Monday 30 September 2019

थकान से भरा इक चेहरा,बोझ से भरी आंखे भारी भारी..कदम कहते है अब चल नहीं पाए गे,दे दो

अब बाहों का सहारा..सकून से भर जाए गे..सितारों से भरी रात हो,तुम मेरे साथ हो..देखे तुझे तो

कभी देखे उस चाँद को...फिर किसी रूमानी बात पे हंस दे हम साथ साथ..वो पल रुके फिर कही जाए

नहीं..तेरा साथ जब पास हो तो थकान किस बात की..जानम,हम तो पास है,देख लो बस इक नज़र..
हर पल याद करे...पल से पल जोड़े तो भी ना यह रात कटे..कभी तेरी यह बात याद करे तो कभी तेरी

वो याद याद करे...मर मर के जिए,भला खाक जिए..जुदाई बहुत लम्बी तो नहीं,मगर भूले तुझे कैसे

और कैसे ना याद करे...सोच रहे है क्या मुहब्बत ऐसी होती है..सोचते है क्या इबादत ऐसे ही होती है..

आंख से बून्द भर आंसू निकला और यह बता गया..मिलन की बेला आने से पहले,कुछ पल इंतज़ार

के भी ज़ी ले..
वक़्त चलता है अपनी चाल से..रोके ना रुका है किसी हाल मे..चेहरे बदल जाते है,जिस्म ढल जाते है..

पर यह मुहब्बत फिर भी जवां रहती है...अक्सर टूट के चाहने वाले उम्र से कब डरते है..जहा मुहब्बत

जिस्म से नहीं रूह से चलती है,वही पे यह मुहब्बत दूर तक चलती है...यू ही नहीं कहते,मुहब्बत का

उम्र और जिस्म से क्या लेना-देना है..तभी तो बार-बार हर बार रूहे ही रूहों से मिल जाती है..सदियों

जो जवां रहती है,सदियों तक साथ निभाती है...साथी बेशक दूर बहुत दूर सही,रूहे पहचान जाती है..

Sunday 29 September 2019

मुहब्बत को देखो गे गर नज़र से मेरी,तो हर जगह मुझे ही पाओ गे...कदम जहां जहां रखो गे,साथ

अपने खड़ा पाओ गे मुझे..लगे कभी तुम्हे मंज़िल कितनी दूर है अभी,याद रखना मेरी दुआ से तेरी

ज़िंदगी भरी है पड़ी..तेरी हर सांस के साथ मेरी दुआ चलती है..तुझे पता चले ना चले मगर खुशनसीबी

साथ होती है तेरे...दिखावा करते नहीं अपनी वफाओं का,जादू जताते नहीं अपनी दुआओ का...जिस

रोज़ तू कामयाब हो जाए तब देखना मेरी मुहब्बत को अपनी ही नज़र से...
जब भी वो मुझ से मिलते है,एक ही बात कहते है..तुम जैसा कोई और नहीं दूजा,तेरी फितरत के

निशाँ कहाँ मिलते है..जो समझ सके मेरी बातो को,जो उलझ सके मेरी आँखों से..ऐसे दिलदार

कहाँ मिलते है..''महक गए तेरी बातो से,दहक गए तेरी इन आँखों से..खिलखिला दिए तेरी देख

मासूम अदा,अल्हड़पन से भरा चेहरा तेरा..तेरी आँखों मे जो डूब सके,तेरी उलझन को जो समझ

सके..तेरी माया तू ही जाने,हम ने भी कहा..इस मुमताज़ को भी कहा मिले गा तेरे जैसा शहंशाह''...
वो खुद को समझते रहे इक कागज़ का फूल...वो कागज़ हू मैं,जिस पे जो भी लिखा मैंने कोई समझ

नहीं पाया..टुकड़े टुकड़े हो के जिया,मगर किसी का अब तक पूरा हो नहीं पाया...कोई संग चला कुछ

दिन मेरे,कोई साथ निभा ही नहीं पाया...मौन हुई मेरी भाषा,जब कोई हमसफ़र मेरा हकीकत मे बन

नहीं पाया..हम बोले,कैसे कोई तुम को भाता..कागज़ की स्याही तो हम ही थे,उस पे कौन लिखता नाम

