आसमाँ को छू ले या पायल की खनक से दुनिया को उठा दे..या फिर सूरज से कहे क़ि सुबह को अब
जल्दी से रोशन कर दे..देख ए ज़माने तूने गिराया था मुझे हद से हद तक जलालत क़ी तरह.मेरी साँसों
को दबोचा था किसी मुर्दे क़ी तरह..कभी न उठ पाए गे किसी पत्थर क़ी तरह..ताउम्र निभाए गे गुलामी
तेरी,रोये गे मर जाये गे,किसी बेवफा आशिक क़ी तरह..ए ज़माने फिर भी करे गे शुक्रिया तेरा ..जो मिला
है मुकद्दर से,उस का मान रखे गे हमेशा..पाँव ज़मी पे होंगे पर बुलंदियों से आसमाँ को छू जाये गे..
जल्दी से रोशन कर दे..देख ए ज़माने तूने गिराया था मुझे हद से हद तक जलालत क़ी तरह.मेरी साँसों
को दबोचा था किसी मुर्दे क़ी तरह..कभी न उठ पाए गे किसी पत्थर क़ी तरह..ताउम्र निभाए गे गुलामी
तेरी,रोये गे मर जाये गे,किसी बेवफा आशिक क़ी तरह..ए ज़माने फिर भी करे गे शुक्रिया तेरा ..जो मिला
है मुकद्दर से,उस का मान रखे गे हमेशा..पाँव ज़मी पे होंगे पर बुलंदियों से आसमाँ को छू जाये गे..