क्यों तेरी आज कोई खबर ही नहीं..क्यों इतना सन्नाटा छाया है..क्या जाने किस मुश्किल ने तुझ को
आज घेरा है...क्या बादलों ने फिर उत्पात मचाया है या फिर कोई तेरी राहो मे उलझन पैदा करने आया
है...फिक्रमंद है पर कोई खौफ नहीं..अपनी मुहब्बत पे है इतना यकीं जितना तेरी उल्फत पे रहता है
यकी...नज़र तो नज़र के पास सदा रहती है..कमी किसी बात की नहीं पर एक उम्मीद है जो हर पल
साथ साथ चलती है..
आज घेरा है...क्या बादलों ने फिर उत्पात मचाया है या फिर कोई तेरी राहो मे उलझन पैदा करने आया
है...फिक्रमंद है पर कोई खौफ नहीं..अपनी मुहब्बत पे है इतना यकीं जितना तेरी उल्फत पे रहता है
यकी...नज़र तो नज़र के पास सदा रहती है..कमी किसी बात की नहीं पर एक उम्मीद है जो हर पल
साथ साथ चलती है..