Wednesday 28 September 2016

आसमाँ को छू ले या पायल की खनक से दुनिया को उठा दे..या फिर सूरज से कहे क़ि सुबह को अब

जल्दी से रोशन कर दे..देख ए ज़माने तूने गिराया था मुझे हद से हद तक जलालत क़ी तरह.मेरी साँसों

को दबोचा था किसी मुर्दे क़ी तरह..कभी न उठ पाए गे किसी पत्थर क़ी तरह..ताउम्र निभाए गे गुलामी

तेरी,रोये गे मर जाये गे,किसी बेवफा आशिक क़ी तरह..ए ज़माने फिर भी करे गे शुक्रिया तेरा ..जो मिला

है मुकद्दर से,उस का मान रखे गे हमेशा..पाँव ज़मी पे होंगे पर बुलंदियों से आसमाँ को छू जाये गे..
एक ही पल मे बदल जाए गा सब कुछ..सोचा न था...आज की सुबह दे जाए गी क्या..कभी सोचा भी

ना था .....कल तलक थे इस ज़िन्दगी से खफा,बिखरे बिखरे थे यादो के निशा...हाथ उठा कर कुदरत

से दुआओ मे क्या माँगा था..पलकों की भीगी कोर से रब से क्या कहते रहे..हिम्मत से बंधे,खवाबो के

टुकड़ो मे बंधे..मिला है क्या आज....सोचा भी न था...
बार बार ताकीद न कर क़ि हर रस्म,हर रिवाज़ को तोड़..तेरी दुनिया को बसाने आ जाए...तेरे जहाँ को

बसा दे,तेरे खवाबो को इक रंगत दे दे...पाँव मे बजती रहे पायल,चूड़ियो की खनक से तेरी राते महक

जाए..कुछ खलिश सी है इस मौसम मे..कुछ हवा भी है आवारा सी..बादल भी बस तैयार है बूंदो को

रुखसत करने के लिए..और हम भी तैयार है तेरी इस ताकीद को सलाम बजाने के लिए...
वो तेरी बस ज़िद्द थी  कि तेरे जहाँ से दूर चले जाए...न तुझे याद आए न तेरी यादो मे बस के रह जाए..

उस पे क़यामत यह कैसी कि तेरे बिना कभी न जी पाए..फासले तो सिर्फ मीलों के थे,पर दिल के पास

तो तेरे पहरे थे...तेरी इस ज़िद्द का मान रखा हम ने..तेरी राहों मे तुझे बर्बाद करने कभी नहीं आए..

आज ज़िद्द है तेरी..मुहब्बते-जश्न बन कर तेरी दुनिया को मुकम्मल कर जाए..

Tuesday 27 September 2016

शब्बा ख़ैर कहने के लिए ...बहुत दूर से आये है हम..सलामे इश्क फरमाने के लिए..तेरे दर पे चले आये

है हम..मन्नत का जहाँ पाने के लिए..खुदा की इबादत मे झुक गए है आज.हर उस राह से,उस मोड से

निगाहों को बचाते आये है आज..जिन पे कभी तूने मैंने मुहब्बत की कसमे खाई थी खास...मंज़िले-खास

सब को नहीं मिलती,इसलिए उस खुदा का शुकराना देने आये है आज..
परदे मे रहे,पर्दानशी कहने लगे यह लोग--फिजाओ मे बहकने लगे तो महजबी क्यों बोल देते है लोग...

आँखों की चिलमन को जो झुकाया,सजदे मे झुक गए जहाँ के लोग..पाँव की पायल मे बंधी,जिस्म की

हरकत मे छिपी,खुले खुले गेसुओं की बदली मे बसी..फिर से सजने की आज तबियत क्यों बनी...मेरे

दीदार के लिए बैचैन,लबो के खुलने के इंतज़ार मे बैचैन..बहुत दूर से क्यों चले आये है यह लोग...
हाँ...बहुत बहुत उदास है आज..हर सांस का बोझ लिए मरने  को तैयार है हम..गद्दारी का जामा पहने

लोगो के चेहरे से,नफरत करते है हम...वही जिस ने दुलार से महका दिया,उस के लिए दुआओ का

खज़ाना लुटा देते है हम...बहुत ही बेपरवाह हो चुके है रश्क की रंजिशों से अब..खुद से खुद के पास

लौट आये है अब...सांसो को दफ़न करने के लिए,बेमौत मरने को तैयार है हम...
शाम जब जब ढलती है..तुम याद आ जाते हो...रात का अँधेरा गहराता है जब,आंसुओ से दामन को

भिगो जाता है..दूर बहुत ही दूर हो चुके है,हर रिश्ते से...दुनिया की रंगीनियो से नफरत करते है अब..

