Tuesday 31 December 2019

बेशक घिरे हो बादल घनेरे या फिर गरजे कोई अँधेरा..डरना क्यों है जब साथ है नया सवेरा..जब

तल्क़ सवेरा आने को है,चांदनी ने पुकारा अपने चाँद को बेहद प्यार से..भूल जा ना सारे शिकवे गिले

कल सवेरा आए गा और तुझे मुझे दूर दूर कर जाए गा..गरूर तुझे किस बात का है,रहना तो मुझे

तुझे अब साथ है..यह तो पुरानी रीत है,डर के कौन जी पाया है..साथ हू अपने चाँद के तो डर है किस

बात का..इस सवेरे के रंग मे तेरा मेरा वज़ूद,कमतर है मगर चांदनी फिर भी तेरे साथ है.. 
''सरगोशियां.इक प्रेम ग्रन्थ' की यह शायरा..अपने सभी दोस्तों को नए साल की मुबारकबाद देती है...२०१९ साल मे यह शायरा अपने शब्दों के जादू से कितना आप का मन जीत पाई,नहीं जानती..बस इतना जानती हू यह मेरी मेहनत और मेरे लफ्ज़ ही थे जो आप को यह सब पढने पे विवश करते रहे..२०२० साल मे मेरी पूरी कोशिश होगी कि मैं इस प्रेम ग्रन्थ को और जयदा भव्य और खूबसूरत लफ्ज़ो से सजा सकू...जिस मे प्रेम,प्यार और मुहब्बत का हर पहलू हो...प्रेम,विरह,विविशता,बेवफाई,समर्पण,अलगाव और भी ना जाने कितने रूपों से जुड़ा है प्रेम ग्रन्थ का यह दौर..अपने शब्दों से,अपनी कलम से मैं आप सभी के दिलो को छू सकू,यह मेरी पूरी कोशिश रहे गी..मेरी कलम किसी भी खास इंसान के लिए नहीं लिखती..यह सिर्फ प्रेम के हर उस पहलू को लिखती है,जो किसी के भी जीवन से जुड़ा हो सकता है..किसी की भावना को मेरे लिखे शब्दों से गर ठेस पहुंची हो तो माफ़ी चाहती हू..कोई भी इंसान यह ना सोचे कि यह उस के लिए लिखा गया है..प्रेम शुद्धता को पेश करता है और प्यार-मुहब्बत को इक नए सिरे से लिखता है..शुभकामनाये..
दोस्तों..आज हर दूसरी पोस्ट पे नए साल के लिए अलग अलग सन्देश दिख रहे है..कोई अपनी गलतियों के लिए माफ़ी मांगने का सन्देश दे रहा है तो कुछ सब की ख़ुशी के लिए दुआए..क्या फर्क है गुजरते साल मे और आने वाले कल के नए साल मे..कुछ भी तो नहीं..हा..फर्क है सिर्फ सही सोच का...अगर आप ने किसी बेकसूर का मन आहत किया है,सिर्फ इसलिए कि वो आप से बेहद सनेह-दुलार करता है या फिर वो आप से कही कमतर है..तो आज से अभी से अपनी गलती को स्वीकार कीजिए..और वो गलती अगले साल तक फिर ना हो,इस का वचन खुद को दीजिए.झूठ बोल कर किसी को दुखी मत कीजिए..आप जो है,जैसे है वैसे ही रहे...अगर हम सभी यह संकल्प आज और अभी ले तभी तो नए साल,नए दिन का महत्त्व है..बाकी लिखने के लिए तो कुछ भी लिख दे,क्या फर्क पड़ता है...अगर किसी को सम्मान नहीं दे सकते तो कम से कम उस का अपमान मत करे..हम हिन्दुस्तानी है,यही हमारे संस्कार बोलते है..किसी का दिल दुखा कर,उस को बेइज़्ज़त कर के आप या हम कभी सुखी और खुश नहीं हो सकते...नए साल का इस तरह से आगमन कीजिए ना...शुभकामनाये सभी के लिए..
बहुत ही खूबसूरत है यह फूलो की दुनियाँ..हज़ारो रंग हज़ारो रूप,महक हज़ारो भरी है इस मे..छूने

भर से महक जाते है हाथ..काश...दुनियाँ के इंसा भी ऐसे ही होते..खूबसूरत और दिल से महके..ना

देता कोई कष्ट किसी को ना देता अपमान..शायद किसी रोज़ बदल जाए इस दुनियाँ के इंसान,अंदर

से हो उतने ही सूंदर जितने दिखते बाहर से अनजान..बड़ी बड़ी बातो के मालिक,परखा तो दे गए

अपमान..शायद सतयुग फिर आ जाए और बदल जाए हर इंसान...

Monday 30 December 2019

ख़ामोशीया बोलती है अक्सर यह बात..मैं हर पल तेरे साथ हू,तुझे सुनाई दे या ना दे तेरे हर एहसास

मे तेरे पास हू...तन्हा तन्हा जब भी हुए,आवाज़ ख़ामोशी की तभी सुनाई दी..अक्सर शोर मे खुद की

भी आवाज़ सुनाई नहीं देती फिर इस ख़ामोशी को कौन सुन पाता...किनारे दर किनारे,साँसों की

रफ़्तार को जब हौले से थामा हम ने..ख़ामोशी ने सवाल उठाया,क्यों पराया मुझे कर दिया तूने..सवाल

उस का वाजिब था मगर जवाब नहीं था पास हमारे..बस इतना कहा,तेरी बेकदरी अब से नहीं करे गे हम..
ऐतबार किया तभी तो प्यार का मतलब समझ आया..यकीन को खुद मे भरा तो फलसफा मुहब्बत

का नज़र आया..कुछ भी नहीं माँगा तभी तो जाना,मुहब्बत सज़दे के सिवा कुछ भी नहीं..सलामती

मांग कर भी खामोश रहे,मुहब्बत की दास्तां मे यह भी मुकाम खास पाया..रात भर जागे मगर उफ़ भी

ना की,तभी तो रात होने का मतलब खवाब ही पाया..सुबह सूरज की किरणों ने जगाया तो रात भर

जागने का मतलब समझ आया...
दर्द ही जीवन है और जीवन ही दर्द है..प्रेम को पाना भी दर्द है तो उस को खो देना भी तो दर्द है..

समझ समझ की बात है,दर्द और प्रेम जुड़े है इक दूजे के संग..मिला प्रेम तो मुस्कुरा दिए जो गम

मिला प्रेम मे तो क्यों रो दिए..प्रेम का दर्द झेलना जिसे आ गया,यक़ीनन उस को प्रेम करना आ गया..

दर्द मे भी गर इबादत प्रेम की सीख ली, तो प्रेम का सागर पा लिया..इसलिए दर्द ही जीवन है और 

जीवन ही दर्द है..

