मौसम की तरह बदल तो नही जाओ गे--जवानी की पनाहो मे जो ना रहे,कही दूर तो
नही हो जाओ गे--बिखरते काले गेसूओ मे जो भरा रॅग चाॅदी का,कही पास हो कर भी दूर
तो ना हो जाओ गे--कभी तेरी खिदमत के काबिल ना रहे,तो अपनी इस दुलहन को सजा
तो ना दो गे--मासूम हो,दिलरूबा मेरी,जननत से उतरी शाहे-परी हो मेरी--कहना है बस
इतना तुम से..आसमाॅ कायम है जब तक,तेरे साथ रहू गा......तब तक------
नही हो जाओ गे--बिखरते काले गेसूओ मे जो भरा रॅग चाॅदी का,कही पास हो कर भी दूर
तो ना हो जाओ गे--कभी तेरी खिदमत के काबिल ना रहे,तो अपनी इस दुलहन को सजा
तो ना दो गे--मासूम हो,दिलरूबा मेरी,जननत से उतरी शाहे-परी हो मेरी--कहना है बस
इतना तुम से..आसमाॅ कायम है जब तक,तेरे साथ रहू गा......तब तक------