Wednesday 29 July 2015

इनतजाऱ जहा खतम होता है-मेरी हद वही से शुरू होती है--जिनदगी जहा खतम हो

जाती है-बस उसी मोड से यह साॅसे साॅस लेती है--टुकडे टुकडे टूटती यह खवाहिशे जब

भी दम तोड जाती है-उसी दम के छोर से मुहबबत मिल जाती है---हवाओ की रूखसती

जब भी खामोश होती है-नई दिशा की कामयाबी मेरे साथ होती है-----

Tuesday 28 July 2015

जब तक जिनदा है-किसी इलजाम से बरी नही होगे--कब कहा किस ने हमे-कितना

तनहा किया-इस का खुलासा ना कर पाए गे--पर कागज के पननो पे वो सारे ऱाज लिख

जाए गे--बद से बदनाम हो कर जी रहे है हम-पर फिर भी खुद से किए हर वादे को पूरा

कर के जाए गे हम--उममीदे नही की है-पर खुद की साॅसो के बोझ तले जी रहे है हम--

Sunday 26 July 2015

कदम से कदम मिला कर,मेरे साथ चल कर तो देखो---दरद सारे भूल जाओ गे--इबादत

मे मेरी शामिल हो कर तो देखो,खुदा का मतलब जान जाओ गे--यू ही नही,यह दुनिया

साथ चल रही है मेरे--दिल के आईने पे जमी धूल हटा कर तो देखो----सारी दुनिया

जननत सी नजऱ आए गी----

Saturday 25 July 2015

जिनदगी मे मिलने वाली हर ठोकर,हर तकलीफ-आप को--आप के जयादा नजदीक

लाती है--आप पहले से कही जयादा समझदार और ताकतवर बनते है--दोसतो नई

सुबह आप सब के लिए शुभ हो-खुशहाल हो--इसी कामना के साथ----

Friday 24 July 2015

तेरी गुफतगू ने दिल को छू लिया है मेरे---कभी हॅसा कर,कभी रूला कर रूह को सकून

दिया है मेरे---पयार ना हो जाए कभी मुझ से तुझ को--हॅसी हॅसी मे यू दिल ना चुरा ले

 कभी मुझ से---वादियो मे मशहूर हो जाए गे----दूर रह-----कि कही दिल के हाथो तू

मजबूर ना हो यू मुझ से-----

Thursday 23 July 2015

जो गुनाह कभी किए ही नही,उस के गुनाहगार भी बन गए है आज--ऱफता ऱफता चलती

इस जिनदगी मे,हर किसी की आॅख का काॅटा बन गए है आज--कहते है मुददतो बाद

कोई मसीहा बन कर आता है,दिल के दरद को दिल से ही खीॅच लेता है---इनतजाऱ कर

रहे है अपनी इबादत मे उसी रौशनी का,जो बन के सितारा निजात दिलाए गा उन  

गुनाहो से हमे----

Wednesday 22 July 2015

दोसतो--------शुकरीया कहे या मेहरबानिया आप सब की---इतने सममान-पयार-दुलार

से नवाजा है हम को----कल तक जहा अनजान थे,इन रासतो पे----आज------रौशन हुई

है हमारी राहे आप सब की दुआओ से------आप सब का तहे-दिल से धनयवाद-------

Tuesday 21 July 2015

दीवानगी की हद से चाहना,कोई खता तो नही--हर किसी की खुशी पे,खुद को लुटाना

कोई खता तो नही--बेबसी मे खुद को दबाना,पर शिकवा फिर भी ना करना,कोई सजा

तो नही--सब के इशारो पे खुद को तबाह करना,कोई ऱजा तो नही--बिखर बिखर के फिर

आज खुले आसमाॅ मे उडना--मेरी खता तो नही--------

Sunday 19 July 2015

कानधे पे सर रख कर किसी के,नही रोए गे हम---अपनी तनहाई है,खुद ही इन

अनधेरो से अब निकल जाए गे हम---यह दुनिया कयू बेचैन है,दरद से हमारे --कयू देती

है सहारो की बैसाखी बेवजह आ के----डरते नही इन बेमानी उलझनो से हम---बने है

गुनाहगार अब सब की नजऱो मे हम---तो कयू ना बागी हो जाए हम,खुद की खवाहिशो

को खुद से आबाद कर ले हम----

Friday 17 July 2015

