Friday 27 January 2017

कल लौट जाओ गे,इस डर से रात भर तेरे सीने से लग कर बहुत रोए है----उम्र भर के लिए तन्हा रह

जाये गे,यह सोच कर रात भर तुझ से लिपट कर जागे है----तेरी नींद मे कही खलल ना हो,इस डर से

कंगन पायल सिराहने रख के बेपरवाह जागे है---निहारते रहे है हर लम्हा तुझे कि फिर यह लम्हे कभी

ना मिल पाए गे---जाओ लौट जाओ अपनी दुनिया मे कि हम ताउम्र तेरी इबादत मे तेरी ही खुशियो

के लिए तिल तिल खुद को गलाते जाये गे-----
मेरे पास मेरे ही साथ मेरी ही दुनिया मे..तेरा वज़ूद सिर्फ मुझ से है---तू इकरार कर या न कर..तेरा

नाता सिर्फ मुझ से है---नज़रे न चुरा खामोश ना रह..आँखों मे छलके इन आंसुओ को यू ना छुपा---

छोटी सी है यह दुनिया मेरी..तेरे बिना अधूरी सी हर प्यास मेरी---तुझे देखे बिना ढलती नहीं कोई रात

मेरी..ओस की बूंदो की तरह मासूम सी यह मुहब्बत है मेरी--तू माने या ना माने पर हकीकत है यही

आज भी तेरा वज़ूद सिर्फ और सिर्फ मुझ से है---

ताउम्र रात ही लिखी होती जो तक़दीर मे...तो सुबह का इंतज़ार कोई क्यों करता---दुखो का रेला जो

साए की तरह साथ चलता..तो खुशियो का इंतज़ार भला कोई क्यों करता---बेवफाई ही बेवफाई गर

प्यार मे मिलती रहती..सच्चे प्यार का तलबगार इस ज़माने मे कहा मिलता---यू ही नहीं कहते कि

सूरज डूब गया..सूरज न होता तो यह सारा जहाँ रोशन कभी न होता----

Monday 23 January 2017

तुझे  चाहा और खवाब मेरे सजने लगे--तेरी  बाहों मे हम है और शर्म से गाल सुलगने लगे---तूने देखा

भरपूर नज़रो से मुझे  और हम दिल से तेरे होने लगे---किसी आहट ने डराया हमे और सिमट कर सीने

से तेरे लगने लगे ---रेत पे महल जो बनाया हम ने..हकीकत मे तेरे संग तेरे ही घर बस गए---यह तेरे

प्यार की शोखी है कि शहंशाह हो तुम और हम तेरी मुमताज़ बनने लगे---
हाँ भी नहीं,ना भी नहीं.....तकरार की कोई वजह भी नहीं..फिर भी क्यों लगता है तेरे दिल मे मेरी

जगह है भी, शायद नहीं भी...तेरी आँखों मे मुझे अक्स अपना दिखता है कभी तो कभी अजनबीपन

से भरा तेरा वज़ूद लगता है मुझे...ओस की बूंदो की तरह मेरी यह मासूम सी ख्वाइशे,कभी रूकती है

तो कभी धुप की तरह फ़ना हो जाती है...खुल के तो बता तेरी ज़िन्दगी मे मेरी जगह है,या फिर कही

भी नहीं....

Sunday 22 January 2017

इतनी शिद्दत से मुझे यू चाहना तेरा,हर रोज एक नया पैगाम देना तेरा....मैं रूठू बार बार,और यू रोज  

रोज मुझे मनाना तेरा... आँखों से जो निकले आंसू मेरे,उन्हें अपनी हथेली मे छिपा लेना तेरा....मेरी

पाँव की पायल पे यू फ़िदा होना तेरा,चूड़ियों को मेरी कलाइयों मे भरना तेरा...आसमाँ के फरिश्ते हो

या मेरी किस्मत की रज़ा,सात जन्मो का साथ हो या फिर दिल की धड़कन मे बजा साज़ मेरा.....

