वक़्त चलता है अपनी चाल से..रोके ना रुका है किसी हाल मे..चेहरे बदल जाते है,जिस्म ढल जाते है..
पर यह मुहब्बत फिर भी जवां रहती है...अक्सर टूट के चाहने वाले उम्र से कब डरते है..जहा मुहब्बत
जिस्म से नहीं रूह से चलती है,वही पे यह मुहब्बत दूर तक चलती है...यू ही नहीं कहते,मुहब्बत का
उम्र और जिस्म से क्या लेना-देना है..तभी तो बार-बार हर बार रूहे ही रूहों से मिल जाती है..सदियों
जो जवां रहती है,सदियों तक साथ निभाती है...साथी बेशक दूर बहुत दूर सही,रूहे पहचान जाती है..
पर यह मुहब्बत फिर भी जवां रहती है...अक्सर टूट के चाहने वाले उम्र से कब डरते है..जहा मुहब्बत
जिस्म से नहीं रूह से चलती है,वही पे यह मुहब्बत दूर तक चलती है...यू ही नहीं कहते,मुहब्बत का
उम्र और जिस्म से क्या लेना-देना है..तभी तो बार-बार हर बार रूहे ही रूहों से मिल जाती है..सदियों
जो जवां रहती है,सदियों तक साथ निभाती है...साथी बेशक दूर बहुत दूर सही,रूहे पहचान जाती है..