Thursday 2 October 2014

शायरी ...कहानियाॅ लिखना मेरे जीवन का एक उददेेशय.....चाहती हू मेरी यह हाॅबी,

मेरी जीविका का एक माधयम भी बन जाए....कया कोई सॅसथा या कोई इनसान है,

तो मुझे मेल से,या मेरे बलाॅग पर,या फेसबुक पर सूचित करे...अपनी पूरी जानकारी के

साथ.....धनयावाद....ममता वधावन

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...