Sunday 29 December 2019

कौन जाने कल क्या होने वाला है ..क्या पता किस को कहा जाना है..जीवन-रेखा से परे जहां कही

और बसाना है..यह कदम चलते-चलते कहा किस और मुड़ जाने है..बेफिक्री रहनी है या गहरे फ़िक्र

मे किसी को आना है..क्या पता इन सितारों की दिशा किस और जानी है..साँसों को मोहलत कितनी

किस को मिल जानी है..मुस्कुरा लेते है तब तल्क़,जब तक यह सांस आनी-जानी है..
बहुत लफ्ज़ो को उतारा हम ने इन पन्नो पे..भूले से भी याद क्यों ना आया कभी कि यह कलम तो हर

कदम साथ थी मेरे..लफ्ज़ लिखे जब जब मुहब्बत के तो साथ हमारे थिरकी यह..दर्द से भरा मन जब

भी मेरा तो भी साथ चलने से मना नहीं किया इस ने..कोई बेहतरीन ख़ुशी जो पाई मैंने,एक सच्चे दोस्त

की तरह आसमां मे छलांग नहीं लगाई इस ने..सरल सहज रहने का जो पाठ हम सिखाते रहे अपनी

कलम को,उस पे भी खरी उतर गई कलम मेरी..दुनियां का हर रिश्ता यह कलम है हमारी..तुझे आदाब

बजाए या यू कह दे तू ही हमसफ़र  हमराज़ है मेरी..
इन साँसों से पूछा मैंने,कब तक जहाँ मे रहने का इरादा है..कौन सी वजह है,जिस के लिए खुद को

दांव पे लगाना है..साँसों की हकीकत तो देखिए,बिंदास इस जहाँ मे रहती है..जवाब जो उस का सुना

मैंने तो क़यामत को भी मात दे जाती है..  ''मेरे साथ हर पल ज़िंदगी और मौत की बेला रहती है..इक

लम्हा मौत का होता है तो अगला पल ज़िंदगी का हो जाता है..खड़े है बिंदास बेखौफ,उस डगर पे जो

प्रेम की और जाती है..पाया जो परिशुद्ध प्रेम तो गले ज़िंदगी को लगा ले गे,नहीं तो मौत के साथ उसी के

देश चले जाए गे''......
प्यार को प्यार से ढाला और प्यार मुकम्मल हो गया...प्यार को जो नज़ाकत से तराशा तो वो सदा के लिए

हमारा हो गया..ना कोई बंदिश ना कोई वादा,फिर भी प्यार आसमां को छू गया...अब तो आसमां की

खवाइश है,वो रखे इस प्यार को आधा या फिर अधूरा..या मेहरबानी इतनी रहे,वो प्यार को दे आसरा

पूरा..प्यार मे तपिश रही इतनी जय्दा,आसमां आखिर झुका और धरती बनी गवाह उस से जयदा..अब

प्यार प्यार पे कुर्बान है खुद से भी जयदा..

Saturday 28 December 2019

हंस दिए क्यों बिन बात पे...फिर अपनी ही राह पे चल दिए क्यों बिन बात के..महकने के लिए बस

काफी है खुद की ही दीदारे-नज़र..आईना भी कुछ कहता नहीं,हमारे हुस्न के रूहाब मे..मुस्कुरा दे

तो, ज़माना बात सिर्फ हमारी करता है..ओझल जो हो जाए नज़रो से,सलामती हमारी बस सोचता

रहता है..हम तो ठहरे आज़ाद परिंदे,किसी की कहां सुनते है..मस्त है बस अपनी ही धुन मे,किसी

के बारे मे नहीं सोचते है..हंस दिए यह सोच कर,खुद से प्यार कर गलत हम कहां हो गए...
निखर रही है क्यों रूप की यह चांदनी..कि रूहे-सनम मिलने आने वाला है..सजा ले हम भी अपनी

रूह को प्यार से कि सनम को हमारा रूहे-अंदाज़ बहुत पसंद है...नूर देख हमारे चेहरे का वो हम पे

फ़िदा होता है..सर्द हवा का मौसम है,सितारों से राह निकाल मेरे पास आना है..ताकीद तो है उस की

यही  कि हम उसी के जहां मे संग उसी के लौट जाए..याद उस को यह भी दिलाना है,वक़्त कम है

मगर जो वादा तुम से किया था कभी वो पूरा कर के ही आना है..
यह तो पायल की मर्ज़ी थी कि वो अपनी छन छन से धरा को मोहित कर दे..यह तो कंगना का फैसला

था वो कलाइयों को सजने का सरूर दे या ना दे..झुमकों ने तो बात मानी पायल और कंगन की,तेरे

बिना अब मेरा अस्तित्व कहां..करधनी है साथ मे,फिर मलाल किस बात का..सब ने कहा रूप से,है

तेरा वज़ूद बस हमीं से..रूप की यह खास अदा,साथ किसी का ना चाहिए..जो सादगी मेरे पास है,उस

के लिए तुम्हारे साथ की क्या बात है..मोहताज़ नहीं  किसी शृंगार के,हम तो भरे है नूर से बिन किसी के

साथ के..

Friday 27 December 2019

''सरगोशियां,इक प्रेम ग्रन्थ'' इस साल मेरी सरगोशियां मे आप सब  ने प्रेम के हज़ारो रंगो से इस को सजे देखा..कभी खुशियों से महकते,कभी दीवानगी मे रमे,कभी कभी रोते हुए यह सरगोशियां,हिम्मत भरे शब्द आप तक पहुँचाती रही...मुहब्बत की गहराई को समझाती,परिशुद्ध प्रेम की परिभाषा को कोमल शब्दों मे ढालती...समाज को प्यार-मुहब्बत का पाक मतलब बताती मेरी खूबसूरत सी सरगोशियां...दुःख-दर्द की सीमा से परे,प्यार को प्यार से समझाती मेरी सरगोशियां..राधा-कृष्णा के अलौकिक प्रेम का उदाहरण देती,सतयुग के प्रेम को फिर से इस कलयुग मे वापिस लाती मेरी सरगोशियां...देह-जिस्म के मोह से दूर,हवस की माया से परे..सिर्फ रूह के परिशुद्ध प्रेम मे डूबी हुई,अंत तक प्रेम मे समा जाने का मतलब समझाती मेरी सरगोशियां...साल २०१९ आप सभी का और हमारा साल रहा...सरगोशियां को बेहद प्यार से अपना बनाने का शुक्रिया...अगले साल यह सरगोशियां,फिर से प्यार के हज़ारो रंगो को साथ लिए,करोड़ो प्रेम शब्दों की जननी है मेरी सरगोशियां....''सरगोशियां,इक प्रेम ग्रन्थ''  दोस्तों...बहुत बहुत शुक्रिया...इस को अपना समझने के लिए..आप की अपनी शायरा....''सरगोशियां,इक प्रेम ग्रन्थ'' के अस्तित्व की धरोधर...
दो कदम तुम चले, पर चार कदम हम ने दिए..दो लफ्ज़ मुहब्बत के तुम ने कहे,हम ने प्रेम के कितने

शब्द ऐसे कहे...वो पाक थे कितने,वो खास थे कितने..पर तेरी समझ से बहुत बहुत दूर थे कितने..

ईश्वर कहे या बोले अल्लाह,या पढ़ ले रोज़ कुरान..दिल जो डोले इधर-उधर,लफ्ज़ तो सारे है बेकार..

निष्ठा है तो प्रेम टिके गा..सरल सहज सच मे मन है,तो प्रेम का साथ अनंत अनंत है...झूठी तारीफ वो

है सुनते,जो विश्वास खुद पे नहीं करते..कृष्णा-राधा संग रहे,क्यों कि मन दोनों के बेहद पाक-साफ़ रहे..

फुर्सत ही कहां है अरे ज़िंदगी,तेरे दिए दर्द-दुखो से मिलने की..बेबस कर तू चाहे जितना,कदम तो

 चले गे फिर भी उतने...हिम्मत जो छोड़ दे गे तो तेरे ही इंसा रुला रुला कर मार डाले गे..बेशक

एक अजब ताकत चल रही है साथ हमारे,जिस के तहत पूरा जहाँ जीत जाए गे..कुछ नरमी से तो

कुछ ख़ामोशी से,लाखो दिलो पे राज़ किया है हम ने..आज जो हासिल कर पाए है,किन्ही खास दुआओ

मे रह कर ही कर पाए है..बात याद हमेशा रखते है,ज़िंदगी और मौत मे ''सिर्फ एक सांस'' का फासला

होता है..

