हम अपनी मुहब्बत की इबादत शिद्दत से करते रहे और वो किसी और के हो गए...हिफाज़त जितनी
की अपनी मुहब्बत की,दूरियां वो उतनी ही हम से बनाते रहे...बहुत सोचा क्या कमियां रही हमारी
और कहां कहां हम गलत साबित हुए..कुछ भी समझ ना आया और वो हम से जुदा हो गए..दर्द चुभा
रूह मे और हम ज़िंदगी से बेखबर बेज़ार हो गए..यादों को सहेज कर कब तक जी पाए गे,आखिर कभी
ना कभी तो ज़िंदगी से इन साँसों से आज़ाद हो जाए गे...
की अपनी मुहब्बत की,दूरियां वो उतनी ही हम से बनाते रहे...बहुत सोचा क्या कमियां रही हमारी
और कहां कहां हम गलत साबित हुए..कुछ भी समझ ना आया और वो हम से जुदा हो गए..दर्द चुभा
रूह मे और हम ज़िंदगी से बेखबर बेज़ार हो गए..यादों को सहेज कर कब तक जी पाए गे,आखिर कभी
ना कभी तो ज़िंदगी से इन साँसों से आज़ाद हो जाए गे...