ज़िंदगी की दहलीज़ पे रोज मौत का खेल खेलते है....साँसों से प्यार है लेकिन मौत को हमराज़ मान
कर एक नई बाज़ी फिर भी रोज खेलते है....ज़िंदादिली से इसी जीवन को ऐसे ही निभाते है,प्यार तो
करते है मगर साँसों के टूट जाने का हर पल ख्याल रखते है....हर दिन को जीते है इस ख्याल से कि
कल हो या ना हो,पर मलाल ना रहे किसी बात का इसी वजह से हर छोटी बात पे खिलखिला कर,
हर दिन का मान रखते है....
कर एक नई बाज़ी फिर भी रोज खेलते है....ज़िंदादिली से इसी जीवन को ऐसे ही निभाते है,प्यार तो
करते है मगर साँसों के टूट जाने का हर पल ख्याल रखते है....हर दिन को जीते है इस ख्याल से कि
कल हो या ना हो,पर मलाल ना रहे किसी बात का इसी वजह से हर छोटी बात पे खिलखिला कर,
हर दिन का मान रखते है....