Saturday, 28 September 2019

लोग पूछते है हम से ...प्यार ही प्यार..इतना क्यों लिखते है इस प्यार पे...प्यार सब कुछ तो नहीं

ज़िंदगी के लिए..जवाब मे कहे गे..ज़िंदगी क्या पता कब तक देती है हम को जीने की मोहलत..

प्यार के लफ्ज़ो को सारे जहां मे इतना बिखेर जाए गे,हम रहे या ना रहे..आने वाली हर नस्ल इस

 पावन प्यार को समझे और समझ कर इस को अमर कर दे...हम तो हर सांस के साथ कहे गे यही

'''प्यार सिर्फ प्यार है,यही ज़िंदगी है..यही कुदरत का द्वार है'''....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...