Monday 23 September 2019

मुकम्मल जो हुए- ज़िंदगी से आबाद हुए...कोई कहे दीवाना हम को- कोई  सिरे से कभी नकार दे..

झनझन घुंघरू की आवाज़ पे खुद ही फ़िदा हुए...कभी इसी घुंघरू की ताल पे खुद से जुदा भी हुए..

आवाज़ दे रहे है किसी परवाने को..इस घुंघरू के साथ हम को ले जाए अपनी दुनिया के छोर पे...

कंगना पहनाए हम को बेहद प्यार से..आगोश मे ले किसी खास रिश्ते की भोर मे..मुकम्मल हो

बार-बार उसी की आगोश मे,फिर कोई दीवाना कहे या सिरे से नकार दे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...