Thursday 26 December 2019

शब्द कही पढ़े हम ने ''प्रेम के लिए ना जरुरत है देह की,ना किसी स्वर की..ना जरुरत मिलने की,ना

किसी रिश्ते की. ''   प्रेम तो इक बहुत शुद्ध सा वादा है,जैसा भी है बस इक सीधा-सादा नाता है..जिस

ने समझा वो रूह का पाक-साफ़ इरादे वाला है..दर्द मिले या सुख की बेला,प्रेम तो अनंत-काल का इक

सफर सुहाना है..रूप बदल कर जब रूहे मिलती है,परिशुद्ध प्रेम की परिक्रमा को दोहराती है..
रूप के चर्चे चारो और..निगाहो से घायल कितने लोग..फ़िज़ा मे आए तो फ़िज़ा बोली ,मेरा सलाम

तुझे बारम्बार...कदम रख दिए जहा भी हम ने,पिघली धरती झुका आसमान..एक इशारा पाते ही

सूरज छुपा बादलो के उस पार..नज़र लगे ना कही ऐसी वैसी,घटा काली आ गई हमारे साथ..देख

नज़ारा मौसम का,हम चल दिए फूलो के द्वार...थिरक रहे है कदम हमारे,क्यों कर रहे सब हम से

इतना प्यार...
बूंदे बरसती रही टप टप सारी रात...और हम समय को गिनते रहे सारी रात..दिल और दिमाग की

जंग मे पलड़ा भारी रहा दोनों का...दिल जो कलम को देता रहे गा शब्द मुहब्बत के..दिमाग जो साथ

दे गा शिद्दत से यह दिल को बताने के लिए..मुहब्बत को समझा इस ज़माने को यह बताने के लिए,

पाक रूह है तो मुहब्बत साथ देती जाए गी,जो मिलावट आ गई प्यार मे तो वो खुद ही खुद से रुखसत

हो जाए गी..ईमान जो डोला किसी और के लिए,दिल की ईमारत तो खुद ही हिल जाए गी..

Wednesday 25 December 2019

यह तो हमारा रुतबा है..यह तो हमारा दावा है..ना है आसमां के और ना ही किसी लोक से है जुड़े..

टूटा जो किसी का अंतर्मन,रूठा जो किसी का उजलापन..अनमोल किसी डोर से बंधे,बचपन के

किसी परी-लोक से जुड़े..सब का दर्द हरते ही रहे..दुनिया समझी हम को दीवाना,पागल-अल्हड़

कितने और नामो से पुकारा..हम को तो जो करना है,राह अपनी पे चलना है..बेशक दर्द  कितने

मिले..यह तो रीत दुनिया की बहुत पुरानी है,जो पंख परिंदे को दे उस को उड़ा देता है..वही परिंदा

जाते-जाते नासूर गहरा दे जाता है..

शामियाना इन आँखों का,इन पलकों का..रेत जो उड़ी किसी और के रुखसार से,आँखों मे हुई किरकिरी

और सपने सारे धूमिल हो गए..भरी आँखों से जो समेटना चाहा इन बिखरे सपनो को,रेत जो फिर उड़ी

तेज़ रफ़्तार से,शामिल रही मर्ज़ी इसी मे आसमां के भेजे इस सैलाब से...जज़्बा तो गहरा है,आँखों का

धुंदलका रोशन फिर कर पाए गे..यह बात और है आँखों को,इन पलकों को,काजल से फिर ना भर

पाए गे...

Monday 23 December 2019

यह नज़र जा रही है दूर तल्क़,शायद आसमां को छूने का इरादा है..यह कदम चल रहे है तेज़ी से,बेशक

मंज़िल को पा लेने की ख्वाईश है..खवाब अधूरे ना रह जाए,मेहनत करने की ज़िंदादिली तो अभी बाकी

है..खुशमिज़ाज़ रहे गे तभी तो जहां जीत पाए गे..दुनियां तो राहें रोकती आई है बार-बार,ज़िद तो हम ने

कहा छोड़ी है..किसी ने रुला दिया, किसी ने सजा दे कर तबाह कर दिया...कुछ दुआ थी साथ तो कुछ

कुदरत का नेक इरादा था,जहां जहां पांव रखे कुछ नेक इंसा भी मिले..आज जो पाया है,जज्बा ख़ुशी

का गहरा रंग लाया है..
क्यों खुश है आज,पता नहीं..बस चहक रहे है क्यों,पता नहीं..वजह तो हज़ारो है,क्यों बता दे..इरादा

क्या है पता नहीं..सुबह है आज इतनी खूबसूरत..दामन भरा है खुशियों से इतना,राज़ बता दे..शायद

नहीं नहीं..कल क्या था और आज क्या है..फर्क तो दिल की ख़ुशी का है..दिन तो रोज़ ही निकलता है

सूरज भी रोज़ चमकता है..फिर यह कदम हमारे उठ रहे है किस ख़ुशी से..क्यों बताए,यह भी तो

पता नहीं..
रात-रात भर हम जागे तेरी सलामती के लिए...तुझे कोई तकलीफ ना हो,सज़दे मे खरे उतरे..खुदा

को सच बताने के लिए..झूठ को पर्दानशीं का नाम क्यों देते,अपने भगवान् से भला धोखा क्यों करते..

हम ने आवाज़ दी उस को तुझे सौ बरस देने के लिए,सौ बरस मतलब ज़िंदगी को सहज जीने के लिए..

विश्वास की हर सीमा को पार किया,पूजा अपनी को सार्थक करने के लिए..फिर तेरी इस बात से क्यों

बेहद दर्द हुआ...कि अपने तो अपने होते है..

Sunday 22 December 2019

सरगोशियां इक प्रेम ग्रन्थ...प्रेम,प्यार,विरह,अलगाव,नाराज़गी,तपिश और भी बहुत से रंगो से सजी है मेरी खूबसूरत सी सरगोशियां..मेरी कलम अक्सर प्यार,मुहब्बत के साथ-साथ परिशुद्ध प्रेम की परिभाषा भी लिखती है..इस संसार मे सच्चा प्यार लुप्त हो चूका है..तभी संसार मे हर दूसरा प्राणी दुखी है,क्षुब्ध है..वजह प्रेम को समझा नहीं जाता..प्यार सिर्फ देह तक,चेहरे के रूप-रंग तक ही सीमित रह गया है..आज तू साथ है तो कल कोई और साथ होगा..प्रेम की शुद्धता किस ने समझी..लोग सिर्फ चेहरे और जिस्म के सौंदर्य को देख रहे है..और उसी चेहरे के सौंदर्य का व्याख्यान भी अपनी नन्ही सोच के तहत कर रहे है..चेहरा जो सदा एक सा सौंदर्य कायम नहीं रखता..जिस्म जो सौंदर्य के माप-दंड बदलता रहता है..दुःख की बात,पुरुष स्त्री मे उस के रूप-रंग को ही देख पाता है..पुरुष की सोच ऊँची उठ नहीं पाती..क्यों ? स्त्री,जो पुरुष को तब भी प्यार करती है,जब वो उस से कम सूंदर है..वो उस को उस की कमियों का एहसास तक नहीं कराती..और यही पुरुष गलती कर देता है..वो खुद को भगवान् ही मान लेता है..और उसी स्त्री को सम्मान देना बंद कर देता है,जो उस को आत्म-विश्वास से भरती है..सरगोशियां,किसी भी खास स्त्री-पुरुष को सांकेतिक नहीं करती..अपनी कलम को अपने हिसाब से,हर पहलू पे लिखती है..किसी को बुरा लगे तो माफ़ी चाहती हू..मगर सरगोशियां,इक प्रेम ग्रन्थ है,जो बार-बार हर बार प्यार,प्रेम और मुहब्बत के हर रंग को उजागर करे गी..सरगोशियां इक प्रेम ग्रन्थ..प्रेम मे आत्म-सम्मान को सर्वोतम स्थान देती है..प्रेम,प्यार और मुहब्बत..तभी कायम है ,जब स्त्री-पुरुष दोनों अपने आत्म-सम्मान के लिए प्रेम को स्थान देते है..जहा आत्म-सम्मान है,वही प्रेम है..
कलम हमारी जब जब भी आवाज़ उठाती है..कभी टूटे दिलो को मिला देती है तो कभी खुद्दारी का

