Saturday 28 May 2016

वो कहते है नजऱ तो मिला लो हम से..गरूर मे डूबे हो इतना कभी हमारी खबर भी ले लो

मुहबबत इमतिहान लेती है..और यह हुसने-अदा कभी कभी जान भी ले लेती है..जिद है

तेरे पयार मे फना हो जाए गे..मरते मर जाए गे पर किसी और के ना हो पाए गे..आमदा

है बस तेरे बनने के लिए..अब तो हमनशीॅ मेरे नजऱ मिला लो हम से..

Friday 27 May 2016

तुम बदले तो बदली दुनिया..मेरी नजऱ मे बदले यह चाॅद सितारे..लुटा कर पयार तुझ पे

बिखर गए कयू जजबात मेरे...अशक है कि अब बहते ही नही..पतथर की मूरत बने बस

खामोश है बरसो के लिए...ना है शिकवा ना शिकायत करे गे कभी..जिसम मे बसी रूह

के अरमाॅ ही कुचल गए...

Thursday 26 May 2016

कभी बहक जाऊ तो सॅभाल लेना मुझ को--गहरी साॅसे जो लेने लगू तो समझ जाना

मुझ को--मेेरे हुसन की तपिश मे कही खुद ना जल जाना--गेेसूओ की घनी छाॅॅव मे जरा

खुद को बचा लेना--आगाह कर रहे है..मुहबबते-दसतूर से..बरबाद ना हो जाओ बता रहे

है उसूल से--दरिया है सुलगते जजबात का..दिल कहा ना माने फिर भी सॅभाल लेना

यकीकन खुद को----

Wednesday 25 May 2016

रॅजिशे मिटा दे अब दिलो की..कि पास मेरे आजा--बारिश की बूॅदो मे छिपे हैै एहसास

कई..जरा नजदीक तो आजा--थम जाए गा यह तूफान भले लेकिन..अॅदर के तूफान को

समेटने जलदी आजा--मेरी शोखी मे छिपी है मेरी मासूम हॅसी ..इस उजली सी धूप मे

बहकने केे लिए ही आजा--परदे मे छुपाया है नूरानी चेहरा..झलक इस की पाने के लिए

तू लौट के फिर आजा...फिर आजा---
रात की चादर मे लिपटा,वो रौशन सा सवेरा--बादलो की झुरमुट मेे सिमटता,चाॅद वोही

पयारा पयारा--बिखरी है हवाओ मे मदहोशी की ऱजा..है घनेरी जुलफो की महकती वो

खता--पास आने का कोई बहाना तो बना..खवाबो की चाहतो का कोई ऐसा निशाना तो

बना--टूटे तेरी बाहो मेे..निखरी सुबह को अॅदाजे-मुहबबत तो बना--- 
ऱाज है दिल मे इतने गहरे..कि मौत के साथ दफन हो जाए गे--कुछ ऱाज रहे है ऐसे जो

कागज के पननो पे हमारी अमानत बन कर रह जाए गे--चलती साॅसो के साथ जो जुबाॅ

पे ना आया..वो लफजो की कारागरी मे यकीकन जमाने को बता जाए गा--गुनाहो की

नगरी मे गुनाह करने वालो..अब सब दुनिया मे हकीकत मे सामने आ जाए गा----
गुजरती रही यह जिॅदगी,और हम तनहाॅ होते रहे--तेरी हर याद को साथ लिए,हम हर

सॅजीदगी राहो से गुजरते रहे--हर नजऱ के धोखे को,सिरे से नकारते रहे---यह तनहाई

तो बस हमारी है,गैरो को खुद से हजारो कदम दूर रखतेे रहे--सूूरत की मासूमियत पे

हमे कमजोर समझ,दुनिया के नापाक इरादो को हम दूर झटकते रहे----

Friday 20 May 2016

मौसम की तरह बदल तो नही जाओ गे--जवानी की पनाहो मे जो ना रहे,कही दूर तो

नही हो जाओ गे--बिखरते काले गेसूओ मे जो भरा रॅग चाॅदी का,कही पास हो कर भी दूर

तो ना हो जाओ गे--कभी तेरी खिदमत के काबिल ना रहे,तो अपनी इस दुलहन को सजा

तो ना दो गे--मासूम हो,दिलरूबा मेरी,जननत से उतरी शाहे-परी हो मेरी--कहना है बस

 इतना तुम से..आसमाॅ कायम है जब तक,तेरे साथ रहू गा......तब तक------
उन रॅगीन सपनो की डोर आज भी तेरे साथ जुडी है--तू पलट कर आ या ना आ...पर

