इरादे अगर मज़बूत हो और भावना साफ़ हो तो हर उम्र मे हर मुश्किल पर जीत हासिल की जा सकती है...और संघर्ष से हर जंग जीती जा सकती है---ज़िन्दगी हर मोड़ पे आप का इम्तिहान लेती रहती है---भगवान पे विश्वास रखे...वो हमेशा आप के साथ थे,है और रहे गे---शुभ प्रभात दोस्तों..शुभ कामनाएं---
Wednesday 31 May 2017
Tuesday 30 May 2017
तेरे शहर का मौसम अच्छा है बहुत ,पर मुझे उन हवाओ से डर लगता है---तेरे जीवन की खुशियों मे
शामिल हो जाए मगर, अपनी किस्मत से ही डर लगता है----कहते है कुछ मगर सुना जाता है कुछ
और,इतनी बदनसीबी से खौफ लगता है---लोग कहते है हमारी दुआओ मे बहुत ताकत है,खुदा का नूर
हम मे बसता है--दुआ के लिए जब भी हाथ उठाते है, अब तो अपने ही साए से बहुत डर लगता है----
शामिल हो जाए मगर, अपनी किस्मत से ही डर लगता है----कहते है कुछ मगर सुना जाता है कुछ
और,इतनी बदनसीबी से खौफ लगता है---लोग कहते है हमारी दुआओ मे बहुत ताकत है,खुदा का नूर
हम मे बसता है--दुआ के लिए जब भी हाथ उठाते है, अब तो अपने ही साए से बहुत डर लगता है----
पायल की खनक को सुनने के लिए वो बहुत दूर से आए है---हमे नज़र न लगे किसी की,काले टीके से
सजाने आए है---इस बुरी दुनिया मे जहा जीने के लिए,इज़ाज़त नहीं मिलती सासो को लेने की--वही
एक तुम हो जो आसमां मे उड़ाने की खवाइश देने आए हो----बरसो बाद छूटे है गुलामी की ज़ंजीरो से
खुली हवाओ मे अब रहना है तुम को,इस बात का अहसास दिलाने वो बहुत दूर से आए है----
सजाने आए है---इस बुरी दुनिया मे जहा जीने के लिए,इज़ाज़त नहीं मिलती सासो को लेने की--वही
एक तुम हो जो आसमां मे उड़ाने की खवाइश देने आए हो----बरसो बाद छूटे है गुलामी की ज़ंजीरो से
खुली हवाओ मे अब रहना है तुम को,इस बात का अहसास दिलाने वो बहुत दूर से आए है----
Monday 29 May 2017
एक ख़ामोशी मेरी.. कह रही हज़ारो लफ्ज़ो के ताने-बाने मगर--समझने के लिए आज कोई शख्स कही
भी तो नहीं---ले लिया इन पन्नो का सहारा मगर--इन को पढ़ पाना भी अब किसी के लिए जरुरी ही
नहीं---कोई लफ्ज़ कहता है कहानी मेरी ज़िन्दगी के सुनहरे खवाबो की...तो कही छलका जाता है आंसू
झरनो की तरह बहते पानी की---मासूमियत आज भी है दिल के हर कोने मे..लेकिन उन खवाबो की
तामील करने के लिए आज कही कोई भी तो नहीं----
भी तो नहीं---ले लिया इन पन्नो का सहारा मगर--इन को पढ़ पाना भी अब किसी के लिए जरुरी ही
नहीं---कोई लफ्ज़ कहता है कहानी मेरी ज़िन्दगी के सुनहरे खवाबो की...तो कही छलका जाता है आंसू
झरनो की तरह बहते पानी की---मासूमियत आज भी है दिल के हर कोने मे..लेकिन उन खवाबो की
तामील करने के लिए आज कही कोई भी तो नहीं----
Wednesday 24 May 2017
यूँ ही हसी हसी मे..इक कदम बढ़ाया हम ने तो दूजा तुम ने बढ़ा दिया---हसरतो का संसार फिर कहाँ
रुका,ज़िन्दगी भर के लिए साथ तुम ने मांग लिया--वो मुलाकात छोटी सी,आँखों पे लाज बस ठहरी सी
हाथ थामा जो तुम ने,हम ने चेहरा झुका दिया---पलट कर देखते किस को,दुनिया की रंजिशों से दिल
कब से बेगाना सा हो गया---पलके झुकाई जो हम ने,तेरे होठो ने मोहर लगा कर दुल्हन हम्हे बना दिया
रुका,ज़िन्दगी भर के लिए साथ तुम ने मांग लिया--वो मुलाकात छोटी सी,आँखों पे लाज बस ठहरी सी
हाथ थामा जो तुम ने,हम ने चेहरा झुका दिया---पलट कर देखते किस को,दुनिया की रंजिशों से दिल
कब से बेगाना सा हो गया---पलके झुकाई जो हम ने,तेरे होठो ने मोहर लगा कर दुल्हन हम्हे बना दिया
Monday 15 May 2017
चुभन उन गहरे ज़ख्मो की,दिल को आज भी तार तार कर जाती है--भरने लगे है घाव लेकिन,पर टीस