पाठ कितनो को सिखा देती है..लफ्ज़ मचलते है खुद ही किसी को पनाह देने के लिए..तो कभी सिरे

से किसी को पटक भी देते है..कितनो को सिखाया हंसना इस ने और कितने डूब गए इस कलम के

हसीन लफ्ज़ो मे..उदासी का जामा पहने बहुत बार यह कलम रोई है..मगर अपनी खुद्दारी से खुद ही

संभल जाती है..यह कलम तो सिर्फ हमारी है,आखिरी सांस तक लिखती जाए गी..बहुत कुछ लिखते

लिखते हज़ारो का नसीब बदल जाए गी....
देख अकेले ज़माना साथ चलने लगा,हम ख़ामोशी मे है वो दुखी होने लगा...हम आप के साथ है,बेवजह

करीब आने लगा..कुछ तो बोलिए,हमारी गुफ्तगू की इंतज़ार मे तरस देने लगा...हम जो हमेशा की

तरह तब भी और अब भी,शानो-शौकत की भाषा जानते है..ताकत से भरे है,मगर खुद को सभी से

जुदा रखते है..मुस्कुरा दिए ज़माने की सोच पे..''नादान है जो हम को नहीं समझते है..इस ज़माने की

बार-बार धज़्ज़ियाँ उड़ाते आए है..गिरते हुओ को उठाते आए है..ख़ामोशी को दर्द समझने की गलती

ना कर..ऐ,ज़माने,खुदा के दरबार मे खुद को साबित करते आए है''..
बरसों हम आगे बरसों तुम पीछे...कदम फिर भी हम साथ बढ़ाते रहे..रूह की कदर की और रूह

की और ही बढ़ते रहे..जाने-अनजाने भी ना सोचा,कदम कहाँ किस ने पहले रखा..वादा तो कदमो

की रफ़्तार का था..ज़िंदगी मे पहले कौन आया,किस ने कब किस को अपनाया...अनंत काल के प्रेम

मे कदमो की आहट कहाँ होती है..इबादत जहाँ होती है,वहाँ उम्र और पहल की दस्तक कहाँ सुनती

है...राधा सिर्फ राधा होती है,कृष्ण किस का है यह खबर उस को कहाँ होती है...परिशुद्ध प्रेम की

मिसाल सिर्फ राधा क्यों होती है,कृष्णा को परखने के लिए वो वचन-बद्ध होती है..

सो जा सकून से,दुआ करते है..सकून बेशक आज चुराया है तूने मेरा,मगर हम तो सदियों से आधे-अधूरे

है..जख्म देते है आप और हम खुद से मरहम लगाते है..दर्द की चादर ओढे हम फिर भी ज़िंदगी जी

लेते है..सर्द हवा का झौंका दर्द उड़ानें की कोशिश करता है..क्या कहे उस से,दर्द तो बरसो से हमारा

हमराज़ है..वो जानता है,किस्मत के छलावे को हम ने सर-आँखों पे बिठाया है..प्यार के बोल सुन कर,

दो पल के लिए खुश होते है..हकीकत तो यही है,सदियों से हम तो आधे-अधूरे है...
उजाले की हिफाज़त के लिए,अँधेरे को दूर रखा हम ने..अँधेरे जो बेइंतिहा दर्द देते रहे,अँधेरे जो हर

बार और बार-बार हिम्मत को तोड़ते रहे..खामोश रहना और अँधेरे का तमाम दर्द खुद से पी जाना..

और उफ़ भी ना करना..उजाले की इक नन्ही सी किरण के लिए,बहुत लड़े हम इन अंधेरो से...दुनियाँ

बेशक दाद देती रही हमारी हिम्मत की,पर ऐतबार किसी पे हम ना कर सके..मुस्कुराते रहे इतना कि

दर्द अँधेरे का हम से हार गया..उजाला मिला बरसो बाद मगर दर्द का इम्तिहान वो भी लेने लगा..अब

ऐतबार दोनों पे नहीं,ना अँधेरे पे ना उजाले पे..हिम्मत असली साथी है,जो हमकदम बन साथ चलता रहा..

Saturday 21 December 2019

तन्हा ना रहो,ना उदास रहो..यह ज़िंदगी है यारा..इस से प्यार करो..कदम-कदम पे यहाँ बिकती है

ज़िल्लतो की कहानियाँ..बेवफा कब हो जाए यह ज़िंदगी की दास्तां,चुन ले फूल और भूल जा काँटों

की चुभती हुई काली कहानियाँ..जीना हम ने भी ऐसे ही सीखा है..जिन जिन काँटों ने दर्द दिया,प्यार

से दामन छुड़ा,आसमाँ की ऊचाईया को देखा और रास्ता खुद से खुद बना लिया..आज फूल साथ है,

इबादत की बात करे तो दिल मे खुदा का खौफ है..बस तन्हा ना रहो...यही ज़िंदगी है..यारा,इस से प्यार

करो...
बात लब पे ना आई,दिल ने भी ना कही..यह रूह ही है जो अपनी रूह को कही से भी ढूंढ लेती है..

''इज़हारे-दर्द बयां होता नहीं...तू क्यों रहे मेरे दर्द मे,ऐसी इंतिहा मैंने सोची भी नहीं..शरारत करू संग

तेरे,यह तो मुनासिब है..तुझे हंसा दू,यह मेरा वादा है..''  सदियों से चल रहे है साथ तेरे,तेरे दर्द को जान

लेते है तुझ से भी पहले...जिस्म दो है तो क्या हुआ,रूहों को तो यू जुदाई का सबब ना बना..तेरी रूह

मे शामिल रहती है रूह मेरी,दर्द तुझ को मिले तो रो देती है रूह यह भी मेरी..अब तू बेशक इज़हारे-

दर्द मुझे बयां करे  या ना करे ..तेरा दर्द तुझी से खींच लू,जान मेरी यह वादा तुझी से मेरा भी है...

Friday 20 December 2019

नींद को आने दीजिए अब अपनी आगोश मे,कल की सुबह बहुत खूबसूरत होने को है...रात को ना

बिताना तारो को गिनते गिनते,कल मुहब्बत की फ़रियाद पूरी होने को है...बेवजह उदासी को अपना

साथी ना बना,तेरा हमराज़ तेरे हर राज़ को सुने,यह भी होने को है...कुदरत बिछा रही है फूलो को तेरे

कदमो के तले,अब यह नज़ारा तुझे दिख जाए..यक़ीनन यह बहार बस आने को है..नींद को अब आने

दीजिए अपनी आगोश मे,बस नई सुबह आने आने को है...
''दौलत और ऐशो-आराम साथ मे हो तो प्यार रंगीन हो जाता है--शब्दों मे नहीं, प्यार तो सिर्फ मंहगे

लिबासो मे होता है'' सुन के यह,दिल दर्द से भर आया.. हम प्यार बसाते रहे दुनियां के हर इंसा के

जज्बे मे.. मुहब्बत को आवाज़ लगाते रहे अपने पाक लफ्ज़ो से..परिशुद्ध प्रेम की परिभाषा के लिए

प्रेम-ग्रन्थ रचा हम ने..सादगी को अपना लिया,मुहब्बत को भी ढाला सादगी भरे शब्दों मे हम ने..जो

दौलत के तराज़ू मे तुल जाए तो प्यार कहा होगा..जो रख दे शर्ते हज़ारो,वो मुहब्बत का वारिस कहा

होगा..सीने मे बहुत दर्द उठता है,जब प्यार को दौलत के तराजू और गलत शर्तो मे तोला जाता है..
यू बार-बार राहें रोके गे हमारी तो साथ हमारे कैसे चल पाए गे...जरुरत मुझे तेरी और तुझे मेरी है,यह

बात बार-बार तुम को कैसे समझाए गे...चाँद की तरह बार-बार आप का यू छुप जाना,अँधेरा हुआ भी

नहीं और बिन बताए हमी से दूर चले जाना..तेरी रुखसती कितनी महंगी पड़ती है हमे,बताए तुझे कैसे

कि हम को बार-बार भूल जाना आदत है तेरी..और एक हम है आईना भी देखते है जब-जब,अपनी

सूरत मे तेरी ही सूरत दिखाई देती है हमे ...