खामोश मुहबबत की वो कसक दरदे-दिल मे आज भी बसी है--आॅसूओ को पलको मे

दबा कर रखते है..डरते है यादो को तेरी मेरे दामन से बहा कर ना ले जाए--मिलते है

हजारो हमसफर साथ चलने के लिए..पर हम है कि अब भी तुझी से जुडे है-- 
खामोशिया तेरी जान ले ले गी मेरी--कुछ तो बोल कि यह उदासिया बेजाऱ कर दे गी

मुझे--यू तो यह दुनिया कभी कभी बहुत खामोश लगती है,इतने शोर-शराबे मे बेवजह

परेशाॅ सी लगती है--तेरा यू उलझे उलझे रहना,यकीकन मेेरी जान पे बन आया है--अब

उदासी छोड यू मुसकुरा देना,आगाज है किस बात का--कुछ तो बोल,कुछ तो बोल-------
तेरे साथ छोड देने से खफा नही तुझ से--तेरी लापरवाहियो के लिए परेशाॅ भी नही तुझ

से--अकेले चलना रहा फितरत मेरी,सहारो के लिए उममीद का दामन नही थामा मैने--

जब खुदा रहा हर पल साथ मेरे,फिर दुनिया वालो की औकात पे रोते कैसे--दुआ है आज

भी तेरे लिए कि जिन राहो पे कदम पडे तेरे,बस खुदा मेहरबाॅ रहे तुझ पे---

Thursday 19 May 2016

ननहा सा दिल यह मेरा..रखना सॅभाल के--बेताबी भरी हैै कितनी..ना खोना कभी इसेे

खुमार मे--धडकने हैै शामिल इस की हर पुकार मे..सुनाए गी ऱाजे-वफा कभी तडपो गे

जब रात मेे--कोई आए गा ना अब मेरी जिॅॅदगी के इस बाजाऱ मे--रह गया है अब यह

बेजान जिसम दौलतो के अॅबार मे--कल कहा ले जाए गी किसमत मेरी,बस सॅभाल कर

रखना ननहा सा यह दिल मेरा--
एक वो पयारी सी हॅसी..दिल को बहकाने वाली मुसकुराहट  वो तेरी..निगाहो मे निगाहे

डाल कर सीना चीर देने की अदा..पायल को खनका के नीॅद उडाने की तेरी वो खता..फिर

कभी ना मिलने का वादा कर के,मेरेे खवाबो मे आने की तेरी यह ऱजा..कया भूले और

कया याद करे..बस दिले-जिगऱ को बरबाद कर गई तेरी मासूम सी वजह.....
भरी आॅखो से वो बोलेेे..भूल जाओ मुझे तो बेहतर होगा--ना साथ जीने दे गी यह दुनिया

दूर हो जाए तो बेहतर होगा--जो दिए लमहे मुहबबत के तुम ने..रहे गे बन के तोहफा मेरे

जीवन का--हम मुसकुरा दिए आॅखो मे..भूलना तो फितरत नही मेरी..तुमहेे छोडे यह

होगी खता मेरी--रूह को मेरी मुकममल किया है तुम ने..अब रूह मे बस जाओ यही

बेहतर होगा--

Wednesday 18 May 2016

अॅदाज तेरा छू लेने का..जैसे कही दिल मे एहसास जगा गया--भर कर निगाह मुझे यू

देखना..जिसम मेे हलचल मचा गया--आलम है यह,रखते है पाॅव धरती पे..उडते है दूर

आसमाॅ मे--खुद ही को निहारते है बार बार आईने मे--बदला घिरेे या बरसे गगन,होती

रहे शामो सहर--खवाबो मे आना तेरा,दुलहन मुझे जैसे बना गया--

Tuesday 17 May 2016

दरद जो आॅखो से बहा,उतरा सीधा दिल मे तेरे--जखम जो मिला जमाने से,हुआ गहरा

सीने मे तेरे--जुडे हैै तार जब रूहो के..मिले है दरद जब दोनो के..खाक की है जिॅदगीया

