज भी समाया पाया.... खिलखिलाती झरनो की तरह वो हसी,मै रुठु तू मनाए...

मै बहकू तू संभाले,मेरे नाज़ उठाने के लिए तेरा मुझे यूँ आगोश मे लेना...कोई देखे या ना देखे,इस

खौफ से परे रहना...ज़िंदगी के साथ यह लम्हे आज भी है,पर यादो को याद करना..वो तोहफा किसी

ज़न्नत से कम तो ना है...

Monday 28 May 2018

तू टूट के चाह मुझ को,यह शर्त मैंने कभी रखी ही नहीं...मेरे सिवा तू किसी और का हो,इस बंदिश के

तले तुझे कभी बांधा भी तो नहीं..रिश्ते मे मुझे अपना बना,यह सवाल पहले ही दिन से कभी उठाया ही

नहीं...दौलत के ख़ज़ाने बस मुझ पे लुटा,इस के माक़िफ़ कोई ख्याल मेरे ज़ेहन मे कभी आया तक भी

नहीं...हा.. बस अपनी पाक मुहब्बत से मेरी रूह को रंग दे,इस के सिवा और कुछ तुझ से चाहा ही नहीं...

Sunday 27 May 2018

आ चाँद को धरती पे उतार लाए हम...जो जितना दिल मे रहा,उस सब को दुआओ मे बदल जाए हम...

तारे चाँद को कभी छू नहीं पाते मगर उस को देखने के लिए रात भर नज़र रखते है वो...दिल के अंधेरे

उजाले कभी दिखते नहीं मगर,दिल से दिल जुड़े हो जहां धडकनो को बुलाया करते है वहाँ...कुछ मेरी

सुनो कुछ हम तेरी सुने,आ इसी चाँद को अपने आशियाने मे उतार लाए ज़रा ....
ताउम्र इंतज़ार करे गे तेरे लौट आने का...उसी घर को आबाद करे गे तेरे कदमो के चले आने का...

हर दीवार सजे गी,हर दरवाज़ा दस्तक दे गा तेरे साथ के आ जाने का....फूल महके गे,कलियाँ

गुनगुनाएं गी..बेसाख्ता एक हसी की लहर लौट आए गी तेरे आने से...करिश्मे होते है ऐसा सुना है

मैंने,करिश्मो को देखना है अपनी ज़िंदगी के होते होते...बुझ जाए वो उम्मीद नहीं होती,छोटी सी

चिंगारी से दीया जल जाए,वो हो जाए गा तेरे आने से....

Saturday 26 May 2018

पलके जो भीगी तो बस भीगती चली गई...एक अनजान रास्ते पे चलते चलते,यह पाँव लहू-लुहान

होते चले गए....खुद को कोसा तो इतना कोसा कि पाँव के छालों को नज़र अंदाज़ करते चले गए ....

क्यों नहीं तेरा साथ देने के लिए,तेरे  हमकदम ना हो सके....क्यों नहीं वादों को निभाने के लिए,तेरे

इशारे ना समझ सके...दम भरते है तेरी मुहब्बत का लेकिन,क्यों इन खुली आँखों से तेरी सूरत भी

ना पढ़ सके...ज़ार ज़ार रोती है यह आंखे मगर,तेरी तलाश मे भटके तो आज तक भटकते ही चले गए 

Friday 25 May 2018

क्षितिज के उस पार समंदर को देखा....ठहरा ठहरा  सकून से भरा भरा....लहरों ने कितना सताया

उस को,हद से जयदा उत्पात मचाया कितना...मौसम की वो तूफानी गर्मी,तूफ़ानो की कितनी

भारी हलचल...कभी चाँद ने रात भर सींचा उस को कभी सूरज ने किरणों को बरसाया उस पर...

फिर इक लम्हा आया ऐसा,थक कर टूटे बारी बारी...पर समंदर फिर भी वैसा...ठहरा ठहरा..उसी

सकून का राजा राजा...

Thursday 24 May 2018

किस रंग मे रंगी हो,जो इतनी भली सी लगती हो...किस रूप मे ढली हो,जो अलग सी दिखती हो...

इस लहजे को मुबारकबाद कहू या इन्ही लफ्ज़ो पे फ़िदा हो जाऊ....निखारा है रूप किस ज़न्नत की

परी ने आ कर,या खुदा ने फुर्सत से बनाया है तुम को....कोई नाज़ नहीं कोई नखरा भी नहीं,शर्म से

झुकती यह आंखे कह रही है बाते कई....जवाब बस एक रहा....तेरे प्यार ने निखारा है मुझ को,तेरे

मुबारकबाद से हर रंग सजा है मुझ पर...अब यह ना कहो कि रब ने फुर्सत से बनाया है तुम को...
खूबसूरत ना सही खूबसीरत तो है...इश्क भले ना सही मगर नफरत के निशाँ भी तो नहीं...दिल के

जज्बात समझने के लायक ना सही,पर साफ़ दिल के मालिक ही सही...शातिर दुनिया से निपटने के

लिए कही कोई गलत मंशा ही नहीं,मगर यही दुनिया तुझ को दीवाना कह दे यह सुनना मुझे कतई

माक़िफ़ ही नहीं...तुझे प्यार करने के लिए तेरी सूरत को नहीं चुना मैंने,एक पाक मुहब्बत है रूह मे

दाखिल तेरे...बस यही सोच कर तेरे दिल के दरवाजे पे दस्तक दी है मैंने......

Wednesday 23 May 2018

सवाल सवाल एक और सवाल.....बस कीजिये मेरे मुर्शिद..सवालो पे सवाल उठाने के लिए....माना कि

तेरे कदमो के तले है दुनिया मेरी...माना कि तेरे साथ से दुनिया आबाद भी है मेरी...यह भी माना कि

गर तू नहीं तो कोई इस दुनिया मे मेरा होगा भी नहीं...मेरे नाज़ उठाने के लिए फिर जनम कोई लेगा

भी नहीं....कितनी खूबियाँ है तुझ मे,यह बताना लाज़मी तो नहीं...पर ना उठा सवाल पे सवाल कि अब

तेरे बिना मेरा गुजारा कही भी तो नहीं...
गवाही दे रहे है आज भी वो नज़ारे,तेरे संग बिताए हसीन लम्हे उन्ही हसीन वादियों के लिए...फुर्सत

मिले तो लौट आना मेरे गेसुओं मे वोहि कातिल शाम गुज़ारने के लिए...खामोश लबो पे वो अफ़साने

बार बार दोहराया नहीं करते...ज़िंदगी जो मिले कभी दुबारा उस को यू जाया नहीं करते...गुजारिश है

तुझ से आज भी,वो तेरे साथ के लम्हे फिर से लौटा दे मुझे...गवाही देने के लिए यह दिल बेचैन है,तुझे

नज़दीक से देखने के लिए....