Thursday 19 January 2017

ना जा दूर इतना मुझ से, कि लौट के आना मुनासिब ना हो---इश्क़ क़ी मजबूरिया इतनी ना बड़ा,क़ि

हुस्न की आग मे फिर से जलने का सबब ही ना हो---रेत पे पाव धरते धरते झुलस  जाए गे तेरे अपने

ही कदम---हाथो की लकीरो को मिटाने के लिए,गर्म लावे मे इन को ना जला---नमी तो आज भी है इन

आँखों मे मेरी,अपनी आँखों को इतना ना घूमा कि मेरे पास लौट के आना मुनासिब ही ना हो----

Wednesday 18 January 2017

मेरी मुहब्बत मे जो घुला तेरी मुहब्बत का नशा...तेरी चाहत से बना जो रिश्ता यह मेरा...घुटन के

माहौल से दूर,तेरे सकून का हल्का सा नशा...डरते डरते जीना,घबरा कर रातो को उठ जाना...तन्हाई

मे फिर सो ना पाना..जागते जागते तुझे याद करना और यू ही सुबह का हो जाना...उस बुरे वक़्त से

दूर,तेरे संग जीने का यह अधूरा सा खवाब...तेरे साथ से बंधा मेरा आज...यही है मेरी मुहब्बत मे घुला

तेरी ही मुहब्बत का नशा----
ज़िन्दगी तुझ से बहुत शिकायते करते रहे है हम---जो मिला उस को भूल कर,जो ना मिला बस उसी

का शिकवा तुझ से करते रहे है हम--फूल कितने ही खिले हमारी राहों मे,पर कांटे बहुत है चुभन देने

के लिए इस के लिए बस तुझ से लड़ते ही रहे है हम--किसी मोड पर जब भी किस्मत हम पे यक़ीनन

मुस्कुराई,अपने दुखो का रोना ही तुझ से रोते रहे है हम---माफ़ करना ज़िन्दगी,बहुत नियामते दी है

तुम ने हमे..बस शुक्राना देने के लिए आज तेरे पास आये है हम----

Tuesday 17 January 2017

सुबह रौशन होने के लिए,रात के ढलने का इंतज़ार करती है--खिले खिले मौसम को और खुशगवार

करने के लिए,सूरज से तपन लेती है---चाँद तो चाँद है,फिर भी चांदनी के प्यार पे बसर करता है--

आसमाँ तू बहुत दूर तक फैला है मगर,सितारों के बिना फीका सा लगता है---हवाएं जब जब सर्द होती

है,सूरज के साथ के लिए तन्हा होती है---फूल खिलते है मगर,भवरें के लिए फिर भी बैचैन होते है---
जनून तेरे प्यार का,देख ना कहाँ ले आया है---इस दुनिया से बेखबर,तेरी ही बाहो मे खीच लाया है --

कुदरत के इस तोहफे पे,मासूमियत से भरे इस चेहरे पे और पास खींच लाया है--रौशन करने के लिए

तेरी राहो को,बहुत दूर से तेरे पास ले आया है--देखते है आईने मे जब खुद को,तेरा ही अक्स खुद पे

नज़र आया है--ज़नून-इश्क़ ही तो है,जो तेरे लिए मुझे खुद से भी दूर,बहुत दूर खींच लाया है----

Monday 16 January 2017

शुक्रिया कहे या आप की मेहरबानियां---सज़दा करे या झुका दे सर आप के  अहसानो की कदरदानियो  

के लिए---दर्द की इंतेहा मे जब जब तड़पे है,आंसुओ के सैलाब मे जब भी डूबे है...वक़्त ने जब जब तोड़ा

है..मौत के शिकंजे ने हम को अपनी और खीचा है...एक मसीहा की तरह आप आए है,खुदा की रहमतो

की तरह हम को थामा है...आप के पाक इरादों पे बार बार सर झुकाते है...आप की इबादत करे या फिर

ताउम्र खुदा से आप के लिए दुआए मागते रहे....

इतने खामोश भी ना रहो कि इस ख़ामोशी से अब डर लगता है--क्यों बिखर चुके हो इतना कि इस

बिखराव से ख़ौफ़ आता है---मेरे हुस्न पे नज़्म लिखने वाले,तेरे इश्क की गुस्ताखी पे रहम आता है

तेरे इर्द गिर्द फैली है बहारो की दिलकश बाहें,यह फ़िज़ाए बताती है तेरे मेरे प्यार की हज़ारो बातें

याद करो गे तो सब याद आ जाए गा,इतने भी बेवफा ना बनो कि तेरी हर वफ़ा से बहुत डर लगता है

Sunday 15 January 2017

यह ज़िन्दगी बेवफा भी हो जाए अगर...तेरा साथ तब भी छोड़ ना पाए गे---गुजरते रहे गे साल कितने...