जब जमाने ने--फिर रजिॅशो का यह मातम कैसा..कशमकश का यह सिलसिला कैसा--

आ भिगो दे यह गम सारे मुहबबत मे..कि यह रूहे पयार ही तो हैै जो सिमटा है सीधा

ठीक दिल मे तेरे--

Monday 16 May 2016

वो मेरी नजऱ का कोई धोखा था या किसमत की कोई रजिॅश..बेवफाई के नाम पर तेरा

हर बार वफा जताना मुझ से..पयार का कोई पैमाना नही होता..पर बेवफाई के लिए कोई

नाम मुहबबत मे कुरबान भी नही होता..कहने के लिए अब और कुछ भी नही बाकी..कि

दुनिया मे मुहबबत के नाम को डुबो दिया तुम ने....
मुददत बाद मिली है फुरसत,तुमहे यह बताने के लिए...वफाए-उलफत की राहो मे बॅधे

थे तुमहे सताने के लिए..दिल को यह शिकायत थी कि तुम किसी और के हो..नजऱो को

इनायत थी कि तुम गैरो के ना हो..कशमकश मे रहे बरसो यू ही बिखरे बिखरे..आज

जब लगे हो बिछुडने हम से तो यह ऱाज खोल रहे है तुमहे सब बताने के लिए...
बहुत तनहाॅ है आप के बिना..जिॅदा रह कर भी जिॅदा नही है आप के बिना..हर तडपती

शाम देती है एहसास जुदाई का..शिकवा करे तो कया करे..मुहबबत खामोश थी,फैसला

था आप का..सुन कर भी सुन नही पाए धडकनो की वो आधिॅया..हम ने जलाए रातो को

मुहबबत केे हजारो दिए..पी रहे है खून के आॅसू आज भी..आप केे बिना..आप के बिना..
छूटे जो हाथ फिर मिल नही पाए..तकदीरो के फैसले जुड कर भी जुड नही पाए..उस की

ऱजा मे खुद की ऱजा को इक लकीर माना मैने..जिस राह को मुकममल माना उस ने,

उसी मे मॅजिल को ढूॅढा मैने..वफाए दी तुम ने बेवफाई मैने भी नही की तुम से..दौलत

को खुदा भी नही  माना मैने,फिर भी तेरी राहो से कयू जुड नही पाए...

Saturday 14 May 2016

दोसतो--यह जिॅदगी हर दिन हर पल..नया अनुभव देती है..जो हमे अॅदर से बदलते है..जीवन के लिए हमारा नजरिया बदलते हैै..अरसे बाद हमे लगता है कि शायद अपने लिए तो कभी सोचा ही नही..बहुत कुछ ऐसा जो पीछे ही छूट गया..रह गया..दोसतो..
अभी भी समय है..जिॅदगी चल रही है..साॅसे चल रही है...वो सब कीजिए जो आप का सपना था..जीवन का एक बडा हिससा खुद को दीजिए..अपनी रूचिओ से जुडिए..खुद से पयार कीजिए..खुद मे इतने उलझे कि कुछ फालतू बातो का समय ही ना मिले..हा भगवान् को हर पल शुकरीया कीजिए..आप की हर मुशकिल घडी मे वो आप के साथ थे.हमेशा ही रहे गे..बस विशवास बनाए रखिए..किसी का बुरा करना तो दूर..बुरा सोचिए भी मत..देखिए फिर जिॅदगी का सकून आप के साथ है..आज की सुबह आप की जिॅदगी मे सकून और खुशिया लाए..इसी मॅगलकामना के साथ...खुश रहे..खुशिया बाॅटे
छुए गे तुझे यकीकन जल जाए गे--बाहो मे जो भर लो गे तो कसम से,बिलकुल पिघल