Wednesday 18 December 2019

ढाई अक्षर प्रेम के..जो ढूंढ़ने निकले इस जहान मे,कही ना कही कमी मिली हर किसी के प्रेम मे...

प्रेम जो था,किताबो की दुनियां मे..प्रेम जो था,दौलत के तहखानों मे..कही यह था,सिर्फ रूप-रंग के

हसीन तानो-बानो मे..कुछ सिर्फ प्रेम को हवस मान,दस्तूर इस का निभाते रहे..कही कोई दे गया आंसू

और ज़िंदगी प्रेम के लिए ख़ाक होती रही..क्या है प्रेम..ग्रन्थ पे ग्रन्थ लिखते रहे..पर कोई मिली ना राधा

ना कृष्ण कोई ऐसा मिला..जो प्रेम को सहेज ले सदियों तल्क़..अनंत से अनंत काल तक निभा दे ढाई

अक्षर प्रेम के...

कभी सूरज की तपिश मे रहे तो कभी चाँद की नरमी मे जिए..सुबह सूरज की भी मंजूर थी,चाँद की

सादगी भी कब नामंजूर थी..इंतज़ार तो उस क़यामत की रात का था,जो गुजरती इस तरह कि सूरज

को आना पड़ता यह बताने के लिए,सुबह भी कभी-कभी क़यामत को मात देती है..आगोश मे मेरी

खिलने के लिए,तुझे जरुरत तो मेरी ही होगी..चांदनी की आगोश मे चाँद जब-जब होगा,उस को खबर

तेरी कहां होगी..मेरी सुनहरी दुनिया की खूबसूरती बस इतनी है,तेरी मेहबूबा दिन के उजाले मे तुझ

से मिले..खौफ से परे ऐसी मुहब्बत कहां और होगी..

Tuesday 17 December 2019

परदे मे रहे या बाहर इस परदे के,बात तो तेरे दीदार की है...खुली आँखों से देखे या बंद रहो इन आँखों

मे,तागीद तो सिर्फ तेरे सपनो मे आने की है...साथ मेरे हो या हज़ारो मीलो की दूरी हो,एहसास तो हर

पल तेरे नज़दीक होने का है..कौन कहता है,मुहब्बत साथ-साथ जीने का नाम है..हर लम्हा तेरा नाम

लबों पे रहे,सोते-जागते तू रूह मे रहे..हर सांस तेरे नाम से ले,फिर कौन कहां है इस की खबर कैसे

रहे..रूहे तो आज़ाद होती है,फिर तेरी रूह से मिलने के लिए..हम-तुम कही भी रहे,बात तो सिर्फ साथ

जुड़ने की है...

Monday 16 December 2019

शाम ढलते ही तेरा रात को अलविदा कहना,यू लगता है मुझे अब सब कुछ ख़ाली-ख़ाली है...आसमां

मे बेशुमार सितारे है,रात भर वो हम से बात करते है...बात चलती है जब तेरी मौजूदगी की,हम तो कुछ

भी बोल नहीं पाते है..क्या कहे उन सब से,हमारा चाँद तो शाम ढलते ही ढल जाता है..बिन बादलों के

भी अपने मे ही ग़ुम हो जाता है..शायद शाम को ही रात का एहसास कराना,उस की खास आदत है...

पर खास आदत तो हमारी भी है,रात जब शबाब पे आये तो ही उस को रात कहते है..तेरी तरह शाम को

बेवजह ही रात नहीं कहते...

Sunday 15 December 2019

अंदाज़े-बयां देख हमारा,उस की धड़कनो ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी..उस रफ़्तार की गूंज जब तक हम

तक पहुँचती,तब तल्क़ हम ने मुहब्बत की बाज़ी अपने हाथ मे ले ली..डरे-सहमे वो पास हमारे आए..

कुछ तो कीजिए ना इस रफ़्तार का,यह आप के सिवा किसी की बात कहा सुनती है..दिल के मरीज़ हो

तो पास हमारे क्यों आए हो..देख उन की रोनी सूरत,हम जो हँसे इतना हँसे..रफ्त्तार तो रफ्त्तार रही वो

तो हमारी जान के दुश्मन ही हो गए..
अपनी हर नाकामयाबी पे नाज़ है आज भी..कामयाबी जिस ने ऊँचा उठाया गर हम को,नाकामयाबी

की ठोकरों ने हौसला उतना ही बुलंद किया हमारा..गर्म रेत पे जितना झुलसे पाँव हमारे,शाँत हुए उतने

ही मन और दिमाग हमारे..मुश्किलात की राहें तब्दील हुई ऐसे,जुगनू चल रहे हो अँधेरी रातो मे जैसे..

रिमझिम बरखा सिखा गई आंसू पीने,सूरज की तेज़ रौशनी सिखा गई हर हालात मे जीना जीने..सिक्को

ने  सिखाया,सब कुछ मैं ही नहीं..मुझ से ऊपर है संस्कार तेरे...

Saturday 14 December 2019

हम को..हमारे लफ्ज़ो को पढ़ने के लिए दिल जरा मजबूत होना चाहिए..हम हमेशा प्यार-प्रेम को

पन्नो पे नहीं बिखेरते..दर्द का पलड़ा भी साथ-साथ रहता है,उस के साथ जीवन का गहरा पैगाम भी

उसी का साथ देता लगता है...प्रेम भी तो मांगता है कुछ बलिदान..सब कुछ प्यार मे आसानी से मिल

जाता तो मशक्कत कौन करता मुहब्बत मे फ़ना होने के लिए...हज़ारो दिए जलते है तो दूर कुछ

अँधेरा होता है..सोचिए मुहब्बत तो रूह का साज़ है,इस को समझने के लिए दिल तो मजबूत होना

ही चाहिए..
कितनी ही खुशियाँ बिखरी है आगे ज़िंदगी की राहो मे..फिर क्यों कहे ऐ ज़िंदगी,तेरा ऐतबार हम

नहीं करते..हा सच यह भी है,तू दर्द जब जब देती है,बेइंतिहा देती है..पर शायद तू बेखबर है मेरे

दिल की झंकार से,जो ना तब डरा जब दर्द से बेहाल था..दर्द तो आज भी है इतने,जो तुझ को बताया

तुम तो फिर से बेइंतिहा हो जाओ गी..और हम अब वैसे रहे नहीं,जो तेरी बेइंतिहाई से खौफ खा मर

जाए गे..काश तुझे यह खबर हो जाए,तेरे दिए दर्द की चादर इतनी बड़ी नहीं,जितना हमारी हिम्मत का

समंदर  गहरा है...फिर भी तुझे प्यार तो करते रहे गे अरे ज़िंदगी...
बहुत शिद्दत से बिछ रहे है आप की राहो मे..कोई कांटा कही आप को दर्द भी ना दे,यह सोच कर

हम ने खुद को सिरे से सजा दिया आप की मुश्किल राहो मे...अनंत काल का यह प्यार,किसी सीमा

से नहीं बंधा...आप से क्या मांगे गे,क्या आप दे पाए गे...इन सवालों से परे,किसी भी सवाल के घेरे

मे नहीं डाले गे हम आप को...पाक रहे गे तो खुद ही खुदा की नज़रों मे उठ जाए गे..इम्तिहान तो उसी

को देना है,आप को बेवजह कुछ भी ना बताए गे...
कलम तो हाथ मे लिए बैठे है..मगर लिखावट तो दिल की ही है...दिल जो गूढ़ प्यार की बात करता है..

