मुबारक किया दिन आज का और भगवान् को शुक्रिया अदा किया...यह कौन सा मोड़ आया,सोच कर
दिल भर गया...ख़ामोशी से चरण-स्पर्श किया और मन ही मन कुछ वादा किया...निष्ठा भी है और
भाव भी..भगवान् से कहे कितना शुक्रिया,हम तो इस काबिल ना थे..झोली भरी मांगे बिना,यह तेरा
कैसा करम हम पे है...कैसे चुका पाए गे हम ऋण तेरा,यह सोच कर फिर भगवान् को शुक्रिया कहा...
दिल भर गया...ख़ामोशी से चरण-स्पर्श किया और मन ही मन कुछ वादा किया...निष्ठा भी है और
भाव भी..भगवान् से कहे कितना शुक्रिया,हम तो इस काबिल ना थे..झोली भरी मांगे बिना,यह तेरा
कैसा करम हम पे है...कैसे चुका पाए गे हम ऋण तेरा,यह सोच कर फिर भगवान् को शुक्रिया कहा...