जाए गे--तेरी चाहत का नशा है गहरा इतना कि सॅभलना चाहे तो भी ना सॅभला जाए गा

चाॅद से कहते है कयू आते हो रातो मे,मेहबूब को देखने के लिए तेरी रौशनी का नशा

कम लगता है--बिछाते है जुलफे गहरी कि अपने सनम को छुुपाने के लिए यह अॅधेरा भी

कम लगता है--
यकीॅ नही आता कि तेरी बाहो मे है--नजारो मे है कितनी शोखी कि हम तो बस तेरी ही

पनाहो मे है--लग रही है जिनदगी कयू इतनी खूबसूरत कि पूरी कायनात तो जैसे तेरी

निगाहो मे है--किस से कहे कैसे कहे..ऐ मेरे खुदा पास है हमसफर हमनशीॅ मेरा...अब

तो दोनो जहाॅ मेरे हाथो मे है---

Friday 13 May 2016

निगाहो के जादू से बच कर कहा जाओ गे--पहनाई है पैरो मे बेडिया अब बच कर कहा

जाओ गे--रिशता जो दिया है बाहो का,इन नगमो की गूॅज से कितनी दूर निकल पाओ गे

रौशनी मिलती नही हर किसी को,इशक के इस रूप मे--हम मिले तुम से कभी,चाॅदनी के

सरूर मे--हवाले खुद को कर दिया तेरे..अब बताओ तुम कहा जाओ गे---
मजबूर तो वो हो जाते है..जो गमे-हालात से डर जाते है---कहने के लिए जब जुबाॅ ना

खुले तो अशको का सहारा लेते है---किशती जो भॅवर मे डूबी है,किनारे अब ढूॅढे गे कहा...

रूखसती को अपना लेते है---यह जिनदगी तो बहारे-जशना है...टूटो गे तो बस तोडे गी..

दम भरने को जो लो गे साॅसे..तेरे आॅगन से यह गम डर कर भागे गे---
आ करीब मेरे...तुझ पे लुटा दे आज वो पयार,जिस के लिए इनतजाऱ किया...कभी मैने

कभी तूने हर सुबह हर शाम...राहे तकलीफ भरी रही बेशक,पर वफा की लौ जलाई रखी

हम ने हर तनहाॅॅ शाम...दुनिया देती रही ताने,साॅसे लेने के लिए भी होते रहे परेशान...हा

मुकरे नही कभी उन वादो से,जो तुम ने किए मैने किए...इस मुहबबत के नाम....
टूट जाने के लिए नहीं बनी है यह ज़िन्दगी..क्यों उदास है पगले की तेरे हर कदम पे तेरे साथ चल रही है

यह ज़िन्दगी..तेरी मेहरबानियों की कदरदान मेरी साँसे आज भी है..तेरे दर्द की दास्ताँ सुनने के लिए यह

मुहब्बत कायम आज भी है..जहां लगे तुझे सब ख़त्म हो गया अब,वही से शुरू हो जाये गी...मेरी यह

मुहब्बते ज़िन्दगी की यह जंग...
हसरतो का जनाजा निकालने से पहले,हम को तो पुकारा होता--बिखरे बिखरे अॅदाज मे

रूखसती से पहले,इक बार तो बुलाया होता--नजऱ-अॅदाज ना करते तेरी मुहबबत को,हर

मोड पे थाम लेते तुझ को--जिॅदगी को सलाम करने से पहलेे,जिसमो-जाॅ को कुरबान

करने से पहले....इक बार हमे आजमाया तो होता--

Thursday 12 May 2016

आ नजऱ उतार दे तेरी,कि यह दुनिया बहुत बुरी है--लगा दे तुझे टीका काला,कि राहो मे

अॅधेरे बहुत गहरे है--चुरा ना ले तेरे चेहरे की रौनक,बेरौनक मुसीबते बहुत भारी है--तेरी

मासूमियत ने हिला रखा है जमाने को,कया कहे तुझ से कि तेरी हर अदा इस जमाने को

कहा लुभाती है--आ लग जा गले मेरे,कि तेरे सदके मै तुझ पे वारी वारी हू--
दरद से हलकान हो रही साॅसे यह मेरी..दम तोड दे गी कब  बिखरती हुई साॅसे मेरी--