हमारा-तुम्हारा...तुम हो वो कोरा कागज़,हमारी स्याही ही लिखे गी अब नाम मेरा और तुम्हारा...
यादों के झरोखे से निकलने के लिए खुली हवा मे चले आए है...दर्द को सीने से बाहर करने के लिए फूलो

से मिलने बाग़ मे चले आए है...कशिश मुहब्बत की जीने नहीं देती,दिमाग की सोच इस को छोड़ने ही

नहीं देती...वो ढाई अक्षर प्यार के तूफ़ान मचा देते है..सहेज के रखे तो भी दिल थाम लेते है.. ''.मुहब्बत''

मुस्कुरा दिए किसी की याद मे..लौट चले है फिर वही,जहां ढाई अक्षर लिखे है हमारे प्यार के..

Saturday 28 September 2019

क्यों उदास है पता नहीं..क्यों रो रहे है पता नहीं..सब कुछ पास है फिर क्यों जी उदास है,पता नहीं..

लग रहा है जैसे,कोई ख़ुशी करीब से गुजरी और छू कर हमारे दामन को धीमे से निकल गई..बहुत

चाहा रोक ले उस को उम्र भर के लिए,मगर रेत की तरह हाथ से मेरे फिसल गई...कुछ एहसास जो

खुल गए कुछ दब गए,देखना चाहा था जी भर के मगर खवाब अधूरे ही रह गए...
लोग पूछते है हम से ...प्यार ही प्यार..इतना क्यों लिखते है इस प्यार पे...प्यार सब कुछ तो नहीं

ज़िंदगी के लिए..जवाब मे कहे गे..ज़िंदगी क्या पता कब तक देती है हम को जीने की मोहलत..

प्यार के लफ्ज़ो को सारे जहां मे इतना बिखेर जाए गे,हम रहे या ना रहे..आने वाली हर नस्ल इस

 पावन प्यार को समझे और समझ कर इस को अमर कर दे...हम तो हर सांस के साथ कहे गे यही

'''प्यार सिर्फ प्यार है,यही ज़िंदगी है..यही कुदरत का द्वार है'''....
वादे का बेशक कोई जवाब ना दे..हकीकत तो सारी जानते है हम..जो दूर तक साथ चले,वो राज़ ही जब

जानते है हम..भोली सी सूरत मगर इरादे गुस्ताख़ है..नज़र ही जब नज़र को ना पहचाने तो प्यार का

क्या कसूर है...इरादे तेरे बेशक गुस्ताख़ सही,मगर डोर तो तेरी हमारे हाथ है..अब तू महके या फिर

बहके मंज़िल तो एक है...नज़रअंदाज़ ना करना कभी हमे कि हमारी डोर साँसों की,अब सिर्फ तुम्हारे

हाथ है..
सदियों पीछे चले गए हर जन्म का लेखा-जोखा जानने के लिए..क्या हुआ था हर जन्म तेरे साथ रहने

के लिए...इबादत के पन्नो को जो खंगाला,तो चेहरा सिर्फ एक ही नज़र आया...वही चेहरा जो कल रात

खवाब मे हम को नज़र आया...वो गहरी आंखे जो भा गई हम को..वो तड़प जो हर जन्म साथ चली

हमारे...लोग कहते है सदियों का साथ किस ने पाया है..हम कहते है,जब तपस्या हो खालिस तो खुदा

भी साथ देता है..वो मिलाता है उन को,जो सदियों का साथ सोच कर आता है...

Friday 27 September 2019

मुबारक किया दिन आज का और भगवान् को शुक्रिया अदा किया...यह कौन सा मोड़ आया,सोच कर

दिल भर गया...ख़ामोशी से चरण-स्पर्श किया और मन ही मन कुछ वादा किया...निष्ठा भी है और

भाव भी..भगवान् से कहे कितना शुक्रिया,हम तो इस काबिल ना थे..झोली भरी मांगे बिना,यह तेरा

कैसा करम हम पे है...कैसे चुका पाए गे हम ऋण तेरा,यह सोच कर फिर भगवान् को शुक्रिया कहा...
यह दिल है या मुहब्बत का मंदिर..फूल खिलते है इस मे वफाओ के,साँसे महकती है इस मे यकीन

