आ करीब मेरे...तुझ पे लुटा दे आज वो पयार,जिस के लिए इनतजाऱ किया...कभी मैने
कभी तूने हर सुबह हर शाम...राहे तकलीफ भरी रही बेशक,पर वफा की लौ जलाई रखी
हम ने हर तनहाॅॅ शाम...दुनिया देती रही ताने,साॅसे लेने के लिए भी होते रहे परेशान...हा
मुकरे नही कभी उन वादो से,जो तुम ने किए मैने किए...इस मुहबबत के नाम....
कभी तूने हर सुबह हर शाम...राहे तकलीफ भरी रही बेशक,पर वफा की लौ जलाई रखी
हम ने हर तनहाॅॅ शाम...दुनिया देती रही ताने,साॅसे लेने के लिए भी होते रहे परेशान...हा
मुकरे नही कभी उन वादो से,जो तुम ने किए मैने किए...इस मुहबबत के नाम....