इॅतजाऱ है आज भी उन तमाम लमहो का,जिस ने यह सजाई फूलो की तरह साॅसे मेरी--

कौन आया कौन चला गया,सब से बेखबर चल रही थी तब भी साॅसे यह मेरी--चुपके से

आजा फिर दुबारा जिॅदगी मे मेरी,महकने के लिए आज भी बची है चॅद साॅसे मेरी--
जनून तेरी मुहबबत का,कहा ले जाए गा पता नही--बहकना हर बार तेरे ही साथ,कब

कहा ले जाए गा पता ही नही--ऱाज कितने ही चुराए है तेरी जिॅदगी के मैने,गर खोले गे

इसे..तू कहा जाए गा पता नही--मेरी ही हॅसी मे छिपे है अफसाने हजारो,बताए गे तो

कया होगा...यह भी तो पता ही नही--

Wednesday 11 May 2016

सिलसिला जो तेरी बातो का खतम होता,तो मुकामे-मॅजिल को छू लेते--करते ना तुझ

से कोई शिकवा,बस बहारो मे खो जाते--माशाअललाह तेरे यह नखऱे ना सहे होते,तो

यकीकन जनूने-जिॅदगी को पा लेते--बेखबर रहते जो तेरी रूसवाईयो से,कभी हद से भी

जयादा हवा मे ना उडते--अब तो यह आलम है कि तू नही तो मै नही,तेरे बगैर अब यह

साॅसे भी नही ले पाते--
खामोश रहे तो वो जीने नही देते..कुछ बात करे तो कहने ही नही देते..अजीब कशमकश

मे है,तुझे भूले या तुझे सीने से लगा ले..तुझ से नजऱे चुराए या फिर नजरो मे ही बसा ले

तुझे कहे बेेवफा या तेेरी वफाओ को जिॅदगी ही बना ले..तेरी हर मासूम अदा मे देखा है

मैने नटखट सा बचपन,शरारतो से भरे तेरे जजबात मुझे कही जाने नही देते....
दोष दुनिया को दिया तो खुद तनहाॅ हो गए..खुद को दागे-दार किया तो परेशाॅ और हो

गए..जीने की खवाहिश मे कभी मरते रहे तो कभी मर मर के जीते रहे..लगे जब बाॅटने

खुशिया तो दुखो से यह आॅचल भरता गया..भरता ही गया...अजीब शै है यह मुकददर

भी कि कुछ करने की कोशिश मे..बरबाद होते चलेे गए...बस होते चले गए...

Tuesday 10 May 2016

जिसमो-जान कयू महक रहे है आज..तेरे आने की इक खबर से ही,बस बहक रहे है आज

पिजॅरे से आजाद कर दिया इन मासूम परिॅदो को आज..खुली वादियो मे खुद को छोड

कर,बस खुदी पे इतरा रहे है आज..कुछ घडिया और..फिर खुले गेसूओ मे तेरी ऊगलियो

की हरकत को महसूस करे गे आज...
नजऱ के आगे इक नजऱ और भी है..तेरी हर वफा को सलाम करने के लिए..दुआ के

आगे इक दुआ और भी है..मुुहबबत तो करते है हजारो इस दुनिया मे..पर मुहबबत को

आखिरी दम तक निभाने के लिए..इनायत की यह नजऱ कुछ और ही है..कदमो को

बढाया है मैने तुझ से रिशता पानेे के लिए..पर तेरे कदम बढाने की अदा कुछ और ही है

Monday 9 May 2016

तेरे कदम पडते है जहा,मेरी जिॅदगी का सफर शुुरू होता है वहा--सजदा करने के लिए

खुदा के बाद,बस तेरे ही पास आते है हम--तेरे हर सवाल का जवाब बन कर,तेरे ही दिल

मे उतर आए है हम--जीने की वजह देने के लिए,तेरे हर अॅदाज पेेे कुरबान होते जा रहे है