Thursday 17 May 2018

अश्को को दफना दिया दिल के दरीचे मे इस कदर कि दुनिया सिर्फ चमक देखे इन आँखों के तहत .....

यादो को समेटा फिर से इन पन्नो के तले कि तेज़ अँधियाँ ना उड़ा ले कोई इन की परत...खुल के

मुस्कुरा दिए ऐसे कि ना पढ़ पाए कोई इस चेहरे की कोई शिकन....थक गए है कितना वक़्त की इन

बदगुमानियों से फिर भी जज्बात बिखरते है उन की शानो-शौकत मे...लब अचानक से थरथराते है

मगर यह अल्फ़ाज़ है कि जुबाँ से आगे निकलते ही नहीं...

Tuesday 15 May 2018

मौसम की तरह जो बदलना होता तो कोई वादा ना करते....यह जो सुबह आई है,उस की बदौलत

अपनी नाकामयाबियों का खुले - आम तुझ से कभी इज़हार भी ना करते....मुहब्बत जो दबे पांव

दस्तक दे जाती है,जब तक समझ आती है तब तल्क़ खुद को सपुर्दे यार कर जाती है....खुद को खुद

से बेगाना करने के लिए कभी कभी अपने ही दिल के आर पार हो जाती है.....यह कौन सी शै है,जो

शीशे की तरह दिल मे उतरती तो है,पर ज़िंदगी को अपने आप से बस जुदा ही कर जाती है....

Monday 14 May 2018

यह कौन सी ख़ुशी है,जिस ने आज ज़िंदगी के नाज़ उठाने पे मजबूर कर दिया....यह कैसा एहसास

हुआ है,जिस ने मुस्कुराने का हक़ दे दिया....टूटन होती है क्या,दर्द होता है कहाँ..बात बात पे आँखों

को भिगोने वाली उन काली रातो को हमारे जीवन से बस दूर कर दिया.....तारे टिमटिमाते है रोज़

चाँद भी हर रात निकलता था,क्यों आज इसी चाँद मे हम को नायाब प्यार मिल गया....पूछ रहे है

खुद से बार बार,क्या हुआ आज ऐसा,कि इस ज़िंदगी से प्यार हो गया....

Saturday 12 May 2018

जिस को देखने के लिए यह निगाह आज भी तरसे,जिस के साथ जीने के लिए ज़िंदगी आज भी मचले

जनम देने वाली वो मूरत,घर आंगन मे बसी इक और माँ की सूरत...फर्क दोनों मे कुछ नहीं रहा...

जिस को नमन किया वो भी माँ है,जिस के साथ कुछ साथ जिया...वो भी तो माँ है ...माँ सिर्फ माँ है

शब्दों का कोई खेल नहीं...माँ को समझने के लिए किताबो का ज्ञान जरुरी भी नहीं...जो छोटी सी ख़ुशी

मे दुआ दे जाए,जो आंसू भी मिले तो भी ज़न्नत बरसा जाए...दुआ का सागर सिर्फ माँ ही होती है,दर्द

से भरी भी हो, तो भी रूह अपनी से  औलादो के लिए भगवान् से भी भिड़ जाती है...माँ....तुझे प्रणाम.....

Wednesday 9 May 2018

ना कीजिये नज़रो से यह शरारती गुस्ताखियाँ,दिल हमारा मचलने पे आमादा हो जाए गा...दूर रह

कर बात कीजिए,खलल मत डालिये अपनी गुफ्तगू से हमारे सवालिया गेसुओं पे....यह जो बिखरे

तो रात गहरा जाए गी,हमारी पलकों के शामियाने पे कितने सवाल उठा जाए गी..इन नरम कलाइओ

को ना मजबूर कीजिए खुद की बाहों मे आने के लिए,सोच लीजिए यह जिस्म यह जान फ़ना हो जाने

पे आमादा हो जाए गा....

हर दौड़ ज़िंदगी की आसान नहीं होती...कितनी मशक्कत के बाद कोई एक राह ही सफल होती है 

हज़ारो दिए बुझते है वक़्त की हवाओ मे,रात भर जगते है गर्म फिजाओ मे....ना चाहते हुए भी लब

बेवजह मुस्कुरा देते है....इक नन्ही सी आरज़ू के साथ,हज़ारो सपने जुड़े होते है...कभी कभी अकेले

यह ज़िंदगी दूर कही बहुत दूर निकल जाती है....सोचते सोचते उम्र भी निकल जाती है....हिम्मत का

साथ ना छूटे कही,कि यह दौड़ ज़िंदगी की बड़ी मुश्किल पकड़ मे आती है....

Tuesday 8 May 2018

क्या कुछ ऐसा था जो मुझे सुनाई नहीं दिया...कुछ ऐसा अनदेखा जो इन आँखों से छुप सा गया...

क्या कहा उस ने कुछ खास ऐसा,जो मैंने सुन कर भी अनसुना करा....धक् धक् धड़कनो की वो आवाज़

जो मेरे दिल तक पहुंचते पहुंचते रुक क्यों गई....नज़र अचनाक उस की ऐसे भर आई,पर मेरी नज़र 

कही और थम क्यों गई....बेसाख्ता उडी इश्क की वो आँधी,मेरे हुस्न को मुझ से चुरा कर उस की और 

क्यों ले चली...

Sunday 6 May 2018

बहुत आहिस्ता से,बहुत धीमे से...कुछ उस ने कहा...मुनासिब तो नहीं तेरे संग जीना..पर मुमकिन

तो है तेरी बातो मे घिरे रहना...नरम होठो से कुछ अल्फ़ाज़ मुहब्बत के कहना और फिर खुद ही खुद

मे सिमट जाना....पलकों की चिलमन मे हज़ारो बातो को छुपा लेना..कभी यूं ही शरमा के मेरी गिरफ्त

से खुद को जुदा करना..कच्ची उम्र का यह खूबसूरत मोड़ है कैसा,जहा बहुत धीमे से जो उस ने कहा

मेरे इस नन्हे से दिल ने उस नगीने को वफ़ा का नाम दिया...

Sunday 29 April 2018

इन पन्नो पे कितना लिखा मैंने कि हिसाब अब खुद के पास भी नहीं...कभी चुराए ख़ुशी के लम्हे

कभी दर्द को दिल से थाम लिया...हॅसते हॅसते हज़ारो बार यह नैना मेरे छलक गए,कभी अधूरी आस

लिए यह पलकों को बस भिगो गए....जनून लफ्ज़ो का कैसा है कि रात दर रात कलम चलाते ही रहे

कभी लिखा कही कुछ ऐसा कि बंद दरवाजे भी काँप गए...लिखना है कब तक,नहीं जानती  वक़्त की

धार,एक पन्ना बचा कर रखा है खास......जहा होगा सिर्फ मेरा आखिरी पैगाम .....

