Friday 3 October 2014

तबियत नासाज थी,वो दूर थे मुझ सेे...खवाबो मे देख रहे थे उन को,पर रूबरू नही थे वो

मुहबबत मे यह दूरी सह नही पाए हम,पुकारा जो शिददत् से उनहेे करीब बुला लिया

उनहे..कौन कहता है पयार मे दूरियाॅ होती है,गर होती तो यह शिददत काम नही आती..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...