और दुआओ की..कदमो मे है किसे के आने की आहट..आँखों मे है सपनो का दर्पण..आंचल मे है

हल्का सा कम्पन..लब थरथराते है बिन कहे किसी बात के..पलकों के कोने देख लेते है उन को

खुशबू की आगाज़ से...रात लेती है जब भी आगोश मे हम को,ओस गिरती है जैसे पत्तो पे ,दिल

धड़कते है इसी धड़कन की आवाज़ पे...
झुकते रहे जिन के प्यार मे इतना,वो कमजोर उतना हम को समझते ही रहे..हर बात पे कहा मान लेना,

पर वो इस को मेरा दीवानापन ही समझते रहे..हर चलती सांस जब दुहाई देने लगी उस के नाम की,वो

करीब हमारे फिर से आने लगे..गुजारिश हर बार एक ही की ,तुम ही तो जहान मेरा हो ...शायद इस

रूहानी बात का अर्थ वो नहीं समझ पाए..हम रोष से जयदा खौफ मे आ गए..ज़िंदगी का जब कोई

मायने नहीं तुम्हारे लिए तो जी कर भी क्या करना है..अंत करे गे अब हम अपना,यह सुनते वो खौफ

मे आ गए..
''''' सरगोशियां '''''' वो एहसास जो दिल से निकले तो सीधे दिल मे उतरे..वो दर्द जो दुसरो को रोने पे मजबूर कर दे...वो इशारे वो पाक नज़र,जो इश्क को फणा कर दे..कभी झगड़े कभी लड़ाई यही तो है दास्ताने-इश्क की रूसवाई..फिर कभी साथ जीने के सच्चे वादे तो कभी एक दूजे के साथ मर-मिटने को तैयार...कभी कभी लम्बी जुदाई...दोस्तों,यह सरगोशियां है...आप के तमाम जज्बातो की लम्बी फेरिस्ट लिए...यहाँ कोई भी शब्द किसी व्यक्ति विशेष के लिए लिखे नहीं जाते..यह आप की इस शायरा की कल्पना की वो उड़ान है जो आप को कभी दर्द के सागर मे डुबो देती है तो कभी सात जन्मो के प्यार से मिलवाती है..यह लफ्ज़ो का गहरा जादू आप को मेरी लिखी शायरी का कायल कर दे गा...दोस्तों..कभी मेरे लिखे लफ्ज़ो से किसी की भावनाओ को ठेस पहुंची हो या दिल आहत हुआ हो तो क्षमा चाहती हू...शायरी सिर्फ एक जादू है..प्यार-मुहब्बत की मायानगरी...शुभकामनाएं
हम अपनी मुहब्बत की इबादत शिद्दत से करते रहे और वो किसी और के हो गए...हिफाज़त जितनी

की अपनी मुहब्बत की,दूरियां वो उतनी ही हम से बनाते रहे...बहुत सोचा क्या कमियां रही हमारी

और कहां कहां हम गलत साबित हुए..कुछ भी समझ ना आया और वो हम से जुदा हो गए..दर्द चुभा

रूह मे और हम ज़िंदगी से बेखबर बेज़ार हो गए..यादों को सहेज कर कब तक जी पाए गे,आखिर कभी

ना कभी तो ज़िंदगी से इन साँसों से आज़ाद हो जाए गे...
गीली मिट्टी की तरह रिश्तो मे ढलते रहे...खुद को भूल कर सब कुछ करते रहे..होश तो तब आया जब

हम बिलकुल अकेले हो गए...जान दे कर जिस्म की परतें उतार कर,ख़ुशियाँ देते रहे..दौलत का हर

टुकड़ा लुटा कर ख़ुशी ख़ुशी जीते रहे..आंख मे आंसू किसी के ना आए,यह सोच कर अकेले आंसू बहाते

रहे..सब किया जिन के लिए,वो दर्द पे दर्द देते रहे..रह गए उसी मिट्टी का बेजान खिलौना बन  कर,जो

खुद ही सूख गया रिश्तो मे ढल ढल के...

