चलना फिर रूकना,रूक कर फिर चल देना..बरसो से यही तो करते आए है...किसी के
लिए जीना, किसी के लिए मरते रहना..सदियो से करते आए है..चुपके चुपके रोना,पर
जमाने के लिए बिॅदास जीना..यह तमाशा तो हमेशा से करते आए है..पयार किसी से
कभी ना ले पाए,फिऱ भी सब के चहेते होने का नाटक..सदियो से करते आए है.जिनदगी
से पयार कभी था ही नही,फिर भी जिनदगी को जीते आए है.....
लिए जीना, किसी के लिए मरते रहना..सदियो से करते आए है..चुपके चुपके रोना,पर
जमाने के लिए बिॅदास जीना..यह तमाशा तो हमेशा से करते आए है..पयार किसी से
कभी ना ले पाए,फिऱ भी सब के चहेते होने का नाटक..सदियो से करते आए है.जिनदगी
से पयार कभी था ही नही,फिर भी जिनदगी को जीते आए है.....