हम--तू जिन राहो से गुजरता है,वो ही है मेरी किसमत की लकीरो की जगह--
कुछ ऱाज है दिल मे ऐसे,जो मौत के साथ दफन हो जाए गे--ऱाज है और भी ऐसे जो

कागज के पननो पे लिख कर छोड जाए गे--बरसो से दबाए बैठे है इन सारे ऱाजो का

दरद खुद के सीने मे--बताए गे किसी को तो गददारी कर जाए गे अपनेे जमीर के हवाले

को--बेजान जिसम जब जल जाए गा,तो रूह को तमाम राजे-बॅदिशो से आजाद कर जाए

 गा--

Sunday 8 May 2016

अकसर खनक जाती हैै यह पायल,रात के अॅधेरे मे--हजारो बिजलियाॅ कौॅध जाती है..

तपते जिसम के वीराने मे--सरहद के उस पार इक घर है तेरा,जिॅदगी से परे कुछ अजीब

सा आसमाॅ है मेरा--करते है हर बार इकटठा उन झुरमुट मे छिपे सितारो को,रफता

रफता इॅतजाऱ करते है तेरा--ना जाने फिर भी कयू खनक जाती है यह पायल रातो के

अॅधेरे मे--
तेरा आना..मुझ से मिल कर फिर चले जाना..मुझ मे अपने पयार का वो एहसास भरना

कितना कहे शुकरीया तुझ को..कितनी वफाए देते रहे तुझ को...रॅग भरे है मेरी रूह मे

तेरी रूह के वजूद ने..कौन समझे गा यहा तेरे मेरे इस पयार को...यह दुनिया है वो जो

चलती साॅसो मे ठुकराती है..फिर रूहे-जशन को कौन पहचाने गा यहा...
डर डर कर जिए गे तो बेमौत ही मर जाए गे..तेरी सितम जो सहे गे,कया मुहबबत का

दम भर पाए गे..आजाद कर दे मुझे इन वीरान गलियो से..जिसम मे भर ले मुझे अपना

एहसास बना के..मत भूल कि मै हू तेरी शहजादी-वफा,नसीब हू तेरा खुशियो से भरा..

धडकन हू बनी तेरे दिल की,गर थामे गा नही... साॅसे कैसे लेे पाए गे... 

Saturday 7 May 2016

दोसतो..आप कितने अचछे है या कितने बुरे..इस का फैसला दुनिया के लोगो पे मत छोडिए.. जो लोग आप के सामने आप की जम कर तारीफ करते है,अकसर पीठ पीछे वही आप की बुराई करते हैै..चापलूसी करने वालो से सावधान रहे..जब जब आप परेशान हो,अपनी मन की बात किसी से ना कह पाए तो एक डायरी के पननो पर सब लिखते जाइए,मन का बोझ बहुत कम हो जाए गा..इन पननो को सुरक्षित रखे और कुछ अरसे बाद इनहे पढे..आप खुद ही महसूस करे गे कि उस परेशानी से आप खुद कैसे निकल आए है..याद रखे यह जिॅदगी हर पल आप का इमतिहान लेने के लिए तैयार बैठी है..खुद पे भरोसा रखे..अपना साथ ना छोडे..अपने जमीर की आवाज सुने..वो कभी गलत नही होता..किसी का बुरा मत सोचे..और हा..मौत के खौफ से जीने मत छोडे..हर सुबह इक नया सॅदेश लाती है..सुने..महसूस करे..शुभकामनाए सब के लिए...
रिशतो की बेवफाई मे टूटा है दिल का दामन बार बार..अब ना कीजिए मुहबबते-इजहाऱ

रातो के अॅधेरो मे बार बार..जनमो जनम वादा साथ देने का कर के,आखिर कर दिया दूर

वफा की राहो पे हम को मेरे सरकार..तोडा है चाहत का नशा,अब फिर उसी चाहत को

पाने के लिए ना आईए मेरे पास बार बार..
हरदिल अजीज रहे तुम..फिर कयू राहे बिखर गई--जिॅदगी तो चुपचाप चलती रही..बस

किसमत कही थम सी गई--हाथो की लकीरो मे था नाम तेरा..पर लकीरे अचानक मिट

कयू गई--दिन चले,बदली तारीखे कई..पर तलाश थी जिस शाम की...वो कयू कही

मिलती नही--जुडे दिल तो बार बार..पर धडकन कयू बॅद होती गई--
कहते है तुम से..वो मेरी जिॅदगी की खुशिया लौटा दो..वो हॅसती सी दुनिया,वो सकून की

राते लौटा दो..बरफ की वो चादर ओढे,सरद हवाए ही लौटा दो..बेजुबानी से कही सारी

गुफतगू की मुसकुराहटे तो लौटा दो..अकेलेपन की तनहाई को किसी बदिॅश मे ना बाॅधे..

