मौसम क्यों बरस रहा है आज...क्या तेरे गेसुओं ने इन्हे खुलने की खबर भेजी है----बादल रह रह कर
दे रहे है आवाज़े, बांध ले इस ज़ुल्फो को अब कि कहर की सीमा अब हद से गुज़री है---यूं तो निहारती
है यह दुनिया तुझे तेरे हुसन के चर्चो से,अब सारे जहाँ को यूं भिगो के क्यों मार देने पे उतरी है---धरती
पे भर रहा है सैलाब इतना.. जानम अब तो मान ले कहना कि इसी धरती ने तुझे इस जहाँ मे उतारा है
दे रहे है आवाज़े, बांध ले इस ज़ुल्फो को अब कि कहर की सीमा अब हद से गुज़री है---यूं तो निहारती
है यह दुनिया तुझे तेरे हुसन के चर्चो से,अब सारे जहाँ को यूं भिगो के क्यों मार देने पे उतरी है---धरती
पे भर रहा है सैलाब इतना.. जानम अब तो मान ले कहना कि इसी धरती ने तुझे इस जहाँ मे उतारा है