Friday 20 May 2016

उन रॅगीन सपनो की डोर आज भी तेरे साथ जुडी है--तू पलट कर आ या ना आ...पर

खामोश मुहबबत की वो कसक दरदे-दिल मे आज भी बसी है--आॅसूओ को पलको मे

दबा कर रखते है..डरते है यादो को तेरी मेरे दामन से बहा कर ना ले जाए--मिलते है

हजारो हमसफर साथ चलने के लिए..पर हम है कि अब भी तुझी से जुडे है-- 

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...