Monday 9 May 2016

कुछ ऱाज है दिल मे ऐसे,जो मौत के साथ दफन हो जाए गे--ऱाज है और भी ऐसे जो

कागज के पननो पे लिख कर छोड जाए गे--बरसो से दबाए बैठे है इन सारे ऱाजो का

दरद खुद के सीने मे--बताए गे किसी को तो गददारी कर जाए गे अपनेे जमीर के हवाले

को--बेजान जिसम जब जल जाए गा,तो रूह को तमाम राजे-बॅदिशो से आजाद कर जाए

 गा--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...