फिर भी अक्सर चली आती है---हौले हौले यह दर्द जब कम होता है,यक़ीनन काम के बोझ से जीवन
का सफर फिर आगे चलता है---साँसे है कायम जब तल्क़..धड़कने बज रही है जो आज तक...हर बात
इन्ही कागज़ो पे लिखते जाए गे--नसीहते माँ की ज़ेहन मे रख कर,ज़िन्दगी के आर पार हो जाए गे---
फिर भी अक्सर चली आती है---हौले हौले यह दर्द जब कम होता है,यक़ीनन काम के बोझ से जीवन
का सफर फिर आगे चलता है---साँसे है कायम जब तल्क़..धड़कने बज रही है जो आज तक...हर बात
इन्ही कागज़ो पे लिखते जाए गे--नसीहते माँ की ज़ेहन मे रख कर,ज़िन्दगी के आर पार हो जाए गे---
Saturday 13 May 2017
जन्म नहीं दिया मुझे,पर तुझी को माँ कहती हूँ...सांसो का साथ भले ही कम रहा लेकिन,तेरी हर
नसीहत को आज भी पल्लू से बाँधे रखती हूँ...जब जब दुनिया की बातो से दुखी हुआ है मन मेरा,तुझ
से मिलने तेरे उसी घर मे चली आती हूँ...यह दुनिया क्या जाने कि आज भी तेरा वज़ूद उस घर के हर
कोने मे मिलता है...माँ..तेरे बताए हर राज़ को मैंने आज भी अपने सीने मे दफ़न रखा है...प्यार कैसा
होता है,नहीं जानती लेकिन आज भी तुझे नमन करने के लिए तेरे ही घर आना होता है...
नसीहत को आज भी पल्लू से बाँधे रखती हूँ...जब जब दुनिया की बातो से दुखी हुआ है मन मेरा,तुझ
से मिलने तेरे उसी घर मे चली आती हूँ...यह दुनिया क्या जाने कि आज भी तेरा वज़ूद उस घर के हर
कोने मे मिलता है...माँ..तेरे बताए हर राज़ को मैंने आज भी अपने सीने मे दफ़न रखा है...प्यार कैसा
होता है,नहीं जानती लेकिन आज भी तुझे नमन करने के लिए तेरे ही घर आना होता है...
Tuesday 9 May 2017
भीगे भीगे गेसुओं मे..वो भीगा सा चेहरा---पलकों की नमी पे रुका हुआ बस एक ओस का पहरा---
नरम लबो पे नाम सिर्फ तेरा ही लेने की यह ज़िद्द---मखमली बिछौने पे जनम तेरे संग गुजारने की
वो हलकी सी खलिश---पाँव की पायल को रोकते है अक्सर बजने के लिए..कंगन को छुपाते है आंचल
के तले--हा यारा...यही मुहब्बत है कभी तेरी बाहो मे सिमटने के लिए तो कभी मेरे आंचल मे लिपटने
के लिए----
नरम लबो पे नाम सिर्फ तेरा ही लेने की यह ज़िद्द---मखमली बिछौने पे जनम तेरे संग गुजारने की
वो हलकी सी खलिश---पाँव की पायल को रोकते है अक्सर बजने के लिए..कंगन को छुपाते है आंचल
के तले--हा यारा...यही मुहब्बत है कभी तेरी बाहो मे सिमटने के लिए तो कभी मेरे आंचल मे लिपटने
के लिए----
Sunday 7 May 2017
कलम हाथ मे उठाते है जब जब,हज़ारो लफ्ज़ इन पन्नो पे उतर जाते है----कभी दर्द की इंतिहा के साथ
तो कभी आंसुओ से इन्हे भिगो जाते है----यादो को जब भी उतारा है लफ्ज़ो की अदायगी के साथ,कभी
मुस्कुराये है तो कभी शर्म से लाल हो जाते है----वो मखमली दुपट्टे मे हमारा हसीं चेहरा और सफ़ेद
कुर्ते मे तेरी गज़ब सी हसी का पहरा----उस लाज़वाब कहानी पे कितने भी लफ्ज़ो को उतारे,कम लगता
है----इश्क़ और हुसन की दास्ता पे आज भी मर जाए तो कम लगता है -----
तो कभी आंसुओ से इन्हे भिगो जाते है----यादो को जब भी उतारा है लफ्ज़ो की अदायगी के साथ,कभी
मुस्कुराये है तो कभी शर्म से लाल हो जाते है----वो मखमली दुपट्टे मे हमारा हसीं चेहरा और सफ़ेद
कुर्ते मे तेरी गज़ब सी हसी का पहरा----उस लाज़वाब कहानी पे कितने भी लफ्ज़ो को उतारे,कम लगता
है----इश्क़ और हुसन की दास्ता पे आज भी मर जाए तो कम लगता है -----
Saturday 6 May 2017
ना तोड़ बंदिशे ज़माने की,कि यह हर दम जगा रहता है---पाक मुहब्बत पे भी गलत नज़र रखता है--
आँखों मे उठते है जो पैमाने प्यार के,उन्हें हवस का नाम देता है--हाथ जो उठते है दुआओ के लिए
उन मे भी कुछ गलत पा लेने की खवाइश समझ लेता है---खुद करता है उसूलो का खून,इश्क के झुकते