पर तेरी राहो को रौशन करने फिर भी आ जाए गे ---प्यार सिर्फ ज़िस्म का होता तो शायद साथ छूट

जाता..रूह से रूह को जो मिला दे..तेरी इबादत मे जो खुद को रुला दे..तेरे टूटे सपनो को जो फिर से

सजा दे ...तेरी वीरान राहो के लिए जो खुद को भुला दे..यह वो मुकम्मल  प्यार है..जो तेरी रूह के लिए

खुद की रूह को भी भुला दे----
शराबी आंखे शराबी सी नज़र..बोलिये ना हज़ूर इरादे क्या है---बहके बहके से कदम बहकती सी यह

चाल..कह दीजिये ना क़ि यह मुहब्बत का असर है---सर्द हवाओ का यह कहर और तेरी यह गर्म सांसे

मेरे हुस्न मे डूब जाने का वक़्त है---कहते कहते क्यों रुक गए..बोल दीजिये ना साथ रहने का इरादा है

मुहब्बत बार बार नहीं मिलती...क्यों ना सातो जन्म साथ जीने का वादा कर ले---हम ने तो कह दी आज

दिल की बात..अब बोलिये हज़ूर इरादे क्या है----
यकीं करे तेरी बातो पे या तेरे प्यार के सैलाब मे डूब जाए---टुकड़ो टुकड़ो मे जिए या ताउम्र तेरे ही साथ

गुजार दे---बात बात पे रो दे या तेरे गले लग के- तेरी ही बाहो मे बस झूल जाए---मुश्किलात हालात मे

तुझे सब बता दे या फिर अकेले तन्हाई मे खो जाए---सवाल बहुत है मेरे पास-हर जवाब के लिए तुझ

से वक़्त लेने कब  कहाँ आए ----

Saturday 14 January 2017

यह लब जो खुले लफ्ज़ कहने के लिए--तेरे लबो ने उन्हें क्यों थाम लिया---चूड़ियो की खनक मे जो

धड़का दिल..तेरे दिल ने उसे क्यों बहकने दिया---अल्फ़ाज़ पूरे भी ना कर पाए..तेरी ख़ामोशी ने हर बार

बाहो मे बस बांध लिया---इश्क मेहरबाँ क्यों है आज हम पे...हुस्न के चरचे मे तुझ से ये भी ना पूछ

पाए---खुल रहे है ये घने गेसू..अब बादलो की गरगराहट ने इन्हे क्यों संवरने दिया---

Friday 13 January 2017

चल आ...दूर बहुत दूर कही चलते है इस दुनिया से --बेबसी का जहा ना आलम हो ना दर्द की तन्हाई

हो --जहा सुबह तेरी मर्ज़ी से हो और मेरी शाम ढले तेरी बाहों मे--ना पहरा हो ज़माने का,ना रंजिश हो

बेगानो की --तेरी बाहों मे सो जाऊ,उम्र भर के लिए खो जाऊ--किस्मत की लकीरो मे तू हो या ना हो,पर

तुझे हासिल मैं कर जाऊ--प्यार के इस जहाँ मे आ चलते है,दूर बहुत ही दूर---
वो पूछते है अक्सर हम से,कितनी मुहब्बत है मुझ से---फैला है आसमाँ जितना या गहरी है ज़मी

जितनी---हद मेरे प्यार की बताओ-- है कहाँ तक---सवाल उन के पे हम हँस दिए--कहाँ इतना सिर्फ----

हर सांस के बाद,हर सांस तक--याद करते है तुझे ---हद का तो खुद को भी पता नहीं--लहू की हर

बून्द मे बहता है बस नाम तेरा--खामोश रहे तो भी नाम लेते है तेरा-----
हवा की सरसराहट से,क्यों डर रहे है हम..बादलों की गरगराहट से,क्यों बहक रहे है हम..भीग रहा

है यह सर्द मौसम,तो क्यों सिहर रहे है हम..ज़ुल्फे जो बिखरी है,अँधेरे से बस डर रहे है हम..तूने अभी

छुआ भी नहीं,फिर भी तेरे नाम से क्यों पिघल रहे है हम..खवाबो मे तेरे आने से ही,बस हो गए है तेरे

हम...
रात भर जागते रहे..जागते ही रहे--कुछ लम्हो की याद मे..बस तुझी को याद करते रहे..करते ही  रहे--

