Saturday 28 September 2019

क्यों उदास है पता नहीं..क्यों रो रहे है पता नहीं..सब कुछ पास है फिर क्यों जी उदास है,पता नहीं..

लग रहा है जैसे,कोई ख़ुशी करीब से गुजरी और छू कर हमारे दामन को धीमे से निकल गई..बहुत

चाहा रोक ले उस को उम्र भर के लिए,मगर रेत की तरह हाथ से मेरे फिसल गई...कुछ एहसास जो

खुल गए कुछ दब गए,देखना चाहा था जी भर के मगर खवाब अधूरे ही रह गए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...