कही बदली राहे तो कही वक़्त ही बदल गया...रेत पे पाँव धरते धरते,रेत का वो निशाँ ही बदल गया...
परिंदो की आवाज़ मे सुबह का माहौल ही बदल गया...कुछ चेहरे अनजाने से,कुछ कुछ पहचाने से ....
हालत जो बदले सब बदल गया.....टुकड़े टुकड़े ज़िन्दगी के इकठ्ठा करते करते,उम्र का दौर भी बदला
और साज़िशों के अल्फ़ाज़ बदल गए...कुछ कहती है यह धडकन,सुनने के लिए अब तो यह ज़माना
भी बदल गया....
परिंदो की आवाज़ मे सुबह का माहौल ही बदल गया...कुछ चेहरे अनजाने से,कुछ कुछ पहचाने से ....
हालत जो बदले सब बदल गया.....टुकड़े टुकड़े ज़िन्दगी के इकठ्ठा करते करते,उम्र का दौर भी बदला
और साज़िशों के अल्फ़ाज़ बदल गए...कुछ कहती है यह धडकन,सुनने के लिए अब तो यह ज़माना
भी बदल गया....