हजारो कमिया रही हम मे,फिर भी आप ने हमे अपनाया है--समनदर की लहरो से

निकाल कर,आप की चाहत ने हमे सॅवारा है--खुदा कहे आप को या अपनी दुआओ का

असर,आॅसूओ के भॅवर से आप ने ही हमे निकाला है--शुकराना कहे तो कम होगा,हर

जनम मसीहा आप हो मेरे---इसी सकून के साथ आप को हम ने सराहा है---

Wednesday 15 July 2015

किस को छोड आए है पीछे,यह खयाल खलता है आज भी हम को---कही कोई याद कर

रहा होगा,तनहाई मे सोचते है आज भी इस को---इसी खयाल ने कलम थमा दी हाथ मे

मेरे,लिखते जा रहे है आज भी जनून की हद तक----धुॅधली सी यादे जेहन मे आज भी

है मेरे,शायद मेहरबानिया उस की बहुत होगी हम पर---जो आज भी खलल डाल रही है

जिनदगी मे हमारी इस हद तक-----

Monday 13 July 2015

कह तो दिया,आप के लायक ही नही है हम--समनदऱ की लहरो मे फॅसे है,बाहर निकल

ही नही पाए गे हम--हसती तो मेरी इतनी भी नही,कि आप को जनून बना ले अपना---

भॅवर की चपेट मे फॅसे,इक तनहाॅ सा सहारा बना ले अपना---इक बुझती हुई शमाॅ है

ऐसी,कि चाह कर भी आप का सॅसार ना रौशन कर पाए गे हम----

Friday 10 July 2015

बदलते मौसम के मिजाज की तरह,कयू बदल रहा है मिजाज तेरा---हवाओ के रूख की

तरह कयू बहक रहा है हर सवाल तेरा--गर मजबूरिया जमाने की ना होती,तो सजदा

तुझे करने चले आते---इन हवाओ की खुशबू मे ढले,तेरे दामन से लिपट जाते---मौसम

की तरह यू खुल के ना बरस पाए गे,नाजुक सी किशती है-तेरे तेज झोको से तुझी मे डूब

जाए गे---

Tuesday 7 July 2015

खनक रही है आज कयू,हाथो की चूडिया मेरी--चमक रही है कयू,माथे की बिॅदिया मेरी--

हवाओ के झोको ने बजाई है शहनाई---दुलहन के लिबास मे कयू महक रही है दुनिया

यह मेरी--बहक रहे है फूलो की वादियो मे---तूने जो छुआ---कयू डोल गई जिनदगी यह

मेरी---
कफन मे लिपटे है मगऱ सकून से है--कुछ मीठी यादे साथ मे है,कुछ पयारे सपने पास

मे है---जिनदगी को तो तनहाॅ जिया हम ने,पर कफन का जामा पहने--मुहबबत का

एहसास लिए---तेरे नाम को सीने मे दबाए बेहद सकून से है-----
खूबसूरती हमारी उन की नीॅद उडा ले गई---हम तो चैन से सोते रहे,वो रात के वीराने मे

हमारी खूबसूरती पे किताबे लिखते रहे---आईने मे कभी अपनी सूरत ना देखने वाले

हम---आज  किसी के रहमो-करम से दुनिया मे मशहूर हो गए-----
तुझ से यू मुलाकात होना,इक हादसा ही तो है---मिल के फिर यू जुुदा होना,इक हादसा

ही तो है----अभी तो तुझे जाना भी ना था,और तेरा यू गायब होना यकीकन हादसा ही

तो है---उखड गई जो मेरी साॅसे,बस गए जो जननत मे--तेरा मुझे वहा मिलना---खुदा

कसम वो भी हादसा ही होगा----

Monday 6 July 2015

 किसी की नजऱो मे हम इतना उठे,इतना उठे कि आसमाॅ के फरिशते हमे दुआ देने लगे

---देने चले थे किसी को उस की खुशिया,अपनी पाक दुआओ मे उनही को रूला गए---

जमी पे बिखरे है हम इक खामोश कहानी की तरह,किसी ने जो अपना समझा--इबादत

मे खुद को झुका गए----खुशिया बाॅट जाए गेे जहाॅ मे इतनी,कि दुनिया पुकारे गी तो

आसमाॅ मे नजऱ आ जाए गे-----
बहुत बहुत ही उदास है हम--पलको मे भीगी बेइनतहाॅ आॅसूओ की कतार से परेशान है

