छूटे जो हाथ फिर मिल नही पाए..तकदीरो के फैसले जुड कर भी जुड नही पाए..उस की
ऱजा मे खुद की ऱजा को इक लकीर माना मैने..जिस राह को मुकममल माना उस ने,
उसी मे मॅजिल को ढूॅढा मैने..वफाए दी तुम ने बेवफाई मैने भी नही की तुम से..दौलत
को खुदा भी नही माना मैने,फिर भी तेरी राहो से कयू जुड नही पाए...
ऱजा मे खुद की ऱजा को इक लकीर माना मैने..जिस राह को मुकममल माना उस ने,
उसी मे मॅजिल को ढूॅढा मैने..वफाए दी तुम ने बेवफाई मैने भी नही की तुम से..दौलत
को खुदा भी नही माना मैने,फिर भी तेरी राहो से कयू जुड नही पाए...