लोग कहते है कि तुम कभी लौट कर नहीं आओ गे..वो क्या जाने कि जान बन कर तुम आज भी मेरी

रूह मे बसते हो..छोड़ कर हर रिश्ते को,तेरी यादो का ताजमहल बना कर तुझ से हर बात करते है हम...
 कोई सजा तो दो हम को--किसी रंजिश के तहत ही आ जाओ---नफरत का सिला ही दो हम को..पर

नज़र भरने से पहले ही आ जाओ..ढूंढते है तुम्हे उन तमाम गलियो मे,महकती हुई फूलो की मदहोश

वादियो मे...जहा तक उठती है निगाहे आसमाँ की तरफ,भीग जाती है यह आंखे पलकों की गहरी कोर

तलक..बेवजह बाते न बना दे दुनिया इस रिश्ते की खबर,क़ि लौट आओ किसी मन्नत की तहत....

Monday 26 September 2016

मुकर्रर नहीं होती कभी मुहब्बत की तारीख...कब ढलते है जज्बात तन्हाई मे,कोई खबर ही नहीं होती...

गहरी नींद के सौदागर जब उठते है रातो मे,प्यार हो गया है कब..कोई खबर ही नहीं होती..दिल जब  भी

धड़कता है किसी की मीठी यादो मे,साँसे कहा ग़ुम हो जाया करती है..कभी खबर नहीं होती..शर्म हया को

ताक पर रख कर,जब सनम के दीदार को यू दिल चाहने लगे..खुदा कसम खुद को भी खबर नहीं होती..

Saturday 24 September 2016

राज़ खोले धीरे धीरे..तेरी पनाहो मे आ कर..लब थरथराये तेरी आगोश मे आ कर..दिल ने धड़कना सीखा

पहली बार...तेरी बाहो मे आ कर..नजरे  झुकी,पलके उठी...पहली ही बार तेरी मुहब्बत पा कर...पाँव अब

ज़मी पे टिकते ही नहीं,ख़ुशी की इतनी सौगात पा कर..खिल गया है यह चेहरा तेरे प्यार की महक पा कर.

दौलत की चाह नहीं तुझ से,की बेशुमार प्यार की दौलत मिली है पहली बार तेरी दुनिया मे आ कर..
कोई नज़्म तो लिख मेरी नूरानी सूरत के लिए..कोई कहानी तो सजा मेरी वफाए-ज़िन्दगी के लिए...

दुनिया कहती है तेरी सूरत पे लिखा है,मेरी मुहब्बत का नशा ..तेरी रातो पे टिका है मेरे ही पहलु का

सिला...मेरी हँसी को न बना खुद की तक़दीर का नशा..कभी हो गए रुखसत जो इस दुनिया से ..तेरी

रूह से रूह का तार बन जाये गे...बस एक गुजारिश मेरी तुझ से,लिख दे कोई नज़्म इस नूरानी सूरत के

लिए...

Friday 23 September 2016

यादो का लंबा पिटारा ले कर..रात रात भर पन्नो पे लिखते है..लफ्ज़ जब जब अल्फ़ाज़ बन कर इन पन्नो

पे ढलते है,तब तब तेरी बाहों मे जिए उन तमाम लम्हो को याद करते है..तेरे बिना कुछ ऐसा भी जिया,जो

इस दिल को नामंजूर रहा..तेरी इस महजबी को समझने के लिए,कोई शख्स कही भी न मिला..कोई भी

ख़ुशी न आये गी अब मेरे लिए..तेरी मेरी कहानी का आखिरी लफ्ज़ जब अल्फ़ाज़ मे ढल जाये गा..तभी

इन सांसो का बंधन आज़ाद हो कर,तेरी बाहों मे सिमट जाये गा...
कहा कैसे कितनी दूर चले आये..तेरे बिना...हर याद हर सांस लेते रहे बस तेरे बिना..बस यही रहा

जीवन क़ि लम्हो को,सालो को बस काटना है अब तेरे बिना...कभी रोये,कभी ज़ार ज़ार आसुओ के

सैलाब मे  खुद ही खुद मे बस बहते रहे,बहते रहे..न कह सके दर्द अपना,न ज़ी सके किसी के साथ इतना..