Thursday 26 September 2019

छोटा सा आशियाना मगर सकून का डेरा है यहाँ...नन्ही नन्ही ख़्वाहिशों से भरा,ताजमहल है मेरा...

पूजा का दीपक जले जब जब,कपूर की महक भरती है यहाँ...सीधा सादा जीवन है मगर महफ़िलो

का कोई कोना नहीं है यहाँ...  ज़िंदगी साँसे लेती है यहाँ..कोई डर कोई खौफ का नाम नहीं है यहाँ..

यकीन के दीपक हर वक़्त जलते है क्यों कि माँ-बाबा की दुआओ से दिल खिलते है यहाँ...सोते है

इस विश्वास से कल का सवेरा खुशिया लाए गा यहाँ...
हमारे शब्दों के बोझ से पन्ने घबरा गए..कितना लिखो गे और कि आप की इबादत मे हम खुद से

दूर हो गए..बिखरने लगते है जब जब हम पे दर्द आप लिखते  है..आंसू आप को दिखाते नहीं कि

जज्बात आप के भी तो बिखरते है..मुहब्बत का लिखा हर शब्द क्या खूब होता है..जैसे दिल का

हर खवाब पूरा होता है..इसी मुहब्बत को इतना आबाद कीजिये..जो भी पढ़े इन शब्दों को मुहब्बत

को करे सज़दा और आप को इन्ही शब्दों का मसीहा बोल दे...
क्यों तेरी आज कोई खबर ही नहीं..क्यों इतना सन्नाटा छाया है..क्या जाने किस मुश्किल ने तुझ को

आज घेरा है...क्या बादलों ने फिर उत्पात मचाया है या फिर कोई तेरी राहो मे उलझन पैदा करने आया

है...फिक्रमंद है पर कोई खौफ नहीं..अपनी मुहब्बत पे है इतना यकीं जितना तेरी उल्फत पे रहता है

यकी...नज़र तो नज़र के पास सदा रहती है..कमी किसी बात की नहीं पर एक उम्मीद है जो हर पल

साथ साथ चलती है..
जीवन का हर झमेला हम को,सुनहरी राहो की और ले जाता रहा....कदम जहाँ जहाँ रखते रहे,खुदा

का साथ बार-बार हर बार मिलता ही रहा...खौफ निकलता रहा दिल से,राहों का मिलना आसान होता

गया..अब खौफ से नहीं यकीन से हर राह चुनते है...कामयाब हो या ना हो मगर कोशिश हर बार करते

है..देखे यह तमाम कोशिशे क्या रंग लाती है...डुबोती है सागर मे या संवार कर नगीना बनाती है...

Wednesday 25 September 2019

धरा पे रहे,धरा पे ही बसे..धरा पे पाँव रख कर ही जिए...किसी भी ख़्वाइश से परे खुद के वज़ूद तले

ही जिए..दुनियाँ क्या क्या कहती रही,फिर भी बेखौफ जिए..बहुत ही मामूली इंसान है हम,यह जान

कर भी आगे बढ़ने को तैयार रहे ..कभी माँ की दुआओ ने जान डाली हम मे तो कभी परवरदिगार

के रहम-तले जीते रहे ..गुजारिश है आप से,ना बिठाइए हम को आसमाँ के आँचल की गोद मे...

कभी जो गिरे इसी धरा पे तो संभल भी ना पाए गे,कहते है पूरे यकीन से...
''''जीवन आप का खुशहाल रहे''''....यह कह कर,वो हमारी ज़िंदगी से रुखसत हो गए..कुदरत ने चाहा

तो शायद मिल जाए किसी मोड़ पर,अजीब सा यह एहसास दिला वो चले गए..पत्थर के बुत बने,हम

उस सन्नाटे मे अकेले हो गए.. क्या यह सच मे एक हकीकत है, हम परेशान हो गए...कल तक जो हम

से वादे पे वादा करता रहा,जिस को हमेशा यह लगा,हम तक़दीर है उस की...आज ऐसा क्या बदला कि

उस ने बदल दी दुनियां मेरी..धीमे से हम ने भी कहा ''''''जीवन आप का खुशहाल रहे'''''....
इस दुनिया मे प्यार कहां होता है...दौलत की तलाश मे जो साथी को तलाशे,वो यार और प्यार कहां होते

है...रुतबे और दौलत के लिए,घर-बार छोड़ दिए जाते है..ख़त्म हुआ रुतबा तो प्यार भी छोड़ जाते है...