इस इजाजत को सीधे ना सही,किशतो मे ही लौटा दो--
कही एहसास टूटे..कही इस दिल के हजारो टुकडे हुए--रोए बहुत रोए..दुखो के बोझ से

कभी तडपे,कभी रातो को भी ना सोए--गुनाह कया इतने बडे थे कि इबादत के बाद...

पाक साफ कुरबानियो के बाद..बरी तो फिर भी नही थे--किया खुद की खामोशी ने तार

तार..आज आलम है यह कि बन चुके है बुत इक पतथर का..जिस मे ना अब साज है ना

किसी के आने की आवाज है--

Friday 6 May 2016

रेत बन कर यह वकत,कब कहा निकल गया..तेरी मेरी जिॅदगी से--सपने रह गए अधूूरे,

मॅजिल रह गई पीछे..बहुत पीछे--चाहा था समॅदर को हथेलियो मे भरना,यह जाने बगैर

कि यह समॅदर कब कहा हुआ किस का--पलके है नम,आॅखे भीगी है तेरी यादो से जब

जब..फिर रेत पे पाॅव रख कर तपे है कब कहा और कितना-- 

Thursday 5 May 2016

दिल मेरा कोई खिलौना तो नही,जो हर दफा पैरो के नीचेे कुचलते जाओ गे--शीशे की

तरह उजला जो रहा मन,उसे कितनी बार सताओ गे--भूल तो सब से हो जाती है,गुनाहो

का बोझ समझ कब तक ठुकराओ गे--जमाने की रूसवाईयो से बार बार,इन जखमो को

आखिर कयू  कब तक कुरेदते जाओ गे--कब तक---
पननो पे लिखी,लफजो मे ढली..किताब बन कर, बनी है जिॅदगी यह मेरी--कुछ है मेरी

खुशी के लमहे,कुछ यादो की बिखरी शाम--दरद के अलफाजो ने बनाया है इसे,देने के

लिए दुनिया को कुछ पैगाम--गुजर चुका वकत जो कभी लौट कर ना आए गा..मेरी हर

खामोशी.. सादगी मे ढल कर बन जाए गी....यह मेरी तनहाॅ यादगार-- 
शाही जिॅदगी के लिए..राजसी ठाट के लिए..खुदा को सजदे नही किए हम ने---खुद के

ईमान को बेचा नही..बेशक दरद के घूूॅट पी लिए हम ने--दुुनिया के हिसाब से जो चल ना

 पाए..वीराने को ही आशियाना बना लिया हम ने--नसीब अपने पे रोए नही कभी..बस

अपने एहसासो को,दुनिया के रॅगो मे कभी भिगो नही पाए--

Wednesday 4 May 2016

अपनी बेेेगुनाही का कोई सबूत नही है पास मेरे..तबाही से भरे उस मॅजर की कोई भी

तसवीर नही है पास मेरे..धुॅधली सी परछाईयो मे खोया है खुद का वजूद मैैैने..टुकडे

किए है हजारो बार उन रॅगीन सपनो के मैने..ऱाज छुपे है गहरे, दिल मे कही अॅदर तक..

बताए तो बताए किस को,अब सब सुनने के लिए कोई नही है पास मेरे....