हर बात को हवा मे उड़ा देना,तेरे बताए रास्ते पे चलने की हिम्मत रखना....कब से अपनी आदत मे शुमार

कर लिया हम ने ....खुल के हर बात पे हंस देना,किसी ने क्या कहा,और हम ने क्या सुना....सोच से भी

परे नकार दिया हम ने....डर के जीना भी कोई जीना है,दुनिया से मिले तो यह खास राज़ उन्ही से जाना

हम ने...तेरी कही हर बात आज सही वक़्त पे,सही तरीके से सामने आई है....तेरे उसी वादे से बंधे हर उस

धर्म को निभाए गे,जो मेरे तेरे रिश्ते के नाम से ऐसी धर्म से टकराए गे .....

Thursday 26 April 2018

ख्वाईशो के इस जहान मे,हर वक़्त कुछ नया पा लेने की चाहत मे....आज तेरी तलाश है,कल किसी

और का साथ होगा,क्या ज़िंदगी सिर्फ इसी का नाम है.....टुकड़े दिल के कभी इस के किए,दिल को दर्द

दे कर आंसू कभी किसी और को दिए.....ज़िल्लते दे कर फिर खुद से दामन खींच लिया....खुदा के नाम

से मुहब्बत का कभी सौदा किया....क्या मायने प्यार के सिर्फ इतने ही है....मुहब्बत के पाकीजा अल्फाज

गिनती के नाम है,मगर मिलते जरूर है तभी तो इस जहान मे मुहब्बत सांस आज भी लेती है....

Wednesday 25 April 2018

आप खास है या आम,इस सवाल का जवाब दिल ने कभी बताया ही नहीं...रफ्ता रफ्ता चलती जा

रही यह ज़िंदगी,इस अहम् सवाल से दूर इस का ख्याल कभी आया ही नहीं....कभी मशगूल रहे तो

कभी बेबस रहे,नज़दीकियों के चलते किसी बात का धयान इस तरफ आया ही नहीं...अपने आस पास

किसी ने हम मे क्या देखा,क्या सोचा...इस से बेखबर किसी और का वज़ूद कभी सोचा भी नहीं...अब

ज़िंदगी के उस मोड़ पर है,जहा काम के सिवाए कुछ और सोचा भी नहीं....
सुबह कितनी ही आती है....सुबह कितनी ही आए गी....जो निकल रही दुआ आज इस मन से,वो

ना जाने फिर कब मन से आए गी....आंख खुली तो सब से पहले अपने उस मालिक को देखा..जिस

ने बनाई हर सुबह और रात को ढलते देखा....चरण छुए तो सब से पहले एक खास दुआ इस मन से

निकली,तूने जाना है उस मंज़िल तक.....जहा ख़्वाब होता है सब का.....इस दिल की अब एक ही आस

तू जल्दी पहुंचे उस मंज़िल तक..मेरी इन साँसों के जाने से भी पहले...बस निकल रही,एक दुआ,तेरी

मंज़िल सब से आगे.....सब से आगे....
एक मामूली सी हस्ती को,किसी ने आसमां पे बिठा दिया....पथरीली राहो से उठा कर,साफ़ रास्ता

दिखा दिया....सीधा सादा सा एक जीवन,ना कोई ताम ना कोई झाम....इबादत मे जो बीत गया

वोहि सुबह तो बस वोहि है शाम....दुनिया क्या कहती है,क्या सुनती है...इन से दूर बहुत ही दूर .

अपनी मस्ती मे जी रहे अपनी किस्मत का हर पैगाम....ना शिकायत ना कोई शिकवा,ना रूठने का

अब कोई काम...फिर भी एक मामूली हस्ती,जिसे बनाया किसी ने खास.....

Monday 23 April 2018

अपने आशियाने मे तेरी यादो को समेटा और सांसे लेने के लिए खुली हवा मे आ गए....क्यों दिल ने

फिर झकझोरा और तेरी तलाश मे नए आशियाने मे बसर गए....यह कैसा असर है तेरे वज़ूद का, जहा

भी जाते है तेरी तस्वीर मे तुझी को पा जाते है.....बाते तुझ से हज़ारो कर के,अपने दिल का हाल बताते

है....क्या कहे यह बात तुम से हज़ारो बार कि तेरे बिना हर सवाल अधूरा है तेरे जवाब के बगैर....खशबू

आज भी मेरे जिस्म से तेरी ही आती है,दिल जितनी बार धड़कता है उस मे आवाज़ तेरे ही दिल की

आती है....
सितारों के झुरमुट मे एक सितारा ऐसा देखा...चमक उस की मे कुछ खास नज़ारा देखा....देखते

देखते रात गुजर गई कैसे,किस अंदाज़ से उस का रूप निहारा हम ने....यह जानते हुए भी कि बात

हमारी वो ना समझ पाए गा,पर पैगाम हमारा मेहबूब तक पंहुचा दे गा इस यकीं से गुफ्तगू का सहारा

लिया हम ने....गुजारिश करे या मिन्नतें उस की,कि उस सितारे को हम ने खूबसूरत सा नाम दे कर

खास सलामे-अर्ज किया हम ने.....
यू ही तो नहीं कहते कि मुहब्बत बेजुबान होती है...जो आँखों के एक इशारे से दिल मे उतर जाए,वो

ही जुबान का काम कर जाती है....पलकों के शामियाने से जो धडकनों को हिला दे,पलकों को उठा दे

तो दुनिया ही हिला दे....कुछ नहीं कह कर यह बहुत कुछ कह जाती है....समझने वालो के लिए यह

कहर बन कर ज़िंदगी को बखूबी सब जतला जाती है...कुछ ना कह कर जो सब कह जाए,मगर

इलज़ाम खुद पे यह ले जाए कि मुहब्बत बेजुबान होती है....
हर उस नज़र को सलाम करे गे हम ,जो दिल हमारे को जीत जाए गी....नज़र ना लगे हमारे उसूलो

को,जिस के सहारे हम ने अपनी ज़िंदगी को गुजार दिया....दौलत को नहीं,रुतबे को भी नहीं...झूठी शान

को भी हम ने नकार दिया ....सीधा सादा इक मन हमारा,जो खरे सोने जैसे प्यार के लिए तरस गया...

पर उस खरे सोने जैसे प्यार की तलाश मे,जीवन हमारा बस गुजर गया...आज भी ढूंढ रहे है उसी नज़र

को,जिस नज़र के लिए हमारे दिल ने अपनी ज़िंदगी को गुजार दिया....

