Tuesday 12 February 2019

चंद लफ्ज़ो का वास्ता दे कर,शिद्दत से उन को बुलाया करते है...बात कुछ भी नहीं मगर फिर भी

बुलाया करते है..एक सकून पाने के लिए उन की सूरत को निहारा करते है...इबादत तो उन की करते

है लेकिन इबादत की वजह कभी ना बताया करते है...वो समझते है हम को खुदा,मगर हम कनीज़

बन कर भी उन के नखरे उठाया करते है..फर्क इबादत का है इतना..वो समझते है मुझ को खुदा ..

पर हम ऐसी अदा पे दुआओ के ख़ज़ाने उन्ही पे लुटाया करते है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...