और कलम तो कलम है,उसी का आदेश मान पन्नो पे सब उतारती रहती है...दिल जो भरा है बेहिसाब

प्यार से,कलम को बस लिखना है इस को प्रेम-ग्रन्थ के हिसाब से...रहने के लिए सदा तो नहीं आए इस

 जहान मे..फिर क्यों ना ऐसा लिख जाए जिसे सदियों याद रखे यह जहाँ,हमारे नाम से..नफरत नहीं बस

प्रेम को हर दिल मे यू बसा जाए गे,जब भी प्यार की बात होगी लोगो को हम ही हम...याद आए गे..
मुहब्बत को जो सादगी से देखा तो इस का रूप मासूम और निष्पाप नज़र आया..बात जब समर्पण

पे आई ,साफ़ आसमाँ की तरह बेदाग़ नज़र आया ..हल्का सा पाप मुहब्बत को दाग़दार कर देता

है..झुकना और दिल के हर कोने से मुहब्बत को सैलाब की तरह बहा देना..राहो मे कदम-कदम

पे बिछ जाना,गरूर से नहीं मुहब्बत से अपनी जान को जीत लेना...जो बसा हो रूह मे,जिस्म के

मायने इस के आगे क्या होंगे..बात उठे गी जब भी शुद्ध प्रेम की,हम याद करे गे कृष्णा-राधा के

परिशुद्ध प्रेम की...

डर डर के जीना..जीवन की हर परेशानी को पहेली बना उलझा लेना..जरा से दर्द पे घबरा जाना..

ऊपरी सतह से दुनियाँ को जताना,हम बहुत काबिल है..बीच राह मे इत्तेफाक से हम को मिलना..

हम,जो जंग को भी लड़ते है इत्मीनान से..दुखों से सौदा करते है तो भी सकून और आराम से..

दुनियाँ ख़िताब देती है,ख़ुशनसीब इंसान का..हा,खुशनसीबी से भरे है सारे के सारे..मुश्किले डर

कर खुद ही हमे रास्ता देती है..हम मुस्कुरा दे तो बाइज़्ज़त खुद को ही बरी कर देती है..हा,दुनियाँ

वालो....यक़ीनन खुशनसीब है हम..दर्दो से मुहब्बत कर के,खुद ही को प्यार कर लेते है हम...

Friday 13 December 2019

खड़े थे हम सामने और वो हमी को देख मुस्कुरा दिए..सोच मे हम पड़ गए,क्या कीमत अदा करे अब

तेरी पहली पहली मुस्कान की..सोच मे इतना पड़े कि बरखा आ गई आसमान से..शायद उस को भी

इंतज़ार था तेरी इसी भोली सी पहली मुस्कान का..नज़र उतार दी झट से हम ने मासूम सी इस मुस्कान

की..अभी तो बरखा ने किया है तेरा इस्तकबाल,अब कही धरती ना झूमे ख़ुशी से बारम्बार..देख ना,इस

मुस्कान की कीमत बहुत खास है,होश मे हम नहीं और तू माशाल्लाह...लाजवाब है...

Thursday 12 December 2019

दो जोड़ी आँखों का हर जगह रहना..तुझे तो खबर ही नहीं,अपनी पलकों के आशियाने से तेरी हर बला

को टाल देना..रूहे-ताकत बहुत है हम मे..रेत मे भी जब चलते है हमारे कदम,वही रेत बिखरती है तेरी

राहो को सँवारने के लिए...हंस के ना टाल मेरी बात को,मेरी ख़ामोशी तक खुदा के दरबार तक जाती

है...वो जो कह दे दुनियाँ की भीड़ मे खो जा,उस का हुकम जो हो जाए हम तो अपनी साँसों को भी किसी

को दे जाए..यह ताकत भी उसी का वरदान है,जिस के कदमो मे हर पल हमारी पहचान है..
यू तो दरख्तों को इज़ाज़त नहीं दी हम ने,बेवजह झुकने के लिए...हज़ारो आँधिया आती रहे बेशक,तुम

रहना सदा रुतबे को संभाले हुए..धूप-छाँव का खेल भी बहुत सताए गा तुझे,बारिशों का मौसम बेवजह

भिगोए गा तुझे..कमजोर हुए जो खुद के अंदर से,यह ज़माना सीधे से काट डालें गा तुझे..खफा ना होना

उस बहते नीर से,जो हर मौसम मे सँवारे गा तुझे..ताकत तो वही बने गा तेरी हरदम,जो तेरी जड़ो को

सींचे गा दुलार से अपने..याद रहे,हज़ारो फलों से जब लद जाओ गे,तभी इज़ाज़त दे गे  हम तुझे झुकने के

लिए...

Wednesday 11 December 2019

शहजादी हू मैं,बेनाम देश की...परी हू मैं,अनजाने से आसमां की..कुछ खास नहीं,पर बहुत खास हू...

जो सब के दिलो को छू जाए,ऐसी इंसान हू..दर्द जो अपना छुपा ले,मगर तकलीफ जो सभी की जाने..

हाथ मे बेशक कुछ भी नहीं,मगर दुआ से भरी हू सभी के लिए..हाथ की इन लकीरो मे क्या है मेरे,पर

हर जरूरतमंद के लिए यह हाथ उठे रहे है मेरे...लाड-दुलार की मांग लिए,सब से सम्मान का एहसास

लिए..ऐसी ही परी और ऐसी ही इक शहजादी हू मैं....
''सरगोशियां,इक प्रेम ग्रन्थ'' शुद्ध प्रेम को परिशुद्ध प्रेम मे ढालती,सुर-ताल को मुहब्बत का नया आयाम देती,चूड़ियों की खनक को साजन के प्यार मे ग़ुम करती,प्यार जो ना सूरत से होता है,ना रंग-रूप से ,ना दौलत की खनक से..जो प्रेम दौलत के लालच  से बंधा हो,वो प्रेम हो ही नहीं सकता..प्रेमी के सुख-दुःख मे-उस की तकलीफ मे अपनी दुआ का रंग भरती,ग़ुरबत मे भी उस के संग-साथ रहने का वादा करती,उस से जुड़े हर इंसान को प्यार से अपना लेती.प्रेम मे झूठ की कोई जगह नहीं होती,झूठ प्रेम को खतम कर देता है......यह है मेरी खूबसूरत सरगोशियां,जो प्रेम के हर रंग हर रूप को आप के सामने लाती है..भावनाओं की इबादत करती मेरी यह सरगोशियां...इस के हर लफ्ज़ को प्यार और सम्मान देने के लिए,आप सब का बहुत बहुत शुक्रिया..आभार..अभिनन्दन..  आप की अपनी शायरा 

Tuesday 10 December 2019

रास्तों मे अँधेरा बार-बार आए गा..कभी-कभी अनजान रास्तों को,अपनी झूठी रौशनी से भी तुझ को

लुभाए गा..दौलत और ऐशो-आराम का वादा दे कर,बीच राह धोखा दे जाए गा..चकाचौँध दौलत की

कही तुझे अपनों से बहुत दूर ना कर दे..सकून की तलाश पाने के लिए,सकून को ही मत खो देना..

जीने के लिए दौलत जरुरी है,पर प्यार के बिना भी तो ज़िंदगी अधूरी है..हम रुके है इसी मोड़ पे,क्यों

कि हम को तो सिक्को से जय्दा,प्यार की जरुरत है...
जिस्मो-जान हो या मेरी रूह की ताकत..पलकों का आशियाना हो या इन आँखों की नमी..तेरे लिए

दुआ की कही कोई कमी आज भी नहीं..तू है पूजा का वो फूल,जिस के लिए इबादत भी है और तेरी

इनायत भी की है मैंने...कौन सी राह ऐसी होगी,जहा तेरे चलने से पहले खुद को ना बिछाया होगा मैंने..