Friday 13 April 2018

एक कहानी जो तक़दीर ने मेरे लिए लिखी....एक कहानी जो मैंने अपनी कलम से लिखी....फर्क दोनों

मे सिर्फ रहा इतना,तक़दीर की कहानी के आगे सर हमेशा झुकाया मैंने....लेकिन  जब कलम मेरी ने

लफ्ज़ उतारे पन्नो पर,तो किसी के सर झुकाने की आहट तक ना सुनी...कलम तो कलम ही है,जिस

का काम है लफ्ज़ो पे चलना...आहट सुनने के लिए अब कौन रुके,जब टूटे गी कलम,कहानी खुद ब खुद

रुक जाए गी ....
चाँद की चांदनी की तरह आ तुझ मे सिमट जाए....रहे ना फासला कोई,तेरे ही वज़ूद मे ग़ुम हो जाए...

प्यार की इंतिहा कितनी है,यह सवाल तुम ने कई बार उठाया था....जहा जन्मो के बंधन की कोई सीमा

ना रहे,आसमां के खतम होने का कोई अंदेशा ना रहे....जहा रूहों के मिलन मे कोई ग़ुस्ताख़ नज़र ना

बचे,जब तू मेरे सामने हो,तो कोई पत्ता भी ना हिले....तेरे इक इशारे पे यह सांसे रुकने के लिए तैयार

रहे...अब तू ही बता इसे इंतिहा कहे या तेरे सवाल का जवाब कहे....

उस मुहब्बत का क्या करे,जो तेरे साथ साथ तेरी रूह से मुहब्बत कर बैठी है.....इन नशीली आँखों

को कितना समझाए,जो तेरे लिए अपनी पलकों का आशियाना बनाए बैठी है...चूड़ियों की खनक

जानती है,कि यह इंतज़ार बहुत जल्द खतम होने को है....इन लबो की मुस्कराहट बरक़रार हमेशा

रहने को है....तेरी दुल्हन तेरे लिए क्यों ना सजे,कि मेरे मन के मीत के आने की खबर बस आने को

है....वोही लम्हा,वोही दस्तक,वो तेरे छूने की अदा...तेरी ही दुल्हन अब तेरे लिए बाहें फैलाए बैठी है  ...

Thursday 12 April 2018

हा .. फिर से तेरे साथ जन्मो जनम साथ रहने का वादा करते है...उन्ही तमाम कमियों के साथ,एक

बार नहीं करोड़ो बार साथ निभाने का वचन देते है....ग़ुरबत भी हो या दौलत के ख़ज़ानों का अंबार

प्यार कहा देखता है इन इशारो का हिसाब....जीने के लिए इक छोटा सा घर,उस मे बसी हो तेरी मेरी

सांसो की महक...सुबह उठू तो तुझे देखु,रात तेरी आगोश मे बसे...तेरी सूरत पे मै जाऊ वारी वारी,और

तू मेरी हसी की इक पहचान रहे...काफी है यह सब हर जनम साथ निभाने के लिए...

Tuesday 10 April 2018

ज़िंदगी चलती रही,हम भी उस के साथ साथ चलते रहे...वो कभी सुख देती रही,वो कभी दुखो का

रैला भी देती रही...भगवन से सिर्फ इतना कहा..तू जो भी दे...ख़ुशी हो या गम...सब कुछ मंजूर

हमे...उसी के नाम से बहुत कुछ हासिल किया,उसी के आदेश से दुखो मे भी जीवन जी लिया....

हर घडी खुद को यह सन्देश देते रहे,तू जो रुक गया तो ज़िंदगी भी थम जाए गी...हिम्मत का

दामन थाम ले,देखना सारी मुश्किलें भागती नज़र आए गी....
सजा रहे है नन्हे से आशियाने को,इस एहसास के साथ कि मुकम्मल होना है आज भी तेरी उन्ही

हसीन बातो के साथ.... तेरे लिए ही सजना है,तेरे लिए ही सवारना है....वादा जो दिया था तुझ को

कभी,उसी वादे के तहत हौसला-अफजाई से जीना है अभी....तेरे रूठ जाने से आज भी डर लगता है

तेरे लिए अपनी नज़र उतार ले,उन्ही होठो को आज भी वैसे ही मुस्कुराना है....दुनिया से दूर बहुत दूर

हो चुके है हम....तेरे सिवा इतना प्यार कौन लुटाए गा हम पे ,कोई भी नहीं...यह अच्छे से जान चुके है

हम.....

Monday 9 April 2018

बहुत दूर तक यह नज़र जहा जाती है....तेरी तस्वीर मुझे वहां तक नज़र आती है....फासले ही फासले

और एक लम्बी दूरी...नज़र जब जब भी भर जाती है,उदासी मे नैनो को झर झर भिगो जाती है....फिर

ना कोई सुबह और ना कोई शाम ही नज़र आती है....आंखे जो मूंदे क्यों तेरी तस्वीर साफ़ नज़र आती

है....प्यार कोई खेल नहीं,जन्मो का इक बंधन है.....दुनिया की नज़र मे हम  भले कोरा कागज़ ही सही,

पर तेरे नाम से खुद की दुनिया सतरंगी ही नज़र आती है....

Sunday 8 April 2018

दुआ...जो ज़िंदगी देती है....दुआ,जो दुखो से निजात दिलाती है....कुदरत के कहर के आगे जो

नतमस्तक होता जाए,जो हर हाल मे खुद को हौसला देता जाए.....टूट टूट कर फिर जीवन को गले

लगाता जाए..... खुद के इरादों को मजबूती से निभाता जाए....रो कर ज़ार ज़ार खुद की हिम्मत को

बढ़ाता जाए,बिन सहारे मुश्किलों को संभालता जाए...मालिक की दया साथ होती है अगर,तो दुआ

भी साथ होती है...यह दुआ ही तो है,जो हर पल,पल पल.....सांसो को चलाती है....

Tuesday 3 April 2018

बहुत ख़ामोशी है इन हवाओ मे आज,इतनी ख़ामोशी कि धडकनों को सुनाई दे रही है धडकनों की आवाज़ ..

क्यों बेताबी है बादलों मे आज,बिजली की चमक से गूंज रहा यह आसमां कुछ खास.... फूलो ने बिखेरी

है खुशबू कुछ अलग अंदाज़ मे आज....एक हलकी सी परत शर्म की छाई है चांदनी के उस पार....कुछ

समझ से परे है बाते उन की आज...लापरवाही इस दुपट्टे की,संभाले नहीं सँभलती आज...बस सुनाई दे

रही है धडकनों को सिर्फ धडकनों की आवाज़....

Sunday 1 April 2018

उड़ जाए हवाओ मे,आज यह मन करता है...ना रोके कोई ना टोके कोई,अपनी मर्ज़ी से हर पल को जिए

आज यह मन करता है...टुकड़े टुकड़े अब ना  जिए,बिंदास जिए, खुशहाल रहे....ना अब नफरतें किसी

की सहे,ना जबरदस्ती किसी भी बंधन मे बंधे....फूल बिछाए कोई राहों मे मेरी,मेरे जज्बात समझ मुझे

अब समझे कोई...उदास नहीं,परेशां भी नहीं...मनमर्ज़ी से सब अपनी करे,आज यह मन करता है....

