रेशम के बिसतर पर सोते हुए डर लगता है..गुमनामी के अॅधेरो से अब भी कही डर
लगता है..तिनका तिनका बरबाद हुई उस जिॅॅदगी का खौफ रूह को आज भी रूला जाता
है..वो सरद हवाओ के झोके,वो बेवजह पानी का यू बरसना..आज भी राहो मे भीग जाने
का एहसास बार बार दिला जाता है...
लगता है..तिनका तिनका बरबाद हुई उस जिॅॅदगी का खौफ रूह को आज भी रूला जाता
है..वो सरद हवाओ के झोके,वो बेवजह पानी का यू बरसना..आज भी राहो मे भीग जाने
का एहसास बार बार दिला जाता है...