वो पूछते है हम से..मुहबबत कर केे हम से..हमी को तो नही भूल जाओ गे--राहे जो

दिखाई है तुम ने हमे..उन पे फिर से भटकने के लिए..अकेला तो नही छोड जाओ गे--

इन आॅखो मे जो सपने सजाए है तुम ने..उनहे पूरा किए बगैर हम को वीरान तो नही

कर जाओ गे--टपक पडे है आॅसू तेरी बातो से जानम..कहे गेे तुझेे सिरफ इतना..धडकन

हू तेरे दिल की,है जब तक दिल तेरा..रहे गे बन के धडकन तेरी--
जिॅदगी मे साथ मेरे चलने के लिए..कहते है आप को शुक्रीया--मॅजिल तो दूर दूर तक

कही ना थी..पर साथ देने के लिए शुकरीया--पुुरानी यादो को जेहन मेे समेटेे रूके थेेे वही.

आप ने ठाला जो हमे आज के उजाले मे..कहे गे साथी मेरे शुकरीया--निकाला है हमे उन

उलझनो से,जो नासूर बनी थी हमारी राहो मे..अब तो रूहे-दिल से नवाजे गे आप को...

कबूल कीजिए हमारा..शुकरीया शुकरीया--
मासूम सी सूरत वो तेरी,किसी फरिशते का एहसास दिला गई--वो निशछल सी पयारी

सी हॅसी,परियो की नगरी मे जैसे खीॅच कर ले गई--इबादत मे खुदा के आगे तेरा झुकना,

मुझे बार बार तेरा होने पे मजबूर करती गई--एक सादा सा जीवन जीने की तेरी यह

कला,मुझे मेरी जिॅदगी मे इॅसा होनेे का खिताब दिलाती गई....दिलाती गई......
रेशम के बिसतर पर सोते हुए डर लगता है..गुमनामी के अॅधेरो से अब भी कही डर

लगता है..तिनका तिनका बरबाद हुई उस जिॅॅदगी का खौफ रूह को आज भी रूला जाता

है..वो सरद हवाओ के झोके,वो बेवजह पानी का यू बरसना..आज भी राहो मे भीग जाने

का एहसास बार बार दिला जाता है...

Tuesday 3 May 2016

आ लौट चले उस दुनिया मे,जहा सवेरा ही सवेरा हो--कभी खतम ना हो बाते,तेरी मेरी...

बस महकने वाली सारी राते हो--आॅखे जो कभी नम ना हो,बस खुशी के आॅसूओ से भीगे

यह पलके....कभी मेरी कभी तेरी--रॅजिशे जमाने की ना हो,मुहबबत पे कोई पहरा ना हो.

आ लौट चले उस दुनिया मे..जहा बसेरा बस तेरा हो और मेरा हो--
गुरबत की लकीरो मे जो फॅसा देखा उस को,मन टूट गया मेरा--बेवजह यू ही उसे फिर

मुसकुराते देखा,दिल ही भर आया मेरा--चॅद सिकको के लिए बेबसी को हॅसी मे उडा देना

 यह उसी से सीखा मैने--नजऱे तो भरी है आॅसूूू से,पर नजरे फिर भी शोखी से मिलाना...

यह करिशमा तो बस उस से ही सीखा मैने--
महफ़िल है सजी,हर साज़ से सजी..महका हुआ है जैसे हर लम्हा--घुंघरुओं की आवाज़ मे,पायल की झंकार मे..कही खो गई है मासूम सी ज़िन्दगी वह मेरी--राते गुजरती है आँसुओ के समंदर मे,दाग लगे है किस्मत की इन लकीरो मे--जिस्म की तबाही से जयदा बर्बाद हुआ है मन का हर तार--वफ़ा की उम्मीद अब कही भी नहीं,बेवफाई की इस दुनिया मे,है हर कोई खरीददार यहाँ---

Monday 2 May 2016

ना बिखरने दे गे तुझे,जब तक यह साॅसे कायम है--उदासियो को अलविदा कह दे,कि

मै हू साथ तेरे,जब तक मुसकुराहट कायम है--दुनिया उठाती है सवाल हमारे रिशते पेे,

हो जा बेखबर कि अब मै हू साथ तेरे--आवाजे देे रही है यह राहेे नई,खुशिया ही खुशिया

खडी है बाहे फैलाए--डर किस बात का है तुझे कि तेेरे हर फैसले मे बस साथ हू तेरे--हा

साथ हू तेरे---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...