तेरे बिना यहाँ अपना कोई नहीं,कोई भी तो नहीं..ज़ी रहे है अकेले तनहा इन रहो पे,चल रहे है अकेले बस

वीरान रहो पे..एक दिन तेरे पास लौट आये गे..सकून से तुझे सब कुछ बता पाए गे..

Monday 19 September 2016

छोटी सी कहानी थी लेकिन..ज़ख़्म गहरे बहुत दे गई...अल्फ़ाज़ थे कम इतने लेकिन..आँखों  मे

आसुओ का गहरा सैलाब दे गई..तिनका तिनका जोड़ा था ज़ज़्बात की लिखावट का..आंधिया जो

चली गेसुओं मे रेत का गुबार भर गई..संभलते संभलते बीती कितनी सादिया..पर सदियो के हर लम्हे

पे तेरी यादे इबादत बन कर मेरी सांसो,मेरी धड़कनो मे प्यार बन कर बहुत कुछ समझा गई ...
बहुत तन्हाई है..दिल को तड़प देने वाली तेरी बातो की याद आई है..बरसा है जब जब बारिश का पहला

पानी..तेरे साथ ऐसी ही बारिश मे भीगने की पहली रात याद आई है...बहुत अकेले है आज..बहुत मज़बूर

भी..तेरी ही बाहो मे बहकने की वो कहानी क्यों याद आई है..बदल चुका है आज ज़माने की निगाहों का

मिज़ाज़..तू ही नहीं तो इस ज़माने की रंजिशों से दूर रहने की बात आई है....

Thursday 15 September 2016

 अपनी ज़िन्दगी की कहानी लिखते लिखते...उम्र कहाँ गुजर गई ----तेरी तलाश मे यूं भटकते भटकते

जवानी कहाँ निकल गई---बहुत दर्द है सीने मे मेरे..बहुत थकन है जिस्म मे मेरे---लाइलाज़ है मर्ज़ मेरा

तेरे वज़ूद के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं मेरा---लोग कहते है हम तबाही के उस मोड पे है...जहाँ

चलती है साँसे..दिल भी धड़कता है...पर तेरी राह देखते देखते यह आंखे ही बस पथरा गई है----
मेरी खूबसूरती की तारीफ इतनी भी न करो क़ि लोग तुम्हे शायर कहने लगे...लिखो न नज़्म कोई

ऐसी क़ि दुनिया तुम्हे दीवाना ही समझने लगे..आँखों क़ी गहराई पे जान इतनी भी ना लुटाओ क़ि

बदलती नज़रो का ईमान ही ना डोल जाये...सर से पाँव तक तेरे ही लफ़्ज़ों के शिकंजे मे है..कहाँ जाये

किधर जाये...ऐसा ना हो क़ि ज़माने के धोखे के शिकार ही हो जाये...
सितारों को गिनते गिनते..रात भर हम सो नहीं पाए...तेरी बेवफाई की कहानिया याद करते करते

हम तो रो भी नहीं पाए...ज़माना समझता है की हम बहुत खुश है तेरी मुहब्बत मे..दुनिया जलती

है तेरे मेरे अफसानो की..फसानो की दुहाई दे कर...लब तो हॅसते है मेरे पर दिल बेबसी मे रोता है..

साथ साथ हमकदम है तेरे..पर जीने के लिए सांसे ले ही नहीं पाए...

Tuesday 13 September 2016

तेरी बातो का सरूर कुछ दिल पे  छाया है ऐसा..दुनिया कहती है क्या,नज़र आता नहीं अब ऐसा....

कभी सजते है तो कभी सवरते है..कभी गेसुओं को खुला छोड़..हवाओ  मे बहकते है..ख़ुशी के यह

लम्हे तेरी मुहब्बत ने दिए..दिल की धड़कनो मे साज़ तेरे अंदाज़ ने भरे..बस बहुत खुश है...हद की

इंतिहा तक..पर रहते है ऐसे की अब नज़र न लगे ज़माने की जैसे....

Monday 12 September 2016

बहुत अरसे बाद उन का पैगाम आया..एक लंबी ख़ामोशी के बाद लबो के खुलने का वक़्त आया...

इंतज़ार तो बहुत देर से है..उलझनों को सुलझाने का ख्याल कब से है..मुहब्बत का इज़हार करे कैसे

वह लौट के आये तो बात बने कैसे...कशमकश मे बंधे सोच नहीं पाते..दिल नादाँ को अब समझाए कैसे..

काश अब यह वक़्त गुजरे..लब उन के खुले..रिश्तो को डोर मे बाधने का वक़्त आया ...

