वक़्त वक़्त की बात है,बहारे कभी साथ तेरे मेरे थी...आज दूरियों की मोहताज़ है..यह वक़्त क्या अजीब
शै है,कब किस का हुआ है...रुला कर कितना बार अंधेरो मे ले जाता है और दे के बेतहतशा ख़ुशी दिल
को झूमने पे मजबूर कर देता है...वादे पे वादे ना कर बस उतना ही कह,जितना मुनासिब तेरे लिए है..
सरल सा यह मन कहां समझ पाए गा..जो बेखबर है ज़माने से,सिर्फ तेरी कही हर बात ही समझ पाए गा
शै है,कब किस का हुआ है...रुला कर कितना बार अंधेरो मे ले जाता है और दे के बेतहतशा ख़ुशी दिल
को झूमने पे मजबूर कर देता है...वादे पे वादे ना कर बस उतना ही कह,जितना मुनासिब तेरे लिए है..
सरल सा यह मन कहां समझ पाए गा..जो बेखबर है ज़माने से,सिर्फ तेरी कही हर बात ही समझ पाए गा