फिर किसी नए की तलाश,प्यार का एहसास दिलाती है..जो गुजर जाए ज़िंदगी,मुहब्बत की पनाहों मे,

वहां कम मे भी ज़िंदगी की लो जलती है...खूबसूरती बेशक रहे ना रहे,दौलत कम से कमतर रहे..प्यार

गर तब भी कायम रहे,तो कहे गे.....इस दुनियां मे प्यार भी होता है...

Tuesday 24 September 2019

दुनियादारी मे उलझने की जगह, हम पन्नो की दुनियाँ मे चले आए..एहसास के धागों को समेटा

और खुली हवा मे चले आए...दिल के टूटने की आवाज़ खुद को भी ना आए,दिल को पत्थर बना

ग़ज़लें लिखते चले गए..तन्हाई से डरने की बजाय,दूजों की परेशानियां सुलझाते चले गए..खुश

रहने की ठान ली तो बेवजह खुश होते चले गए...महफ़िलो से दूर मगर अपनी ही दुनियाँ मे मस्त

खुद को ही प्यार करते चले गए...
ताल-मेल ही ना बैठा पाए तुम से तो मुहब्बत क्या खाक करे गे...तेरे आने पे सज-संवर ना पाए तो

तुझ को रिझा कैसे पाए गे..तुम कहते हो सादगी मे तुम्हे देखा है,वो रूप तेरा मुझ को भाता है..हम

हंस दिए,सादगी भी तो इक गहना है तुम को रिझाने के लिए...सादगी को सजाने के लिए खुद को

पाक रखना भी तो जरुरी है..मिलन की बेला मे तेरे होश उड़ाना भी तो जरुरी है...पागल तुझ को

कायम रखने के लिए,धडकनों को धड़काना भी तो जरुरी है..
बात बात पे जो उलझे गे तुझ से,तो यक़ीनन प्यार तेरा खो बैठे गे...पाबंदियों से जो बांधे गे तुझे,सच

मे तुझ से दूर हो जाए गे..खुद को खुद से आजमाया तो जाना कि जबरदस्ती से प्यार हासिल नहीं

होता..खुद को शीशे मे उतारा तो खुद की कमियों का एहसास भी हो आया...दूरियां हो या नज़दीकियां

प्यार सिर्फ मासूम दिल को ही हासिल होता है..तुझ पे जो हावी हो जाए गे,यक़ीनन उसी दिन तेरा प्यार

खो बैठे गे.. 

Monday 23 September 2019

तेरे ऐतबार पे ऐतबार किया हम ने...आंख बंद कर विश्वास किया तुम पे...अब ना कोई मोड़ है,ना कोई

रास्ता..तेरे दर के सिवा अब किसी और से क्या वास्ता..दगा ना देना कभी,भगवान् के बाद अब तू ही

है मेरी मंज़िल,मेरा रास्ता...कहने को दुनियाँ आबाद-बरबाद होती जाए गी,मगर तेरे मेरे प्यार की कोई

मिसाल ना थी ना कभी हो पाए गी...जन्म बार बार लेने के लिए,तुझे हर जन्म पाने के लिए...इबादत

तेरी शिद्दत से करनी होगी,तभी तो भगवान् से तेरी मांग मुझे करनी होगी..
'''''''सरगोशियां ''''''------पावन प्रेम की अनुभूति से भरपूर...रूहों को बार-बार हर जन्म मे मिलाती  हुई....कभी विरह की आग मे जलते हुए जज्बात....फिर प्रेमी का प्रेमिका को मुहब्बत का अनलिखा पैगाम देना......प्रेमिका का उस के अलौकिक प्रेम मे बेतहाशा डूब जाना....साथ जीने और साथ मरने को हर पल तैयार रहना...............और भी कितने रूप इस प्रेम के......''''''मेरी सरगोशियां'''''''' मे आप पढ़ सके गे....भावनाओं का ऐसा ताल-मेल आप सरगोशियां मे ढूंढ पाए गे....शुभ प्रभात दोस्तों.....शुभकामनाएं...................
मुकम्मल जो हुए- ज़िंदगी से आबाद हुए...कोई कहे दीवाना हम को- कोई  सिरे से कभी नकार दे..