इक हलकी सी आहट के लिए ..आँखों से बची नींद को बर्बाद करते रहे..करते ही रहे--चाँद को देखा तो

चांदनी की तड़प का अहसास करते रहे..बस करते ही रहे--सुबह कब होगी..बस इसी इंतज़ार मे रौशनी

की राह तकते रहे..हाँ तकते ही रहे--
वो तेरा हँसना..मुझे बाहो मे भर लेना---हकीकत की शाम थी या मेरे मन का धुंआ धुंआ--बेपरवाह सी

लटों को तेरे हाथो का वो छूना,कोई दिल्लगी रही या दिल की लगी थी--खोई खोई सी तेरी वो नज़रे --

वो तेरी शायराना सी अदा--मेरी ही प्यास थी या तेरी मदहोशी की सजा--बात कुछ तो थी,पर कुछ भी

नहीं--लबो पे आने सी पहले,ओस की बूंदो की तरह बस ठहरी ठहरी ---

Wednesday 11 January 2017

कहो ना कहो..सुनो ना सुनो...तेरे  वादे से जुड़ी हर वो शाम मेरी है...रेत पे घरौदा बनाया जो हम ने,

उस की हर याद आज भी तेरी और मेरी है....कभी बिखरे सपने तो कभी आसमाँ रंगीन हो गया...यूं

मुस्कुराये कभी तो कभी आँखों ने सैलाब बहा दिया...टुकड़े टुकड़े जिए कभी ज़िन्दगी,तो कभी साथ

जीने के लिए उम्र भर का वादा कर लिया...जो भी किया,उस की गवाही के लिए यह तनहा रात तेरी भी

है,मेरी भी है....
सीने से जो उठता है यह दर्द,हवाओ मे क्यों घुलता है...तेरा नाम लेते है बहुत ख़ामोशी से,तो भी इस

ज़माने को क्यों पता चल जाता है....सजते है संवरते है,तो दुनिया की निगाहों मे क्यों चुभते है...इतनी

ही फ़िक्र है तो तेरे आने से,मुझे तेरे संग मिलाने से क्यों डरते है..यह तो प्यार है यारा,जो घुलता है इन

हवाओ मे...तो फिजाओ को भी पता चलता है...यह ज़माना क्या जाने कि तेरी इबादत मे भी खुदा का

नाम ही बसता है...
ना कर ग़ुस्ताख़ियां इस सर्द मौसम मे...कि गरम लावे क़ी तरह पिघल  ही जाए गे....ना छूना इन घनेरी

जुल्फों को,अंधेरे मे कदम तेरे बहक जाए गे...यू शरारत से ना देख मेरी सूरत को,इस नूरानी चेहरे पे

तेरी मुहब्बत के फ़साने लिख दिए जाए गे...मदहोश कदमो से जाए गे जिधर भी,पायल क़ी खनक से

लोग तेरे नाम को मेरे नाम से जोड़ते ही जाए गे.....

Monday 9 January 2017

मेरे हर आंसू पे...हर खामोश अदा पे...दिल को तड़पा देने वाली हर मासूम खता पे.....तुम साथ रहे

मेरे...ज़ुबा क्या कहती है,पर दिल चाहता है क्या...इस बात को समझने के लिए,तुम साथ रहे मेरे....

दुनिया के बेरंग रिश्तो मे-कुछ टूटे कुछ बिखरे उन सपनो मे..समंदर की उन लापरवाह लहरो की तरह

हम तुम साथ रहे ऐसे...मैं तुम मे बसी,तुम मुझ मे समाए...बरसो तक तुम साथ रहे मेरे.....
तेरी ही बाहों में,मेरा दम निकले--यही तो ख्वाहिश थी मेरी...ना मांगी थी कभी दौलत--ना चाहिए था

कभी बड़ा सा महल...बहुत छोटी छोटी सी खुशिया थी मेरी...तुझे देखू शामे-सहर..तेरे साथ जियू उम्र

भर...तेरे कदमो मे ज़न्नत हो मेरी,तेरी बाहों मे हर रात गुजरे मेरी...दर्द की इंतहा कितनी भी हो,मेरे

होठों पे रहे मुसकुराहट की लाली वही...पर दगा तुम कर गए,मेरी बाहों मे तोड़ा दम..और मेरी ही

खवाइश तुम साथ ले गए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...