Saturday 3 June 2017

वो तेरी सलीके से बोलने की अदा,हम तो तेरे कायल हो गए---अदब से हर गुफ्तगू पे दिल जीत लेने की

वो वफ़ा,यक़ीनन तेरे सज़दे मे हम तो झुक गए---तेरे कदमो की आहट मे किसी फ़रिश्ते के आने का

अहसास होने लगता है----तू जो रुक जाये तो लगे ऐसा हवा ने खुद को जैसे रोका है---तेरे चेहरे के नूर

से अक्सर चाँद के दिखने की खबर लगती है--तू शायद इस दुनिया की नहीं,कि यह दुनिया तो अपमान

के लफ्ज़ो से बनीं एक मुसीबत लगती है----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...