Saturday 31 March 2018

आ मेरे पास कि दिल का आंगन सूना सूना आज भी है....उसी अदा से तेरा आंखे झपकाना,कसम

तेरी सब याद आज भी है....चलते चलते पलट कर फिर मुझी को देखना,वो तेरी खता मेरी नज़रो मे

समाई आज भी है....मै उदास हू यह जान कर मेरे गले से लिपट जाना,वो मासूम सा एहसास रूह के

आस पास आज भी है.....खुशकिस्मत तब भी थे,खुशकिस्मती आज भी है....मेरे आंगन मे तेरा

चमकना,वो सारा वक़्त याद तो आज भी है....

Friday 30 March 2018

एहसास जो आहट देते रहे बार बार.जज्बात जो दिल के किसी कोने मे जगह बनाते रहे साथ साथ ....

टुकड़ों मे जीते जीते जिंदगी को देते रहे सही मुकाम....तक़दीर के हर फैसले को ना मानने का हौसला

जुटाते रहे हर सुबह,हर शाम....दस्तक जो कभी दी किसी ने,बाहर ही बाहर से लौटते  रहे हर बार....

किसी ने कहा कि खुद्दार है हम,कोई कहता रहा दगाबाज़ है हम...पर कहना हमारा रहा यही...अपनी

मर्ज़ी के है मालिक,दुसरो के नक़्शे-कदम पे नहीं चले गे अब बार बार....

Thursday 29 March 2018

प्यार को कोई नाम ना दे....इस की चमक को कोई पैगाम ना दे....लहरों की चंचल धारा की तरह जो

बहती जाए,इस मुहब्बत को कोई गलत इलज़ाम ना दे.....पाक रहे इतना रिश्ता,कि खुदा के पास जा

कर कोई शर्मिंदगी का एहसास ना हो....कदमो पे फूल बिछाने के लिए,मेरे आने को इंतज़ार का कोई

रंग ना दे....दूर रह कर प्यार की सिर्फ इबादत कर...मगर इस प्यार को कोई नाम ना दे....
तेरे ख्वाबो की तस्वीर तो है,तेरे जीवन की कोई खूबसूरत सी नज़्म भी है.....तेरी सांसो को जो खुशबु

दे,उसी बहती नदिया की कोई पहचान भी है....सुबह की पहली किरण से जो याद आउ,रात ढले तो

सपनो मे जगह ले जाऊ....मंदिर की कोई मूरत भी नहीं,परियो के देश से उतरी कोई परी भी नहीं...

ना कोई रिश्ता है,ना समाज के दायरों मे बंधा कोई नाम भी है....लेकिन....मेरे बिना तेरा कोई वज़ूद

नही....बस यूं कहे तेरे जीवन की कोई खूबसूरत नज़म ही है....

Wednesday 28 March 2018

दिए की लौ मे जो देखा चेहरा उस का मैंने....होश थे गायब,धडकनों को कैसे संभाला मैंने....बिजली

सी गिरी दामन मे मेरे,आँखों की चमक को कैसे छुपाया मैंने....इतने करीब से उसे देखना होगा भी

कभी,अपनी किस्मत पे यकीं नहीं हुआ जैसे....बात करने के लिए जो लब खुले उस के,यूं लगा कमल

के फूलो ने जो अंगड़ाई ली हो जैसे....उस के नाज़ उठाए या कुछ सवाल करे उस से,इसी कशमकश मे

क्यों सारी रात यूं ही गुजार दी मैंने.....

Tuesday 27 March 2018

 हरदिल अज़ीज़ रहे तुम मेरे,मेरी आँखों के ऐसे सितारे .....परवरदिगार से कहने के लिए अपने लिए

कुछ भी ना था...मांगी सारी दुआए बस तेरे ही लिए.....दुआए होगी क़बूल एक दिन,इतना यकीं था

उस की रहमत पर.....कभी रहे ज़लज़ले,कभी बही तेज़ अँधिया....टुकड़े हुए दिल के कभी,कभी बह

गया सारा आशिया....काम था बस दुआ बांटना,दुआओ मे तेरी सारी शख्सियत को बस निखारना ....

ना कोई ढोंग था,ना कोई आराधना..सीधा सादा यह मन,परवरदिगार के आगे सचमुच बह गया....

Sunday 25 March 2018

किस्मत की लकीरो से बार बार  सवाल पूछा हम ने....शिद्दत से जिसे चाहा हम ने,उसी को दूर क्यों 

किया हम से....मुहब्बत किसी की बेइंतिहा दे कर,रिश्ते को क्यों तोड़ डाला हम से....ज़ी भर भर जब

हसी मिली खुद से,तो क्यों खुद अपनों को किनारे कर दिया हम से....आंखे जब दर्द को भुला सहज

होने को लगी,क्यों अचानक पलकों को सैलाब मे भिगोया ऐसे....ग़लतिया होती है मगर,कोई गुनाह

ऐसा भी नहीं किया हम ने...जो यूं रुला रुला कर जीते जी मार डाला हम को......

Friday 23 March 2018

आज भी रातो मे तेरे एहसास की खुशबू आती है....सुबह सवेरे हवाओ मे तेरी रूमानी बातो की कसक

दिल को छू जाती है....परिंदे जब जब चहक चहक जाते है,फूलो पे जब भी भवरें राग सुनाते है....कोयल

की कू कू से जैसे तेरे आने का अंदेशा होता है.....वहम इसे माने कैसे,इस दिल की सदा को झूठा कैसे कह

दे....तेरे हर अंदाज़ से वाकिफ है,तेरी सांसो की महक आज भी मेरे जिस्म से आती है....मेरी रूह के तार

झनक झनक जाते है,जब भी तेरी रूह मेरी रूह से मिलने आती है....
हज़ारो जन्मो का वादा ले कर,हज़ारो जन्मो का वादा दे कर.... सकून से रह पाए गे....रिश्तो मे नहीं

नातो मे नहीं...बरस दर बरस इंतज़ार मे गुजरते जाए गे....इल्ज़ाम बहुत मिले है,कभी अपनों से तो

कभी बेगानो से....ज़ख्मो की आंधी मे गिरे दरख़्त मेरे अपने आंगन मे....इतनी नियामते साथ रही मेरे

कि जड़ कभी टूटी नहीं...शाखाएं कभी बिखरी कभी हिलती रही,ज़मीन से जुड़ाव टूटा ही नहीं...हा...तुझ

से जन्मो का वादा है,जो कभी टूटे गा ही नहीं....

