Wednesday 27 February 2019

मशक्कत बहुत की उस ने,हमारे नज़दीक आने की...कभी भेजे तोहफे तो कभी ढेरो दौलत ही लुटा दी..

कदम हमारे जहां जहां पड़े,फूलो की बरसात करवा दी...महलो के महल बने और तक़दीर हमारी बदलने

की अर्ज़ी तक लिखवा दी..जनाब..प्यार अगर दौलत से ख़रीदा जाता तो प्यार मे एक नाम ''पाक''ना

होता...पाक मुहब्बत के मायने जो आप ने जाने होते,तो महलो का खवाब हम को ना दिखाया होता..

दुनिया मे बहुत है इसी दौलत मे बिकने वाले..ज़मीर हमारे ने आप को किसी भी काबिल ना समझा..

Tuesday 12 February 2019

शोखियों से भरी है यह रात,चल इन अंधेरो मे कही गुम हो जाए..चाँद की इस रौशनी के तले,लफ्ज़

जो रहे अधूरे उन को पूरा कर जाए..गुफ्तगू करे इतनी कि सुबह का सूरज आस्मां मे निकल आए..

बहुत खूबसूरत है यह रात,अपनी पाक मुहब्बत को शब्दों मे पिरो जाए...दुनिया जगे जब सुबह,

यही शब्द मुहब्बत मे ढल जाए...बहुत कुछ जो छूट गया पीछे,उस को मुकम्मल कर जाए...
चंद लफ्ज़ो का वास्ता दे कर,शिद्दत से उन को बुलाया करते है...बात कुछ भी नहीं मगर फिर भी

बुलाया करते है..एक सकून पाने के लिए उन की सूरत को निहारा करते है...इबादत तो उन की करते

है लेकिन इबादत की वजह कभी ना बताया करते है...वो समझते है हम को खुदा,मगर हम कनीज़

बन कर भी उन के नखरे उठाया करते है..फर्क इबादत का है इतना..वो समझते है मुझ को खुदा ..

पर हम ऐसी अदा पे दुआओ के ख़ज़ाने उन्ही पे लुटाया करते है..
सितारों से भरी है यह रात लेकिन,हम चाँद को ही ढूंढा करते है...सुबह सवेरे की नरम घास मे तेरे

कदमो के निशाँ ही ढूंढा करते है...लोग दीवाना कह कर हम को पुकारा करते है...जज्बात कोई बेशक

ना समझे,तेरी ही धुन मे अकेले ही गुनगुनाया करते है..यारा यह मुहब्बत है,जिस के अल्फाजो को

ज़माना नफरत से जलाया करता है...आ लौट चले किसी अनजान दुनिया मे,जहा रेत पे भी यह

मुहब्बत घर बसाया करती है...
तेरे आने के इंतज़ार मे,कभी कभी हम यू ही तेरी राहो मे बिखर जाया करते है...हसरते शायद कभी

पूरी ना भी हो,मगर उम्मीदों के दिए तो अक्सर जलाया करते है..बेवजह कभी कभार याद कर के उन

हसींन यादो को,इन आँखों से आंसू भी छलकाया करते है...मगर लबो पे हंसी रख कर,इस ज़माने मे

अपना रुआब बनाया करते है..नाज़ुक तो आज भी उतने है मगर,इन नाज़ो को निभाने के लिए ही

आज भी तेरी ही राहो मे उसी तरह बिखर जाया करते है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...