Sunday 11 September 2016

जिक्र हुआ जब भी तेरे बारे मे..हम दिल ही दिल मे रो दिए..आंखे न छ्लके कही भूले से...

तेरी यादो मे कही दूर तक बस खो गए..ज़िन्दगी नाम बस जीने का है..याद इस बात को रखते है.

इस नूरानी चेहरे पे किसी की नज़र न लगे..सज़दे मे तेरे तेरी मोहब्बत को याद करते है...

बात तो है पर बात कुछ भी तो नहीं..यह सोच कर ज़िन्दगी की राहो को तुझे याद कर के चलते है..
बहुत कुछ जो था ऐसा..कह नही पाए है--छलकेे जो अशक आॅखो से..पूरी तरह बह ना

पाए है--दरद की इॅतिहा रही इतनी..सॅभल कर भी सॅभल ना पाए है--यादे जो टीस देेती

रही..किसी को ना बता पाए है--यह आॅसू,यह आहे..दरद का बहता हुआ सैलाब..यादो की

तॅॅॅहाई...कागज के पननो पे लिख कर,सब के लिए पैगामे-दरद बन कर छोड जाए गे---
बेवजह रूठने की वजह...कया बताए गे आप--किस बात से नाऱाज है..कुछ ऱाज बताए

गे आप--चॅद साॅसे जो बचा के रखी है हम ने..आप की चाहत के नाम--इन साॅसो की

रूखसती से पहले..कोई नाम तो दे जाईए आप--भुुला दीजिए अब सारे शिकवे..अपना

लिया है आप ने हम को..इतना इकरार तो कर दीजिए आप--

Saturday 10 September 2016

बस यू ही हॅसी हॅसी मे..हम तेरा पयार बन गए--नजऱे मिली नजऱे झुकी..हम तेरा ही

ऐतबार बन गए--मुहबबत मे कोई शरत होती नही..और हम बिना पूछे तेरे दिल की

खामोश धडकन बन गए--पायल बजी,कॅगन सजे..चूडियो की झॅकार मेे....रिशते बने--

दुनिया बेवजह जलती रही..पावन मधुर बेेला मे हम तेरी नई दुनिया मे बसते गए....

बसते गए---
हर तॅहाई तेरी याद से जुडी हो..हर उदासी तेरे नाम पे बसी हो..कभी जो छलका दे आॅसू

इन आॅॅखो से...दिल बार बार रोए हर आहट हर आवाज पर...तो किस को कहे..किस को

सुनाए ऱाज मुहबबत  केेे सारे...आ जाओ लौट कर ऐसे,परिॅदो की रवानगी हो जैैसेे...हा

खिल जाए गे तेरे आने से ऐसे,दुआओ मे असर आ गया हो जैसे....

Friday 9 September 2016

हर मुमकिन कोशिश की तुझे पा लेने की..पर तकदीर ने साथ छोड दिया--तूू अब जिस

भी राह सेे गुजरे..तेरी राहो मे आना छोड दिया--तेरी बेेरूखी से अब समझे..तेरे हमराज

बने,यह गवारा नही तुझ को--बेवजह अब तुझ को नजऱ आए..तेरे पीछेे भटकना छोड

दिया---मुुहबबत पाक है मेेरी..तभी तो तुुझे अब देखना ही छोड दिया---

Wednesday 7 September 2016

कुछ तो बोलो...आप की खामाशी से अब डर लगता है---कही बिखर ना जाए जजबात..

सॅभालो खुद को कि अब डर लगता हैै---जिॅदगी मिलती नही बार बार जानम..पलको मे

बॅद हम को कर लो कि जमानेे की रूसवाई से बस डर लगता है---कुछ कदम साथ चलो

मेरे..कुछ कदम हम भी साथ चले तेरे...जिॅॅदगी अब तनहा ना हो..इस बात से कयू डर

लगता है---
आज पास मेरे नही है तू..पर तेरे खतो मे तेरा वजूद पा लेते है--हर लिखे लफज मे तेरे..

अपनी धुॅधली सी तसवीर ढूॅढ लेते है--जी चाहता है तेरे सॅग फिर..उन खुशनुमा पलो को

जिए--तेरी बाहो मे सिमट कर..रात भर सकून से सो जाए--अपनी खिलखिलाती हॅसी से

तेरे दिल के तारो को छू ले--पर यह अॅधेरा बहुत गहरा है..कि आज पास मेरे नही हैै तू---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...