बस एक गुजारिश,प्यार से सींचे रहना दामन मेरा..साँसों का यह पिंजरा ताउम्र  कैद रहे बस तेरी उल्फत

की छाँव तले..

Monday 9 December 2019

सब गर एक ही सिक्के के पहलू होते,तो हम सब से अलग क्यों होते..बने जब तेरे लिए ही है तो यह

सिक्के हमारे लिए क्या मायने रखते...शाम के धुंधलके से परे,सुबह की लाली से परे..दुनियां का साज़

तुम्ही से तो है...मुस्कुराना बस तुझ को सिखा दे,दुनियां की जंग मे हिम्मत से रहना भी सिखा दे..यह

फ़र्ज़ नहीं,यह तो हमारा रुतबा है..हमारी चमक हमारी हंसी,जीने की बिंदास अदा..अनंत काल तक

मजबूर तुझे हमारा होने पे कर दे..अलग-थलग है तभी तो तेरी राधा है..
ग़ुरबत मे रहो या ऐशो-आराम मे..आसमां की खुली छांव मिले सोने के लिए या बिछौना चादर का..

बात तो तेरे साथ की है..कहने को तो सब कह देते है निभा दे गे दूर तक,पर जब आती है निभाने पे

तो प्यार हवा हो जाता है..वादे सारे धरे के धरे रह जाते है..शुद्ध प्रेम की परिभाषा जब भी लिखते है,

तब तब इन सब से बरी हो कर ही लिखते है..दूर तक प्यार निभाने के लिए,साथी को ग़ुरबत मे भी

समझने के लिए..खुद से बहुत ऊपर उठना होगा..तभी तो साथी को हर बार,हर जन्म पाना होगा..

Sunday 8 December 2019

सिर्फ चेहरा अगर प्यार का दर्पण होता,तो प्यार-मुहब्बत का मायना यही तक सीमित होता..देह का

सुंदर रूप जब तक रहता,प्यार-मुहब्बत क्या तभी तक होता..प्यार की शुद्धता,उस का मायना..कितनो

ने ठीक से समझा..चेहरा सुंदर,देह भी सुंदर..मन और रूह है बहुत बदसूरत..क्या प्यार तब ज़िंदा रह

पाए गा..कर्कश वाणी,मैली काया..क्या साजन को लुभा पाए गी..प्रेम-प्यार का असली गहना,रूह से

सुंदर.मन से सुंदर .मंत्र-मुग्ध से बोल अनोखे..जो तू प्यार से मुझ को सींचे,रूह के बंधन सदा ही तेरे..
यह कलम हमारी जब भी लिखती है ..कायनात मे छिपी सारी मुहब्बत को,रफ्ता-रफ्ता पन्नो पे उतारती

है..कलम मुहब्बत की पाकीज़गी से भरे लफ्ज़ ही उठाती है.. मुहब्बत,जो बेदाग़ है..मुहब्बत,जो निष्पाप

है..मुहब्बत,जो रूहों का अनकहा एहसास है..ना जाने इसी पाकीज मुहब्बत के लिए,कितने लफ्ज़ पन्नो

पे और उतारे गे..मुहब्बत और क़ुरबानी,इक दूजे का नाता है..मुहब्बत,जो सिर्फ देती है..वक़्त आए तो

क़ुरबानी भी दे जाती है..तभी तो पाक कहलाती है..
वो कहते है हर चेहरे मे,उन को हमारी झलक दिखती है..अल्लाह-तौबा,कभी कहते हो हम जैसा कोई

और नहीं..तुम हो बेहद खास बहुत ही खास..जब है हम इतने खास,तो हर चेहरा हम जैसा क्यों होगा..

फिर यह मुहब्बत नहीं,यह तो नज़र का धोखा है..इज़ाज़त तो हम अपने आइने को भी नहीं देते कि वो

हम को हम से जयदा झलका दे..तेरी बात करे तो कहते है,तेरा चेहरा सुभान-अल्लाह..इस के जैसा

कोई और ना ठहरा..यह है मुहब्बत का ऐसा पहरा,तेरा जैसा और ना दूजा...

Saturday 7 December 2019

धड़कनें बहुत धक् धक् करे गर आज तेरी..तो समझ लेना दिल कही दूर जाने को है...पसीना गर माथे

पे बरबस आने लगे,समझना तू खुद से ही जुदा होने को है..कदम बेसाख्ता मेरी और चलने लगे,नशा

मुहब्बत का भारी होने को है...नींद की आगोश मे जाते-जाते गर ख्याल हमारा,नींद उड़ाने लगे तो या

अल्लाह--तेरा अंजाम खतरे मे आने को है..इतना कुछ गर होने को है,तो तौबा तौबा मेरी..तेरी मंज़िले-

मुहब्बत बस तेरी होने को है...
गुस्ताखी कर ना कर,राहों मे तेरी फिर भी आए गे..कशिश ही कुछ ऐसी है हम मे,तेरे दिल को तुझी

से ले जाए गे..नज़ारा देखा है कभी समंदर का,बहुत गुमान है उस को अपनी गहराई पे..अक्सर रुक

जाता है सतह पे,खुद को सहज बताने के लिए...यह जाने बगैर कि वो खारा है अंदर से कितना..वही

बात तो तुझ मे है..एहसास है तुझे कि तू कितना खारा है,बिन मेरे तेरा कहा गुजारा है..आना ही पड़े गा

पास मेरे तुझ को,कि मीठा होना हम ने ही तुझ को सिखाया है...
धरती-आसमां कब मिला करते है..गज़ब तो यह है कि वो ना मिल के भी हर वक़्त मिला करते है...दूरी

भले है कितनी,देख कर रोज़ दोनों इक दूजे को संभाला करते है..एहसास ही तो है,जिस ने दोनों को साथ

ना हो के भी साथ बांधे रखा है..लाजवाब है रिश्ता,जिस को कोई ना तोड़ सकता है..नाराज़ है धरा अगर

तो आसमां खुल के रोया करता है..गज़ब रिश्ते का नाम है ,धरती भी उस के नीर को खुद मे पूरी तरह

जज्ब कर लिया करती है...
शुद्ध है या परिशुद्ध है प्रेम,यह तो इंतज़ार ही बताता जाए गा..मिलना है या फिर कभी भी नहीं मिलना

है,यह तो कुदरत का फैसला ही बतलाए गा...इबादत मे ताकत किस की होगी,जवाब तक़दीर का खास

दिन ही बताए गा..दुःख-तकलीफ़ों को कौन जयदा सह पाए गा,पैमाना सहने का ही बता पाए गा..सब

छोड़ दे खुदा की मर्ज़ी पे,तेरा-मेरा मुक़द्दर लिखने वो ही आए गा..हिम्मत को साथ रखना है,मुस्कराहट

को संभाल कर रखना है..देख शुद्ध प्रेम,खुदा भी रास्ता खोलने आ जाए गा..

Friday 6 December 2019

ना जुबाँ से कुछ कहा ना निग़ाहों ने कुछ कहा...बस आँखों की चमक ने, उस के दिल का दरवाजा खोल

दिया..इकरार ना उस ने किया ना हाले-दिल हम से कहा गया..मगर मुहब्बत का दिया रौशन जहाँ बस

कर गया..अब तो याद यह भी नहीं कि प्यार की राह पे,कदम पहले किस ने रखा...जहाँ तक यादों मे

आता है,कदम शुरू मे भी साथ चले थे..जैसे अब साथ चलते है...बस कुदरत के करिश्मे पे फिर से

यकीं हो जाता है..नाम तो आज भी याद कर,चेहरा सुर्ख हो जाता है..शायद रंग प्यार का ऐसा ही होता

है...