Thursday 22 March 2018

बहुत ख़ामोशी से सुपुर्द किया इसी धरा के नाम...और इतिहास समझ सब धीरे धीरे भूल गए....गाहे

बगाहे मौको पे दो आंसू से बस याद किया... लेकिन हम ने चुपके से,उन सभी कमियों को याद किया

और जन्मो का साथ मांग लिया...दिल के दरवाज़े को फिर आहट दी और एक  पन्ने पे तेरा नाम लिखा

 जज्बात भरे उस पर इतने कि हर जर्रा जैसे सहम गया....कभी लिखा दर्द इतना तो कभी मुहब्बत को

अंजाम दिया....ना भूले धरा की धरोहर को,अपनी पलकों मे बस थाम लिया....

Wednesday 21 March 2018

बचपन मे जो खिलौना टूटा,हम ज़ार ज़ार रोए थे.....उन टुकड़ों को समेटने के लिए,माँ की गोद मे फिर

से रोए थे....कुछ नया  पाने के लिए,मशक्कत बहुत की हम ने...नायाब पाने की चाहत मे,आंसुओ को

पोछ डाला हम ने....लबो पे फिर हसी उभरी,खिलौना नया अब हमारे हाथ मे था.....उम्र का यह कैसा

दौर है,जो रहा बहुत अपना...उसे खो कर क्यों ज़ार ज़ार आज भी रोते है....नायाब कुछ भी क्यों ना मिले

जो खोया,उसी को पाने की मशक्कत मे क्यों आज भी परेशां होते है....

Tuesday 20 March 2018

गहन ख़ामोशी से,खुद के लिए छोटी से जगह मे समा जाना.....कोई ढूंढे भी तो कहाँ तक ढूंढे,नीर मे

खुद को इस दुनिया से जुदा करना....मेरी उम्मीदों को पूरा करने के लिए,हर वक़्त सज़े रहने का वादा

ले कर जाना....नूर चेहरे का कभी कम ना हो,मुस्कुराने की वो अदा कभी खतम ना हो...जब जब आऊ

नूर की रोशन अदा से सकून को पाऊ....जन्मो के साथ का वादा है दुल्हन,तेरे लिए तो हर जहाँ को भी

छोड़ कर आ जाऊ....
वही दिन,वही शाम,वही वक़्त.....जुदाई की राते बहुत ही लम्बी है.....भरी आँखों से मुझे जाते जाते

निहारना,बहुत ही जोर से मेरा नाम ले कर मुझे पुकारना....मेरे पास आते ही,अपनी दुनिया मे चले

जाना.....मेरा बुत बन कर बस खड़े रहना....यकीं करना था बहुत मुश्किल कि साथ तो अब छूट गया

पर बरस दर बरस तेरा मुझे हमेशा यह एहसास दिलाना कि साथ छूटा कहा,मै हू ना पास तेरे...लबो को

फिर से हसी देना,आगोश का एहसास दिला कर यह कहना......सदियों मे पैदा होती है ऐसी दुल्हन

और भरी नज़रो से कही फिर गुम हो जाना.....
विराम नहीं....अर्ध विराम है अभी.....तुझ तक पहुंचने के लिए कुछ सोचना जरुरी है अभी....कुछ

फ़र्ज़ अदा करने बाकी है अभी ....तेरे नाम से जुड़े कुछ काम अधूरे है अभी...रूह को इन सब से अलग

करना जरुरी है अभी...इन कदमो को समझदारी से चलाना मुश्किल है अभी....तेरे बिना सब कर पाउ

यह अहम् सवाल खुद से निभाना जरुरी है अभी...लौट के आना है बस तेरे ही पास,यह सांसो का बोझ

उठाना दर्दभरा है अभी..... 

Sunday 18 March 2018

बिखरते बिखरते..इतना बिखरे ... याद तेरी मे सारे जज़्बात बस बिखर गए.............

....................................................................................................................

.......................................................................................................................

तू कहाँ और अब हम कहाँ...कहानी के तमाम किरदार ही बिखर गए...............................

Saturday 17 March 2018

कही कुछ आहट सी हुई...कही दिल को कुछ एहसास हुआ...चूड़ियाँ खुद ब खुद बजने लगी...पायल

बेसाख़्ता मदहोश होने लगी... परिंदे अपनी उड़ान से फिर ऊँचे जाने लगे...आंखे जो मूंदी तो सपने

भी बस तेरे आने लगे...दोहराने लगी यादे कहानियाँ फिर तेरी...लब खुद ब खुद  मुस्कुराने लगे...नशा

मुहब्बत का कुछ ऐसा चढ़ा,कि पाँव रहे ज़मीं पे और हम तेरे साथ तेरी ही यादो मे बस खोने लगे....

Friday 16 March 2018

आजा ना अब...कि घर अपने लौट चले...तेरे ही साथ,तेरे ही लिए..फिर से इस ज़िंदगी को एक साथ

जिए....तेरी ही बाहों मे बहके,तेरी आगोश मे सकून से सो जाए...तेरे साथ नई सुबह देखे और फिर

अपने ही घर की चारदीवारी मे कैद हो जाए...एक बार से फिर दुल्हन के लिबास मे,तेरे होश उड़ा डाले

ना तू कुछ मुझ से कहे,ना मै तुझ से कुछ बोलू...नैनो की भाषा मे,एक साथ फिर इन्ही लम्हो को जी

भर कर जिए...आ भी जा...कि घर अपने अब लौट चले...

बहुत ही शिद्दत से मुस्कुराते है हम,जब भी हद से जय्दा उदास होते है....रात की ख़ामोशी मे जितना

तड़प कर रोते है हम,सुबह रौशन होते ही जी भर खिलखिलाते नज़र आते है हम...दुनिया कहती है

कितने खुशनसीब है हम,बस लोगो की इसी दीवानगी के नखरे उठा उठा जाते है हम....बेबसी अपनी

को नज़रअंदाज़ कर इन्ही पन्नो पे फिर से बिखर जाते है हम....लोगो की वाही वाही से अपनी उदास

दुनिया को फिर से समेटने लगते है हम....
तेरे चले जाने से बहुत खामोश हो चुकी यह ज़िंदगी मेरी .....हर ज़र्रा खामोश है,सब कुछ  खामोश है....

कभी कभी तेरी यादे बोलती कुछ बात है....इतनी गहन ख़ामोशी मे मुझ से कहती हर बात है ....

आंख भीगी जब जब मेरी,कुछ अल्फ़ाज़ हवा मे बिखर गए....यूँ लगा मुझे जैसे,कि तुझ तक मेरे

जज़्बात पहुंच गए...कभी दूरिया तो कभी नज़दीकिया,चलती जा रही यह ज़िंदगी....हर बार तुझे मेरा

यही पैगाम...तेरे जाने से बहुत खामोश हो चुकी यह ज़िंदगी मेरी....

