Monday 23 September 2019

क्या कहे मदहोशियाँ शबाब पे है...बिन पिए नशे मे चूर किसी अनोखे खवाब मे है..बेवजह मुस्कुरा दे,

बेवजह गुनगुना दे..पाँव ज़मीं पे नहीं जैसे आसमाँ मे है..उड़ रहे है बिन पंखो के,क्यों बताए किस ख्याल

मे है..खत लिखते है किसी बेनाम को,लिख-लिख के मिटाते है हर लफ्ज़ को हर उस बेनाम को...खुद पे

इतराते है किसी शोखी से चूर,आईना पूछे सवाल यह बार-बार..शबाब तेरा तुझी को मदहोश कर जाए

गा..गुनगुना मत इतना कि यह आईना भी चूर-चूर हो जाए गा...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...