Thursday 5 December 2019

परतें जब जब दिल की खुलने लगी..मन की गांठे एक एक कर सुलझने लगी..रफ्ता रफ्ता करीब आने

लगे..शाम के धुंधलके की इंतज़ार मे,दो दिल गुफ्तगू की तलाश मे नज़दीक आने लगे..कुछ मासूम सी

बातें,कभी इक दूजे को समझने के लिए अनकही छोटी छोटी मुलाकातें...शुद्ध है प्रेम इतना,जन्मो का

गहरा नाता बदल रहा है दोनों को,एक-दूजे जैसा..बेशक दो जिस्म दिखते है,मगर रूह मे तो एक जैसे

है..सदियों बाद दो रूहे धरती पे उतरी है,कौन जाने कब से धरा पे आने को तरसी है...

Wednesday 4 December 2019

''आबाद तुझे बहुत ज़िंदगियां करनी होगी..कितनों को शिखर पे पहुँचाना होगा..दर्द तेरे दिल मे कितना

भी भरा हो बेशक..मगर औरो के सुख और ख़ुशी के लिए तुझे खुद को,पूजा के धागों को निश्छल मन

से बुनना होगा..मेरे दिए संस्कारो को आखिरी सांस तक तुझ को निभाना ही होगा.'' गूंज रहे है वो लफ्ज़

हर पल मेरे कानो मे..संस्कारो को अपनी आखिरी सांस तक निभाए गे बाबा..सब को दे गे ख़ुशी,जितने

धागे पूजा के बांध सके दूजो की ख़ुशी के लिए,बांधे गे..डर के नहीं जीना है,खुद्दारी मे अपनी रहना है..

यह वचन भी बाबा,आप की कसम मरते दम तक निभाए गे..सहज सरल हमेशा रह कर,आप की बेटी

होने का धर्म निभाए गे..

Tuesday 3 December 2019

 तकरार से हासिल क्या होगा,जब प्यार नख से शिख तक बरस रहा है..तुझे जीतना क्यों,तुझे हासिल

भी करना क्यों..जब मुहब्बत हमारी खुद ही तुझे हम से बांधे है..साफगोई मन मे लिए,निश्छल प्यार

जब है कायम रूह मे तेरे लिए..सदियों तल्क़ कोई शिकायत भी नहीं तेरे लिए..बस एक ही गुजारिश

तेरे लिए,प्यार का यह दर खोले रखना सिर्फ और सिर्फ...सिर्फ और सिर्फ..मेरे लिए..इस के सिवा कुछ

और ना चाहिए होगा मुझे तुझ से कभी मेरेलिए ...
खुशबू तेरी साँसों की,महक तेरे जिस्म की..मेरे जिस्म मेरी रूह मे इस कदर शामिल है..कही भी जाऊ

किसी भी महफ़िल मे रहू,तेरी ही परछाई साथ मेरे रहती है..वो तेरी गहरी काली झील सी आंखे,वो

तेरी अनकही कुछ बातें..अब कुछ कुछ समझ मुझे आने लगी है...समर्पण की बेला मे भी मेरे सम्मान

को कायम रखना,बाइज़्ज़त मुझे अपना कहना..इबादत मेरी भी उतनी ही करना,जितनी खुदा के बाद

मेरा हक़ होना...तुझे फ़रिश्ता कहे या मेरे नसीब का गहना..इस से जयदा अल्फ़ाज़ तेरे लिए,अब कहां

से लाए मेरे सनम...
तुझे जीना सिखाए गे..तुझे हंसना भी सिखाए गे..यह लब जो हमेशा सिले रहते है,इन को बोलना भी

सिखाए गे..नन्ही नन्ही बातो पे बेवजह खफ़ा हो जाना..गुफ्तगू हमीं से करने का दिल होना,पर फिर

भी चुप रहना..खुदा से हमारी ही सलामती मांगना,मगर हम को ही नज़रअंदाज़ कर देना..झूठ बोलना

और हम से ही सच छिपा लेना..जब इतना कुछ सिखाए गे तुझे,तो सच बोलना जरूर सिखाए गे..कि

सच तेरे ही मुँह से सुने,यह भी जानम तुझ को ही सिखाए गे..

Monday 2 December 2019

नींद की परतों से जागे आज तो लगा बरसो बाद सोए है...नींद ने ऐसे लिया अपनी आगोश मे,सितारों

के बीच चाँद जैसे खो गया हो मदहोश मे..सपनो की दुनियां मे थे या हकीकत के किसी खवाब मे..

जहा भी थे बहुत सकून बहुत आराम से थे...शामियाना पलकों का यू बंद था,कमरे मे रात थी लेकिन

उजाला आँखों मे था..मुद्दत का सपना साकार होने को है,कि नींद की परतों से जागे आज तो लगा

बरसो बाद आज ही तो सोए है...
मोड़ ज़िंदगी मे बहुत आते है,आते रहे गे..कभी यह ज़िंदगी ले जाए गी आसमां के उस पार तो कभी

तक़दीर के तहत धरा पे पलट-गिरा जाए गी...ना इतराना आसमां मे अपने पंखो की उड़ान पर,ना

दर्द से बेहाल होना अपने गिर जाने के खौफ पर..तक़्दीरों के खेल बहुत न्यारे होते है,मुट्ठी खुली है

आज तो कल बंद भी हो सकती है..यारा,सुन जरा..जो मिट्ठी से सने तेरे कदमो को भी चूम ले,जो

तेरी भीगे पलकों को भी अपने आंचल से सोख ले..बस वही सच है,जो हर मोड़ पर खरा और खड़ा

रह पाए गा साथ तेरे...

Sunday 1 December 2019

याद कीजिए गा आहिस्ता आहिस्ता तो सब कुछ याद आता चला जाए गा..बंधनो का राज़ खुद ही

खुलता चला जाए गा..तुम कौन हो और हम कौन है,वक़्त के साथ खुद ही समझ आता चला जाए

गा...क्या चाहे गे तुम से,कुछ भी नहीं..कुछ भी तो नहीं...कलयुग मे राधा भी है तो कृष्ण यही साथ

होंगे..बात रिश्ते की करे तो सतयुग के साथ होंगे...ना राधा जी पाए गी अपने कृष्णा बिन तो कृष्णा

कहा अधूरे जी पाए गे..बात यकीन की है,तो कहे गे धर्म तो रूहों ने भी निभाए है..
बेबसी मे क्यों नीर इन नैनो से निकल आए...तू बहुत दूर है मुझ से,यह सोच कर नैना फिर भर आए..

इक सांस जो आती है,इक सांस जो जाती है..तेरे नाम को याद करते आती-जाती है..तेरा आना भी

नामुमकिन है,तेरा मिलना तो बहुत दूर का कोई सपना है..ख़ामोशियों मे अक्सर तेरी आवाज़ सुनाई

देती है..आंख से निकल कर दो बून्द आंसू पन्नो पे गिर जाते है..तेरे लिखे नाम को यह फिर भी ना

मिटा पाते है...
रूप के यह मेले,मेरे या फिर तेरे..कुछ वक़्त के है..ना गुमान कर सूरत की रोशनाई पे,जो ना सदा

तेरी रहनी है और ना मेरी ही रहनी है..प्यार करना है तो बस रूह से कर,जो अनंत काल तक ऐसे

ही रहनी है...रूप से जो प्यार करे गा,वो तेरे दर्द-दुःख का हमराज़ कहा होगा..नकली प्यार का नकली

मुखौटा जल्द ही सामने आ जाये गा..मन सूंदर और रूह सूंदर,वाणी हो मीठी-मीठी..जो तेरा दर्द

तुझ से पहले समझे,तेरी पीड़ा खुद ही हर ले..अब तू ही बता,रूप है पहले या रूह की पहचान है

पहले...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...