Thursday, 19 May 2016

ननहा सा दिल यह मेरा..रखना सॅभाल के--बेताबी भरी हैै कितनी..ना खोना कभी इसेे

खुमार मे--धडकने हैै शामिल इस की हर पुकार मे..सुनाए गी ऱाजे-वफा कभी तडपो गे

जब रात मेे--कोई आए गा ना अब मेरी जिॅॅदगी के इस बाजाऱ मे--रह गया है अब यह

बेजान जिसम दौलतो के अॅबार मे--कल कहा ले जाए गी किसमत मेरी,बस सॅभाल कर

रखना ननहा सा यह दिल मेरा--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...