Wednesday 25 September 2019

धरा पे रहे,धरा पे ही बसे..धरा पे पाँव रख कर ही जिए...किसी भी ख़्वाइश से परे खुद के वज़ूद तले

ही जिए..दुनियाँ क्या क्या कहती रही,फिर भी बेखौफ जिए..बहुत ही मामूली इंसान है हम,यह जान

कर भी आगे बढ़ने को तैयार रहे ..कभी माँ की दुआओ ने जान डाली हम मे तो कभी परवरदिगार

के रहम-तले जीते रहे ..गुजारिश है आप से,ना बिठाइए हम को आसमाँ के आँचल की गोद मे...

कभी जो गिरे इसी धरा पे तो संभल भी ना पाए गे,कहते है पूरे यकीन से...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...