क्यों उदास है पता नहीं..क्यों रो रहे है पता नहीं..सब कुछ पास है फिर क्यों जी उदास है,पता नहीं..
लग रहा है जैसे,कोई ख़ुशी करीब से गुजरी और छू कर हमारे दामन को धीमे से निकल गई..बहुत
चाहा रोक ले उस को उम्र भर के लिए,मगर रेत की तरह हाथ से मेरे फिसल गई...कुछ एहसास जो
खुल गए कुछ दब गए,देखना चाहा था जी भर के मगर खवाब अधूरे ही रह गए...
लग रहा है जैसे,कोई ख़ुशी करीब से गुजरी और छू कर हमारे दामन को धीमे से निकल गई..बहुत
चाहा रोक ले उस को उम्र भर के लिए,मगर रेत की तरह हाथ से मेरे फिसल गई...कुछ एहसास जो
खुल गए कुछ दब गए,देखना चाहा था जी भर के मगर खवाब अधूरे ही रह गए...