दरद से हलकान हो रही साॅसे यह मेरी..दम तोड दे गी कब बिखरती हुई साॅसे मेरी--
इॅतजाऱ है आज भी उन तमाम लमहो का,जिस ने यह सजाई फूलो की तरह साॅसे मेरी--
कौन आया कौन चला गया,सब से बेखबर चल रही थी तब भी साॅसे यह मेरी--चुपके से
आजा फिर दुबारा जिॅदगी मे मेरी,महकने के लिए आज भी बची है चॅद साॅसे मेरी--
इॅतजाऱ है आज भी उन तमाम लमहो का,जिस ने यह सजाई फूलो की तरह साॅसे मेरी--
कौन आया कौन चला गया,सब से बेखबर चल रही थी तब भी साॅसे यह मेरी--चुपके से
आजा फिर दुबारा जिॅदगी मे मेरी,महकने के लिए आज भी बची है चॅद साॅसे मेरी--