कदमो को जवानी का नशा मान लेता है---पाक मुहब्बत के मायने जो जाने होते,दुनिया मे खूबसूरती
का इल्म जरूर समझा होता---
आँखों मे उठते है जो पैमाने प्यार के,उन्हें हवस का नाम देता है--हाथ जो उठते है दुआओ के लिए
उन मे भी कुछ गलत पा लेने की खवाइश समझ लेता है---खुद करता है उसूलो का खून,इश्क के झुकते
कदमो को जवानी का नशा मान लेता है---पाक मुहब्बत के मायने जो जाने होते,दुनिया मे खूबसूरती
का इल्म जरूर समझा होता---
फिर वही ज़लज़ले,फिर वही धुआँ धुआँ---कह रही यह ज़िन्दगी वक़्त का कहर है रूआ रूआ ---दिन
हुआ राते ढली ग़ुरबत मे बनी यह किस्मत हो गई खुद से बेवफा बेवफा---राज़ खोले दर्द ने,आंखे बनी
उस की गवाह..चुप रहू या बोल दू...आसमाँ से चाँद ने की इल्तिज़ा ना हारना कि अब भी इन साँसों मे
है रौशनी की फैली हुई इक अधूरी सी दास्ताँ---
हुआ राते ढली ग़ुरबत मे बनी यह किस्मत हो गई खुद से बेवफा बेवफा---राज़ खोले दर्द ने,आंखे बनी
उस की गवाह..चुप रहू या बोल दू...आसमाँ से चाँद ने की इल्तिज़ा ना हारना कि अब भी इन साँसों मे
है रौशनी की फैली हुई इक अधूरी सी दास्ताँ---
Tuesday 2 May 2017
खामोशिया बहुत चुपके से गुफ़तगू कर जाती है----सरगोशियां हलके से दिल को हिला जाती है---लब
थरथराए इस से पहले मुहब्बत इशारो को जान जाती है---खुले गेसू जब तल्क़ यह रात गहरा जाती है--
इम्तिहान ना ले मेरी वफाओ के इतने कि साँसे कभी कभी यूं ही दम तोड़ जाती है---कलाइयों की यह
चूड़िया सजने के लिए बहुत बेताब होती है---तू माने या ना माने प्यार की यह इल्तज़ा कभी कभी मंज़ूर
भी हो जाती है---
थरथराए इस से पहले मुहब्बत इशारो को जान जाती है---खुले गेसू जब तल्क़ यह रात गहरा जाती है--
इम्तिहान ना ले मेरी वफाओ के इतने कि साँसे कभी कभी यूं ही दम तोड़ जाती है---कलाइयों की यह
चूड़िया सजने के लिए बहुत बेताब होती है---तू माने या ना माने प्यार की यह इल्तज़ा कभी कभी मंज़ूर
भी हो जाती है---
हर बात पे गर रो दे गे तो इस जीवन को कैसे ज़ी पाए गे--तेरे साथ देखे उन सपनो को पूरा कैसे कर
पाए गे--कभी कभी जब यह ज़िन्दगी करती है दिल्लगी,तो दिल को लगाने की बजाय हिम्मत को साथ
बांध लेते है---पन्नो पे होती है यादे तेरी,और सपनो को पूरा करने का वादा मजबूती से याद करते है---
यह दम तो तभी निकले गा,जब सपनो की हकीकत होगी सामने तेरे और यह ज़माना भौंचक्का सा रह
जाए गा----
पाए गे--कभी कभी जब यह ज़िन्दगी करती है दिल्लगी,तो दिल को लगाने की बजाय हिम्मत को साथ
बांध लेते है---पन्नो पे होती है यादे तेरी,और सपनो को पूरा करने का वादा मजबूती से याद करते है---
यह दम तो तभी निकले गा,जब सपनो की हकीकत होगी सामने तेरे और यह ज़माना भौंचक्का सा रह
जाए गा----
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दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...
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एक ख़ामोशी मेरी.. कह रही हज़ारो लफ्ज़ो के ताने-बाने मगर--समझने के लिए आज कोई शख्स कही भी तो नहीं---ले लिया इन पन्नो का सहारा मगर--इन को पढ़ ...
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हर तरफ मौत का खौफ पर ज़िंदगी से जंग रोज़ जारी है...कोई चला गया तो किसी की बारी आने वाली है..कोई डर रहा है आने वाली मौत से तो कोई खुद को संभ...
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रहे कही भी मगर तेरी रूह से जुदा नहीं होते..रहते है सदा तेरे दिल की धड़कन मे,कही और नहीं जा सकते..दिल जो जुड़े है इक दूजे से..धड़कनें जो सुने...