Wednesday 15 October 2014

यूू तो यह जिनदगी कभी भी भायी नही हमे..जिस जिस को चाहा,मन से पयार किया,

वो ही दगा दे गया हमे...बेइनतहाॅ पयार करने की कीमत कया होती है,इस जहान मे

ना जान सका कोई..बहुत तडपे,बहुत रोेए...खुद को तबाह करते रहे...जब खुद को खुद

के जमीर से मिलवाया,तो यह सोच कर हॅस पडे कि जिस से पयार सब से जयादा करना

था,उस को कयू भूल गए.बस अब खुद से पयार करते है बेइनतहाॅॅ..बेइनतहाॅ..बेइनतहाॅ.

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...