झनझन घुंघरू की आवाज़ पे खुद ही फ़िदा हुए...कभी इसी घुंघरू की ताल पे खुद से जुदा भी हुए..

आवाज़ दे रहे है किसी परवाने को..इस घुंघरू के साथ हम को ले जाए अपनी दुनिया के छोर पे...

कंगना पहनाए हम को बेहद प्यार से..आगोश मे ले किसी खास रिश्ते की भोर मे..मुकम्मल हो

बार-बार उसी की आगोश मे,फिर कोई दीवाना कहे या सिरे से नकार दे...
क्या कहे मदहोशियाँ शबाब पे है...बिन पिए नशे मे चूर किसी अनोखे खवाब मे है..बेवजह मुस्कुरा दे,

बेवजह गुनगुना दे..पाँव ज़मीं पे नहीं जैसे आसमाँ मे है..उड़ रहे है बिन पंखो के,क्यों बताए किस ख्याल

मे है..खत लिखते है किसी बेनाम को,लिख-लिख के मिटाते है हर लफ्ज़ को हर उस बेनाम को...खुद पे

इतराते है किसी शोखी से चूर,आईना पूछे सवाल यह बार-बार..शबाब तेरा तुझी को मदहोश कर जाए

गा..गुनगुना मत इतना कि यह आईना भी चूर-चूर हो जाए गा...
बेहद प्यार से इक नाज़ुक़ से फूल को सीने से लगाया हम ने...बगीचे मे सब से अलग,सब से जुदा उस

को पाया हम ने...डरते रहे उस को छूने से सिर्फ इस ख्याल से,मासूम है जो इतना-कही बिखरे ना सिर्फ

मेरे एहसास भर से...हर पंखुड़ी जैसे कुदरत ने तराशी हो,ऐसे लगा तलाश सारे बगीचे मे उस को भी 

हमी की हो...ज़मीर ने दी आवाज़ किसी कोने से,चुन लिया है तो संभाल कर रख इसे इबादत के लिए...

किस्मत ऐसी सब को नहीं मिलती..जो जुदा हो सब से,ऐसी तासीर कभी नहीं मिलती...

Sunday 22 September 2019

हवाएं कह रही है आज तुझे कोई सन्देश नहीं भेज पाए गे...बर्फ की गहरी चादर मे बसे है इस कदर कि

चह कर भी बर्फ से निकल नहीं पाए गे...फिक्रमंद ना होना हमारे लिए,बर्फ की ढंडक को भी ख़ामोशी

से सह जाए गे...तेज़ हवा से गर डरना होता तो कब के जमीं पर बिखरे होते..अब तो इन हवाओं से

गिला भी नहीं करते..बेशक कहे तो कहती रहे कि आज तुझे सन्देश ना भेज पाए गे..
वक़्त वक़्त की बात है,बहारे कभी साथ तेरे मेरे थी...आज दूरियों की मोहताज़ है..यह वक़्त क्या अजीब

शै है,कब किस का हुआ है...रुला कर कितना बार अंधेरो मे ले जाता है और दे के बेतहतशा ख़ुशी दिल

को झूमने पे मजबूर कर देता है...वादे पे वादे ना कर बस उतना ही कह,जितना मुनासिब तेरे लिए है..

सरल सा यह मन कहां समझ पाए गा..जो बेखबर है ज़माने से,सिर्फ तेरी कही हर बात ही समझ पाए गा 

Saturday 21 September 2019

नज़र से नज़र दूर है भले,मगर वो नज़र तो दिल के पास है...गुफ्तगू का सिलसिला कितनी दूर हो,

मगर बात दिल से दिल की तो बरक़रार है...अंदाज़ सूफ़ियाना तो आज अब है,मिलने पे अंदाज़ फिर

वही आशिक-याना ही होगा...महके गा बदन फिर उसी महक से,जलवा मुहब्बत का कभी कम ना होगा..

यादो का सिलसिला कहां खतम होता है,बशर्ते ज़िंदगी दगा ना दे .....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...