Saturday, 30 March 2019

पूरी तरह अभी सैलाब से निकले भी नहीं कि एक नया तूफ़ान फिर आने को है..अपने चाँद को

निहारने फिर कोई सितारों के झुरमुट से,मुझे रुलाने वाला है...छीन तो नहीं सकते तुझ से,निहारने

का यह हक़..पर खुद को बरसने से रोके,यह भी कर नहीं सकते...यह वक़्त भी क्या शै है,जो गुजर

कर भी फिर सामने खड़े हो जाता है...मजबूत कितना भी बने,यादो को झंझोड़ कर सामने फिर ले

आता है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...