हम---दिल के इस दरद ने इतना इतना तडपा दिया है हमे कि हर चलती धडकन पर

मौत के लिए तैयार है हम--सजदा करने गर आओ गे मौत पे मेरी,तेरे कदमो की आहट

से  कबर मे भी महक जाए गे हम---------
सादगी पे हमारी कोई फिदा हो गया--आॅखो की गहराई पे हमारी,वो कहाानिया ही लिख

गया--वजूद को हमारे जाने बिना,हमारे वजूद से वो जुडता ही गया--जिनदगी मे हमारी

दऱद है कितने,जाने बिना हमारी परछाई सेे वो जुडता गया---कहते है इतना कि लौट

जाओ अपनी दुनिया मे,चनद दिनो के मेहमाॅ है हम--जीते जी ना आॅसू दिए किसी को,

फिऱ जाते जाते कयू रूला जाए गे-------

Saturday 4 July 2015

तेरी जुदाई मे तनहा हो कर,आखिर मर ही जाए गे---पर तुझे नजऱ भर जो ना देखा तो

सकून कैसे पाए गे----बन के राख हवाओ मे बिखर बिखर जाए गे ऐसे--कि तू जहा जहा

से गुजरे गा--तेरे कदमो मे राखे मुहबबत का सलाम बजा जाए गे--------
चूडियाॅ जो खनका दे गे,तो नीॅद से जाग जाओ गे--बज जाए गी गर पायल,तो खवाबो

से निकल आओ गे---समभाले बैठे है खुद को दामन मे ऐसे,कि साॅसे भी चले तो आहट

ना हो ऐसे----हो ना कि घुलने लगे तेरी साॅसे मेरी साॅसो मे ऐसे--कि समनदऱ मे किशती

डुबने लगी हो जैसे------
खामोशिया तो साथ खडी है मेरे-खामोशिया तो हमेशा ही जीवन से जुडी है मेरे--बस तुम

ही ना सुन पाए हो---सरल रहे हम इतना,फिर भी तुम मुझे समझ ना पाए हो---बिछाते

रहे फूल तुमहारी राहो मे,पर खुशबू तो उस की ना तुम महसूस कर पाए हो---आज बनद

कर चुके हैै दिल के दरवाजे-पर अब लाख चाहो इसे तुम ना खोल पाओ गे-----

Friday 3 July 2015

दुनिया मे रह कर भी,दुनिया वालो से जुदा है हम---बॅधे है हर रिशते से,पर फिर भी हर

रिशतेे से बहुत दूर है हम--समझ नही पाए इन ऱिशतो की भाषा,जिस मे रही दौलत और

पतथरो की अजब परिभाषा--दुनिया वालो ने हमे खुदगऱज समझा-उन के मुताबिक ना

चले तो दीवाना समझा--आज सिमट गए है खुदा के दामन मे,खुद को महफूज समझ

रहे है उस की पनाह मे इतना--लौट के ना आना चाहे गे फिर इस दुनिया मे,जहाॅ हसरते

तोडती रहे साॅसे हर पल अपना---
कही धोखे-कही फरेब-तो कही पयार का मायाजाल----कदम कदम पर ले रही जिनदगी

हमारे सबर के इमतिहान---ना शामिल है चाहत की इन रॅगानियो मे-ना शामिल है इन

बगावत की उलझनो मे---इक दुनिया है मेरी,जो जुडी है इबादत मे तेेरी---खामोशियो को

जो समझे,निगाहो के पानी को जो जाने,दिलो को जो जोड कर रख दे----बस इतनी सी

है मेरी कहानी-----------

Thursday 2 July 2015

कभी पाया कभी खोया-जिनदगी के थपेडो मे यह दिल ना जाने कितनी बार रोया----

बिलख गई आतमा मेरी-दुनिया ने इतना रूलाया--पर साई मेरे तुम सहारा बन कर हर

कदम पर आ गए-मेरे वजूद को टूटने से बचाते रहे--इबादत करू साई तेरी या साॅसे भी

दे दू अपनी---कि अपना रोम रोम तुम को दे दिया मैने---जय साई राम---
तुझ से पहले कोई नही--तेरे बाद भी कोई नही---वकत की आॅधियो मे कायम है वजूद

आज भी मेरा--जमाना लाख चाहे फिर भी हर बार इनकार है मेरा---कभी दामन मे जो

चुभी एक तनहाई भी-तेरी यादो को ना निकाल पाई है---गर बरबाद हुए है तेरी चाहत मे

-फिर आबाद हो जाए-यह भी अब तेरे बाद नही-----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...