Sunday 11 March 2018

पलक झपकने का मन ही नहीं,तो नींद को इन आँखों मे कहाँ से लाए....बाते तुझ से हज़ार करे,पर

तुझे ढूंढ कर अब कहाँ से लाए...एक एहसास तेरा जो मुझे रोने भी नहीं देता,पर वो प्यार तेरा मुझे

बरसो से चैन से सोने भी नहीं देता....आईना है सामने मेरे,रूप की चांदनी खिली है आज भी चेहरे

पे मेरे....तुझे जो वादा दिया,उस के तहत उसी नूर के मालिक आज भी है...रात गहरा रही है धीमे

धीमे,सो जाए या सपनो मे तेरे आने का इंतज़ार करे....
तुझे याद करे या तुझे भूल जाए....तेरी यादो के साथ जिए या फिर इस ज़िंदगी से दूर बहुत दूर कही

निकल जाए....दस्तक दे रही है आज भी तेरी वोही सुनहरी यादे,सीने को सुलगा रही है तेरी रूमानी

बातें....इन सब को समझने के लिए दुनिया की समझ कोरी है,बेकार की गुफ्तगू के लिए यह दुनिया

मुझ पे यक़ीनन भारी है....इन सभी से अलग तेरी ही नज़रो मे हम तेरे है...अब तू ही बता,इन को

खुद मे शामिल करे या सिरे से नकार जाए...

Wednesday 7 March 2018

सूरत तेरी कभी देखी तो नहीं,मगर लाजवाब सीरत से तेरी वाकिफ है....बूंद बूंद पानी से भरता है

समंदर,तेरी बातो की गहराइयों से यह दिल घायल है....ज़ज़्बात दिखते नहीं मगर तेरी गुफ्तगू से

छलक छलक जाते है....देखे नहीं,मिले भी नहीं लेकिन तेरी बेबाकियो को अंदर तक पहचान जाते

है....कुछ कहते है कि दुनिया बहुत लम्बी है,हम कहते है कि यह बहुत ही छोटी है...मिले गे किसी ना

किसी मोड़ पर,कि तेरी पाक मुहब्बत से हम खूब  वाकिफ है.... 

Thursday 1 March 2018

टूट के इतना चाह मुझ को,कि कोई हसरत फिर बाकी ना रहे....ज़माने की नज़रो से परे कोई हिसाब

फिर बाकी ना रहे...दौलत के ढेर पे ना मुझ को बिठाना,ख्वाईशो के जहान मे ना खुद को डुबोना...

दुनिया क्या सवाल उठाती है,कोई जवाब इन को ना देना....शिद्दत तेरे मेरे प्यार की इन को ना समझ

आए गी... वक़्त की रवानगी के साथ इन की आवाज़ भी खामोश हो जाए गी...आ मेरी आगोश मे,कि

फिर कोई हसरत बाकी ना रहे...
सुन साजन मेरे...कानो मे ज़रा इक आवाज़ तो दे....प्यार का वो पहला पैगाम तो दे...बरसो पहले

उसी इकरार का फिर से इज़हार तो दे...बिखरी हुई इन जुल्फों मे अपनी अँगुलियों का वही एहसास

तो दे....तेरी ज़िंदगी के हमराज़  है,नायाब लम्हो के राजदार भी है...शुक्रिया है तेरे इस प्यार का ..सजन

मेरे,उन्ही खूबसूरत लम्हो का आज फिर से पुराना अंदाज़ तो दे....

Thursday 22 February 2018

हसरतो को बुलाए या फिर हसरतो को रुला दे...उन बुलंदियों पे है,जहा दौलत को चुने या फकीरी की

असल राह को चुने....पत्थर के शहर मे किसे इंसान कहे,किस को फरिश्ता कह दे...फर्क कितना है

मगर,किस पे विश्वास करे तो किस को दगाबाज़ कहे....प्यार लबालब लुटाने वाले अंदर से किस मिट्टी

के बने...इस रूप से वाकिफ होने के लिए,कितने जनम और ले या  इसी जनम मे इन की करतूतों को

पर्दाफाश करे....
हर गुजरता लम्हा हमी से हमारी उम्र को चुरा रहा है.....ओस की बूंदो की तरह यह वक़्त भी हमारे

हाथो से फिसल रहा है....खुद की धडकनों को जो सुने,तो यह आज भी बेबाक धड़क रही है...किसी

भी खौफ से दूर,हर इम्तिहान के लिए तैयार हो रही है....उम्र और वक़्त से परे,यह अपने मेहबूब पे

निसार हो रही है....जा रे वक़्त तू क्या हम से चुराए गा,मेहबूब की बाहों का यह प्यार तेरी ही धज़्ज़िया

उड़ा जाए गा.....
तुझे हां  भी कैसे कहे,तुझे ना भी कैसे करे....जिस ज़िन्दगी से हम बंधे है,उस की तौहीन भला हम क्यों

करे....नन्हा सा दिल है हमारा,हज़ारो ख्वाइशो को जीने के लिए....मोम की तरह पिघलते है,और खुद

ही खुद मे जल जाते है....आईने मे जब जब खुद को देखते है,एक सवाल अपने आप से उठाते है ...ऐसा

क्या है हम मे,कि दुनिया की नज़रो मे,उन के दिलो मे उतर जाते है.... 

Wednesday 21 February 2018

हर मोड़ पे हम भूल पे भूल करते चले गए...तुझी को पाने की कोशिश मे,कभी रोए कभी बेबस होते

चले गए....मेहंदी रची तेरी उन हथेलियों को आज भी याद करते है,तेरे माथे की उस बिंदिया पे जब

किसी और का नाम जान लेते है...यकीं नहीं होता कि राहे अब ज़ुदा है हमारी...अकेले चलने की

हालत मे बस तबाह होते चले गए....दीवाने बने तो इतना बने कि भूल पे भूल करते चले गए ...
यु तो तेरे शहर की हर गली से वाकिफ है हम.....तू जहा से भी गुजर जाए,उस के हर कदम से मुखातिब

है हम....परदे मे रहो या पर्दो की आड़ मे,तुझे पहचानने की भूल नहीं कर सके गे हम....सांसो पे काबू

रखने की कोशिश मे,तुम को याद आया कि दिल आज भी तुम्हारा है हमारे पास.....नैनों की भाषा कौन

पढ़ पाए गा कि इन नैनों की कमान है अब हमारे पास....
तुझ पे दुआऐ बरसाने के लिए,जरुरी तो नहीं कि तेरे साथ जिया जाए...मेरी रूह तुझे हर वक़्त महफूज़

रखे,जरुरी नहीं कि मेरा जिस्म तेरे दायरे मे रहे....इबादत  के ताने-बाने मे,कितना खुद को गलाया

कितने जज्बात बहे....खुद की सफाई मे सिर्फ नाम खुदा का पुकारा और सारे सुबह शाम बस उसी के

नाम किए....अपने लिए क्या मांगे,बस रूह से जुड़े हर शख्स को दुआओ मे नहला कर...आँखों के यह

मोती इन्ही पे कुर्बान किए..... 

Tuesday 20 February 2018

तेरी रज़ा ना सही मगर तू मेरे जीने की वजह तो है....हज़ारो सितारों के बीच,इक झिलमिलाता नन्हा

सा सितारा तो हू.....रौशन तेरा जहाँ बेशक ना कर पाऊ कभी,मगर तुझे दुनिया की गुस्ताख़ नज़रो

से बचाने का इरादा तो है....तुझ पे लुटाने के लिए दौलत के ख़ज़ाने नहीं है मगर,तेरे लिए खुशियों

की दुआएं क़बूल करवा लू....इतनी शिदत तो मेरी इबादत मे है .... हर जनम तेरी रज़ा भले ना

हो,मगर हर जनम सिर्फ तेरे लिए लू,यह गुजारिश तो आज भी है.....

Monday 19 February 2018

तेरे रूप के चर्चे सुने,तेरी आँखों के ना जाने कितने नाम सुने....शिद्दत से  चाहने वाले  तेरे दीवाने

भी सुने...कुछ तेरे नाम से जिए,कुछ तेरे नाम से मरे.....सुर्ख लबो की तारीफ मे गुलाब कितने ही

झुके.....गेसू जब जब बंध के खुले,बादल भी उतनी तेज़ी से बरसे और बरसते ही रहे...पायल की खनक

से बिजली जो चमकी,आसमान के सीने मे कुछ तीर ऐसे भी चुभे...कि चाँद की चांदनी उस के आगोश

मे लिपटी हज़ारो अफ़साने कहे...हा अब तेरे इस रूप को देखने के लिए,यह मेरे कदम हज़ारो मील की

दुरी तय करने के लिए...अब तेरे पास आने को हुए ....

Tuesday 13 February 2018

कलम अपनी को जरा रोकिये ना,या फिर मुझ को इन्ही पन्नो पे कहानी की तरह लिख लीजिए ना ..

इतने लफ्ज़ो मे कभी मेरा नाम भी लिखा कीजिए,प्यार के अल्फाज़ो मे कुछ अल्फ़ाज़ हमारे नाम

भी कीजिए....सुन कर इन की बात हम बेतहाशा हँस दिए....याद कीजिए उस वक़्त को,हमारी कलम

की जादूगिरी पे कुर्बान सब से जय्दा आप थे...हम से जय्दा इन्ही पन्नो के कायल भी आप थे....उम्र

भर का जब साथ है,तो पन्नो पे नाम आप का क्यों लिखे ....दिल की किताब मे बसे है जब,तो कुछ

ख्याल अब हमारा भी तो कीजिए ......

Monday 12 February 2018

आज वक़्त से पूछा हम ने,क्यूँ इतने मगरूर हो तुम....किसी जगह रुकते ही नहीं,किसी की बात क्यूँ

सुनते नहीं तुम.....खुशियाँ दे कर इंतिहा,फिर उन्ही को हम से क्यूँ छीन लेते हो तुम....ख़ुशी से जब

छलकती है यह आंखे,तो गमो को परोस कर इन्ही आँखों को क्यूँ बेतहाशा रुला देते हो तुम.....क्या

वजह है,ऐसा क्यूँ करते हो तुम..." मै अगर खुशियाँ ही खुशियाँ देता,तो मेरी कदर करता कौन..वक़्त

ही को रुला कर,दुसरो की खुशियाँ लूट लेता यही इंसान" जवाब दिया इसी वक़्त ने...सर झुकाया और

अदब से बोला हम ने,मगरूर तुम नहीं..घिनोने है हम इंसान.....


Sunday 11 February 2018

बेपरवाह रहने के लिए,जरुरी था कि खुद को सवारा जाए....यह मुस्कान फिर लौट कर ना जाए कभी,

जरुरी था कि ज़मीर पे बोझ ना डाला जाए....चुपके चुपके कोई दर्द का झोका हम को रुला ना जाए,

खुद को आईने मे सौ बार निहारा हम ने.....सादगी मे जीने के लिए कोई ना टोके हम को,हर फूल से

हौले हौले उस का हुस्न चुराया हम ने.....जीते जी रोशन रहे दुनिया मेरी,हर किसी के हर सवाल को

सिरे से नकार दिया हम ने....

Wednesday 7 February 2018

बदनाम गलियों से निकल कर,आरज़ू की राह देखी....सितम पे सितम झेले,मगर हसरतो की चाह

कभी ना भूले...पायल आवाज़ करती रही,बाशिंदे साज़ बजाते रहे....बहुत नाचे बदनाम गलियों मे

मेहमान नवाज़ी की रस्मो मे ढले,पंखो को उड़ान देना फिर भी ना भूले....किसी की लफ्ज़-अदाएगी

को अपना समझने की भूल ना कर बैठे,दिल को ख़बरदार करना कभी भी ना भूले...यह वो रंग है

इस दुनिया का,नकाबपोशों को सिरे से नकारना किसी पल भी नहीं चूके......

Tuesday 6 February 2018

मंद मंद मुस्कुराते हुए,मेरे कानो मे हौले से जो उस ने कहा.....दिल की धड़कनो को कुछ समझाया

कुछ को जिगर के आर-पार किया.....रेशमी जुल्फों को अपना नाम दिया और घटा बन उन को

बरसने को कहा....हाथो की लकीरो पे नाम अपना लिख कर,जन्म भर का साथ मांग लिया....यह

इत्फ़ाक रहा या कोई मीठा सपना मेरा,जो उस ने हौले से कहा मेरे दिल ने आसानी से सुन जो लिया...

Monday 5 February 2018

ज़िंदगी कहती रही ,हम सुनते रहे....वो सबक देती रही,हम सबक सीखते रहे....किसी मोड़ पे बर्बाद कर

वो हम पे हस पड़ी और हम.....बेबसी का घूट पी उस का सबक मानते रहे......ख़ुशी के लम्हो को जो

सहेजा हम ने,बात बात पे खिलखिला कर जब हसना सीखा हम ने......चुपके से फिर कही से वार

कर,हमें दर्द का वो तोहफा दिया कि ना रो सके ना फिर चुप रह सके.....जाए तो जाए कहाँ,बस इल्तज़ा

है ज़िंदगी...अब तो इंसाफ कर..कुछ ख़ुशी ऐसी तो दे कि तेरे नाम पे हम को नाज़ हो....

Sunday 4 February 2018

आप को याद किया तो मुस्कुरा दिए....हर लम्हा साथ का याद कर शरमा गए .....आप तो आप है

इस बात के एहसास भर से,फक्र से दुनिया को आप का नाम बता गए.....जलन की आग जो भडकी

हम तो आप की कसम,सातवें आसमां पे आ गए.....खुशनसीबी पे अपनी इतरा इतरा गए....आप को

चाहना यक़ीनन हमारी खुदगर्ज़ी ना थी,मगर आप की जिंदगी मे हम शामिल है...यह दुआओ की

मर्ज़ी तो थी....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...